सुमित,पटना. रियल इस्टेट एक्ट के तहत बिहार रेरा में निबंधित सूबे के 223 प्रोजेक्ट अपने तय समय में पूरे नहीं किये जा सके हैं. बिल्डर की लापरवाही, जमीन मालिक से विवाद, पैसे की कमी आदि कारणों के चलते ये प्रोजेक्ट लंबी अवधि से अधूरे पड़े हैं. इससे इन प्रोजेक्टों से जुड़े हजारों लोगों के आशियाने पर भी ग्रहण लग गया है. अब बिहार रियल इस्टेट रेगुलेटरी अथॉरिटी (रेरा) ने निर्णय लिया है कि इन अधूरे प्रोजेक्टों को संबंधित अलॉटी (आवंटी) एसोसिएशन की मदद से पूरा कराया जायेगा.
बिहार रेरा ने सभी 223 प्रोजेक्टों की सूची अपनी आधिकारिक वेबसाइट पर जारी कर दी है. रेरा से मिली जानकारी के मुताबिक इन प्रोजेक्ट को पूरा कराने के लिए रेरा सदस्य नुपूर बनर्जी की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय कमेटी बनायी गयी है. इस कमेटी में दो न्यायिक पदाधिकारी रेरा के एडजुकेटिंग ऑफिसर और सीनियर लीगल कंसल्टेंट को शामिल किया गया है. यह कमेटी धीरे-धीरे सभी प्रोजेक्ट से जुड़े अलॉटीज और प्रमोटरों से बात कर प्रोजेक्ट की वर्तमान स्थिति का आकलन करेगी. इसमें देखा जायेगा कि कितना काम बचा है? किस वजह से काम रुका? अगर एसोसिएशन नहीं बना होगा तो बनाने की प्रक्रिया करायी जायेगी.
प्रोजेक्ट की जानकारी लेने के बाद कमेटी संबंधित प्रोजेक्ट के अलॉटी एसोसिएशन को प्रोजेक्ट पूरा करने का पहला मौका देगी. अगर अलॉटीज वर्तमान बिल्डर पर सहमत होंगे तो कुछ शर्तों के साथ उनको ही दोबारा काम पूरा करने का मौका दिया जायेगा. अलॉटीज खुद या किसी दूसरे बिल्डर की मदद से प्रोजेक्ट पूरा करने चाहें तो उनको यह भी अवसर मिलेगा. यह पूरी प्रक्रिया रेरा के सेक्शन आठ के तहत पूरी की जायेगी. आवंटियों की अनुशंसा को रेरा राज्य सरकार को भेजेगी. सरकार की मंजूरी के बाद कार्य पूरा कराया जायेगा.
जिन 223 प्रोजेक्ट की समयावधि खत्म हुई है, उनमें अधिकांश 2018 से 2020 के बीच निबंधित या पुन:निबंधित हुए हैं. बिहार रेरा ने कोविड काल के दौरान ऐसे प्रोजेक्टों को छूट देते हुए कुछ चार्ज लेकर उनको प्रोजेक्ट पूर्णता अवधि बढ़ाने का अवसर दिया था. लेकिन, प्रमोटर न तो रजिस्ट्रेशन के लिए आगे आये और न हीं परियोजना को पूरा किया. मार्च 2023 में अवधि खत्म हो जाने के बाद अब ऐसी परियोजनाओं को लैप्स घोषित करते हुए नये सिरे से प्रक्रिया शुरू कर दी गयी है. मालूम हो कि किसी भी प्रोजेक्ट के अवधि विस्तार के लिए प्रमोटर को अवधि समाप्त होने के कम से कम तीन माह पहले उचित कारण बताते हुए आवेदन करना अनिवार्य होता है.
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रेरा अधिनियम के मुताबिक 500 वर्ग मीटर से अधिक क्षेत्र में विकसित होने वाले या आठ से अधिक फ्लैट वाले रियल इस्टेट प्रोजेक्ट को रेरा में रजिस्टर्ड होना अनिवार्य है. अगर लैप्स हो चुकी 223 प्रोजेक्ट में प्रत्येक प्रोजेक्ट न्यूनतम 10 फ्लैट भी रखा जाये तो कम से कम 2230 फ्लैट अधूरे माने जायेंगे. चूंकि अधिकांश प्राेजेक्ट पटना से संबंधित है, इसलिए प्रति फ्लैट 50 लाख रुपये का अनुमानित मूल्य भी रखा जाये तो आवंटियों के करीब 1115 करोड़ रुपये इसमें फंसे नजर आयेंगे. यह राशि न्यूनतम है. एक प्रोजेक्ट में कई बहुमंजिली इमारतों के निर्माण होने पर यह राशि इससे कई गुणा अधिक हो सकती है.
बिहार रेरा अध्यक्ष नवीन वर्मा ने बताया कि लैप्स हो चुकी 223 प्रोजेक्ट की सूची वेबसाइट पर सार्वजनिक कर दी गयी है ताकि संबंधित बिल्डर या अलॉटी इसको देख सकें. लैप्स परियोजनाओं के मामले में प्रमोटर का अधिकार खत्म हो जाता है. अलॉटी और प्रमोटर्स की राय से प्रोजेक्ट को पूरा कराया जायेगा.