पटना : परिवहन विभाग ने सड़क दुर्घटना में घायल लोगों को बचाने के लिए सभी जिलाधिकारियों को दिशा निर्देश जारी किया है. इसमें कहा गया है कि अगर कोई व्यक्ति अंजान आदमी को सड़क दुर्घटना के बाद सरकारी व निजी अस्पताल पहुंचाता है, तो उससे पैसे की मांग नहीं की जायेगी. इस निर्देश का पालन नहीं करने की अगर किसी अस्पताल से शिकायत आती है, तो उस पर कार्रवाई की जाये.
यह मांग तभी की जा सकती है, जब जख्मी व्यक्ति को लानेवाला व्यक्ति उसका संबंधी हो. विभाग के मुताबिक जख्मी का इलाज करना अस्पताल की सर्वोच्च प्राथमिकता है, क्योंकि इलाज में विलंब से जान जा सकती है.
विभाग ने कहा है कि सड़क दुर्घटना के घायल पीड़ितों की बेहिचक मदद करें, पुलिस इस मामले में जबरन गवाह नहीं बनाएं. मदद करने वाले व्यक्तियों को पुलिस और अस्पताल प्रशासन से किसी प्रकार की परेशानी ना हो, इसके लिए बिहार सड़क सुरक्षा परिषद द्वारा राज्य भर में बोर्ड लगाया गया है. जिसमें नियमों की पूरी जानकारी दी गयी है. दुर्घटना में घायल व्यक्ति की मदद करने वाले अच्छे मददगार से पुलिस पदाधिकारी गुड सेमिरिटन को अपना नाम, पहचान और पता देने के लिए बाध्य नहीं कर सकते हैं. यदि कोई गुड सेमिरिटन पुलिस थाने में स्वेच्छा से जाने का चयन करता है तो उससे बिना किसी अनुचित विलंब के एक तर्कसंगत और समयबद्ध रूप से एक ही बार में पूछताछ की जायेगी.
सड़क पर घायल किसी व्यक्ति के बारे में पुलिस को सूचना देने के पश्चात संबंधित पुलिस पदाधिकारियों द्वारा उन्हें जाने की अनुमति दी जायेगी और यदि वह मामले में गवाह बनने का इच्छुक नहीं होता है तो उससे कोई पूछताछ नहीं की जायेगी. जांच पड़ताल करते समय ऐसे समय अस्पताल पहुंचाने वाले का पूरा बयान या शपथ पत्र पुलिस अधिकारी द्वारा एक ही बार पूछताछ के दौरान रिकॉर्ड किया जायेगा.