पूर्व उपमुख्यमंत्री एवं सांसद सुशील कुमार मोदी ने कहा कि छपरा के बाद अब पूर्वी चंपारण में जहरीली शराब पीने से 22 लोगों की जान गयी है. दो दर्जन से ज्यादा पीड़ितों का इलाज चल रहा है और कई आंखों की रोशनी खो चुके हैं, लेकिन सरकार आंकड़े छिपाने में लगी है.
सुशील मोदी ने कहा कि सरकार मौत का कारण डायरिया या अज्ञात बीमारी बता रही है. पुलिस के डर से बिना पोस्टमार्टम के भुटन मांझी सहित कई मृतकों के शव जला दिये गये. मृतकों में अधिकतर दलित और पिछड़ी जातियों के थे. मोदी ने कहा कि जहरीली शराब से मरने वालों के आश्रितों को चार-चार लाख रुपये मुआवजा देने की स्पष्ट नीति बनाने के लिए मुख्यमंत्री को सर्वदलीय बैठक जल्द बुलानी चाहिए. छपरा में ऐसी घटना के बाद सर्वदलीय बैठक बुलाने की घोषणा की गयी थी.
भाजपा नेता ने कहा कि राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने छपरा की घटना के बाद राज्य सरकार पर आंकड़े छिपाने का आरोप लगाया था. अब पूर्वी चंपारण में भी यही हो रहा है. आयोग ने जहरीली शराब पीने से मरने वालों के आश्रितों को अनुग्रह राशि देने की अनुशंसा की थी, लेकिन अब तक उसका पालन नहीं हुआ. उन्होंने कहा कि पटना हाइकोर्ट ने जहरीली शराब पीने से बीमार होने वालों की चिकित्सा के लिए मानक प्रक्रिया (एसओपी) तय करने को कहा था, लेकिन राज्य सरकार यह भी नहीं बना सकी. यदि सरकार ने हाइकोर्ट के निर्देश और आयोग की अनुशंसाओं को गंभीरता से लिया होता तो पीड़ितों और उनके परिवारों को कठिन समय में बड़ी राहत मिलती.
मोतिहारी में हुई संदिग्ध मौतों पर भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सम्राट चौधरी ने मुख्यमंत्री पर हमला बोलते हुए कहा कि आप विपक्षी एकता के लिए देश-विदेश घूमें, लेकिन बिहार और बिहारियों के लिए भी समय निकाल लें. शराबबंदी के बाद जहरीली शराब पीने से लगातार लोगों की मौतें हो रही हैं. आखिर और कितने लोगों के घर उजाड़ कर आपका मन भरेगा? उन्होंने कहा कि राज्य में शराबबंदी के बाद अवैध शराब का एक समानांतर व्यापार बिहार में शुरू हो गया है, जिसको आपकी सरकार का समर्थन मिल रहा है. आप जिस दिवास्वप्न को देख दिल्ली की दौड़ लगा रहे हैं, वह पूरा नहीं होने वाला है.
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भाजपा प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि सरकार और जिला प्रशासन एक बार फिर से मरने वालों का आंकड़ा छिपाने में जुट गया है. सरकार को तत्काल मृतकों के परिजनों को मुआवजा देने की घोषणा करनी चाहिए. उन्होंने मुख्यमंत्री को याद कराते हुए कहा कि सदन में आपने कहा था कि मुआवजा को लेकर सर्वदलीय बैठक बुला कर निर्णय ले लिया जायेगा. आखिर इतने दिन गुजरने के बाद भी कोई निर्णय क्यों नहीं लिया गया? सदन में दिये उस बयान को भूल गये या उस बयान से भी पलटने का इरादा है?