पटना. महिला आयोग को भंग हुए दो साल सात महीने हो चुके हैं. अब तक आयोग की सदस्यों और अध्यक्ष की नियुक्ति नहीं हो पायी है. इसके कारण महिला आयोग में आने वाली पीड़िताओं का न तो आवेदन लिया जा रहा है और न ही उनकी सुनवाई हो रही है. आये दिन पीड़िताओं के परिजन आयोग के गठन को लेकर पूछताछ करने के लिए आते हैं. कई पीड़िताएं अपने घर को फिर बसाने के लिए गुहार लगाती हैं. यहां पीड़िताएं जब अपना आवेदन लेकर आती हैं, तो उन्हें महिला थाना या फिर महिला हेल्पलाइन जाने की सलाह दी जाती है. आयोग में अब तक 3270 आवेदन पेंडिंग हैं. इन आवेदनों का रजिस्टर मेंटेन किया जाता है.
साल 2020 में कुल 3053 आवेदन आये थे. आयोग के भंग होने के बाद से 1415 आवेदनों पर कार्रवाई नहीं हो पायी है. वहीं, आज भी पोस्ट के जरिये कई पीड़िताएं अपना आवेदन महिला आयोग भेजती हैं, लेकिन वे सभी बस रजिस्टर में दर्ज हो कर रह जाते हैं. साल 2021 में पोस्ट के जरिये 2544 आवेदन आये, जबकि साल 2022 दिसंबर तक 2590 और इस साल अब तक 680 आवेदन आये हैं.
पूर्व अध्यक्ष दिलमणि मिश्रा बताती हैं कि पीड़िताएं और उनके परिजन रोजाना उन्हें कॉल कर मदद की गुहार लगाते हैं. वह उन्हें समझाती हैं कि आयोग भंग हो गया है और वह अब अध्यक्ष नहीं हैं. बावजूद इसके वे उनसे मदद की गुहार लगाते हैं. पूर्व अध्यक्ष होने के नाते वह प्रशासन से बात कर पीड़िताओं की मदद भी करती हैं.
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उप सचिव अंजू कुमारी बताती हैं कि आयोग भंग हुए दो साल से ज्यादा हो गया है. आयोग के भंग होने के बाद से कोई सुनवाई नहीं हुई है. हमारे पास कई बार ऐसे भी आवेदन आये, जिनमें त्वरित कार्रवाई करने की जरूरत थी. ऐसे में उचित कार्रवाई के लिए आवेदन को संबंधित जिलों के एसपी को भेजा जाता है.आज भी कई महिलाओं को आयोग के पुनर्गठन का इंतजार है. उनका कहना है कि यहां पर मामले को गंभीरता से लेकर तुरंत कार्रवाई होती है.