पटना : मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा है कि बिहार में निकट भविष्य में प्रवासी मजदूरों का विशाल हुजूम उमड़ सकता है और उन्हें 21 दिन तक अनिवार्य रूप से पृथक-वास में रखने, उनके चिकित्सीय परीक्षण, इलाज और आर्थिक पुनर्वास के लिए प्रबंध सुनिश्चित किये जाने चाहिए. करीब छह घंटे तक शुक्रवार को चली कई दौर की बैठक में मुख्यमंत्री कुमार ने अधिकारियों से उस वक्त के लिए कमर कसने को कहा है, जब लाखों की संख्या में प्रवासी मजदूरों, छात्रों और तीर्थयात्रियों को केंद्र द्वारा चलायी जानेवाली विशेष ट्रेनों से घर लाया जायेगा.
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मुख्यमंत्री ने कहा कि रेलवे स्टेशन से प्रवासी मजदूरों को उनके घर के पास स्थित पृथक केंद्रों तक ले जाने के लिए पर्याप्त वाहनों की व्यवस्था होनी चाहिए. गांवों में जागरूकता अभियान चलाया जाये, जहां लाउडस्पीकरों पर वर्तमान स्थिति में जरूरी एहतियात के संबंध में संदेश सुनाये जाएं.” उन्होंने कहा कि राज्य में कोरोना वायरस के प्रकोप के मामले शुरुआत में कम थे, लेकिन बाद में इनकी संख्या बढ़ने लगी, कुछ हद तक बाहर से संक्रमण लेकर आनेवाले लोगों के चलते. बिहार में शुक्रवार तक कोविड-19 के 466 मामले थे.
कुमार ने कहा, ”अब, हमें खुद को उस स्थिति के लिए तैयार रखना होगा, जो लॉकडाउन के संबंध में केंद्र के संशोधित दिशा-निर्देशों के मद्देनजर विशाल हुजूम उमड़ने के कारण उत्पन्न हो सकती है.” मुख्यमंत्री ने यह भी कहा, ”अब हमारे पास और परीक्षण केंद्र होने चाहिए. अगर जरूरत पड़ी, तो इन्हें जिलास्तर पर भी उपलब्ध कराया जाये. इसी के अनुसार, जांच किट भी उपलब्ध होनी चाहिए और दवाओं की पर्याप्त आपूर्ति सुनिश्चित की जानी चाहिए.”
वर्तमान में, नमूनों की जांच केवल छह स्थानों – यहां के आईसीएमआर केंद्र, आरएमआरआई, एम्स, पटना के अलावा राज्य सरकार के अस्पतालों – पीएमसीएच और आईजीआईएमएस के साथ ही मुजफ्फरपुर में एसकेएमसीएच और दरभंगा के डीएमसीएच में होती है. भागलपुर के जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज एवं हॉस्पिटल में सातवां जांच केंद्र रविवार से काम करना शुरू करेगा.