बिहार में आगामी 48 घंटे के लिए कड़ाके की ठंड का एक नया दौर शुरू होने जा रहा है. इसकी विशेषता होगी कि दक्षिण बिहार में शीत लहर चलेगी. वहीं, उत्तरी बिहार में कोल्ड डे की स्थिति बनने के आसार हैं. ठंड की तीव्रता का विभाजन कल से एक दम साफ हो जायेगा. पश्चिमी हिमालय से गुजर चुके पश्चिमी विक्षोभ और राजस्थान की ओर से आ रही पछुआ हवा बिहार में और शक्तिशाली हो गयी हैं. इसकी वजह से हाड़कंपाने वाली ठंड का दौर अभी चालू रहेगा. बिहार में सबसे कम न्यूनतम तापमान गया में सामान्य से छह डिग्री नीचे 2.9 डिग्री दर्ज किया गया है. हालांकि अधिकतम तापमान सामान्य से केवल दो डिग्री कम 20 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया है. रविवार को प्रदेश में 11 जगहों/जिलों में सीवियर कोल्ड डे/कोल्ड डे घोषित किया गया.
आइएमडी की जानकारी के मुताबिक इससे पहले वर्ष 2018 में 2.8 डिग्री सेल्सियस तापमान दर्ज किया है. गया में अधिकतम तापमान 20.4 डिग्री सेल्सियस रहा.. पटना में अधिकतम तापमान सामान्य से छह डिग्री नीचे 16 डिग्री और न्यूनतम तामपान सामान्य से एक डिग्री कम 7.8 डिग्री सेल्सियस रहा. पूर्णिया में अधिकतम तापमान सामान्य से सात डिग्री कम 14.8 और अधिकतम तापमान सामान्य से पांच डिग्री कम 8.9 डिग्री सेल्सियस रहा. भागलपुर में अधिकतम तापमान सामान्य से छह डिग्री नीचे 16.6 और न्यूनतम तापमान सामान्य से पांच डिग्री नीचे 7.6 डिग्री सेल्सियस दर्ज रहा. दरभंगा और मुजफ्फरपुर में भी पारा सामान्य से काफी कम रहा. हालांकि 10 जनवरी से पश्चिमी विक्षोभ सक्रिय हो रहा है. इस संदर्भ में आइएमडी का कहना है कि इस पश्चिमी विक्षोभ का बिहार पर कोई खास असर नहीं पड़ेगा.
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सीवियर कोल्ड डे : पटना, पूर्णिया, मुजफ्फरपुर, दरभंगा, सुपौल व मोतिहारी
कोल्ड डे : गया, भागलपुर, छपरा, फारबिसगंज व सबौर
बीस साल बाद अधिकतम तापमान लंबे समय के लिए कम रहा
चालू शीतकाल में अधिकतम तापमान सामान्य से 10 डिग्री कम लंबे समय से नीचे है. ऐसा वर्ष 2003 के बाद पहली बार देख गया है. डॉ राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय के वरिष्ठ मौसम विज्ञानी डॉ ए सत्तार ने बताया कि पूरे बिहार में एक साथ इतना कम तापमान लगभग बीस साल बाद देखा गया है. हालांकि उन्होंने बताया कि अधिकतम तापमान और न्यूनतम तापमान अभी सामान्य के ही करीब है,लेकिन उसका विस्तार लंबे समय के लिए देखा जा रहा है. 2818 में भी इसी तरह दिन का तापमान लंबे समय के लिए सामान्य से कम रहा था, लेकिन उसका केंद्र पूरे बिहार में नहीं था.
अब सिंचाई की जरूरत
इस साल अभी एक बार भी शीतकालीन बारिश नहीं हुई है. दरअसल पश्चिमी विक्षोभ बिहार की मौसमी दशाओं को प्रभावित नहीं कर पा रहे हैं. मौसम विज्ञानी डॉ सत्तार के बताया कि गेहूं के अलावा आलू और मक्का पर पाला मार सकता है. किसानों को पाले से बचने के लिए कई दवाओं का इस्तेमाल करना चाहिए. लेकिन किसान सिंचाई करता है तो पाले की आशंका कम हो जाती है.
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