बिहार के कई जिलों में कोरोना के बाद ब्लैक फंगस का कहर भी बढ़ता जा रहा है. कोरोना से अभी लोगों को राहत मिली ही थी कि ब्लैक फंगस एक नया संकट बनकर सामने आया है. बिहार में सरकार ने इसे महामारी घोषित की है. ब्लैक फंगस से अब तक पटना जिले के अलग-अलग अस्पतालों में करीब 50 मरीजों की मौत हो चुकी है. वहीं मुजफ्फरपुर में मरीजों को भर्ती नहीं कर जांच के बाद पटना एम्स या आईजीआईएमएस रेफर कर दिया जा रहा है. वहीं मरीजों को कोरोना की दवा के तरह ही इस नये संक्रमण की दवा लेने में शुरुआती दिनों में अभी पसीने छूट रहे हैं.
ब्लैक फंगस के मरीजों को एम्फिटेरेसिन इंजेक्शन और ओरल टेबलेट पोसाकोनाजोल डॉक्टर सलाह के रूप में देते हैं. भागलपुर मेडिकल कॉलेज के अधीक्षक के अनुसार, पहले मरीजों को इंजेक्शन से इलाज किया जाता है और उसके बाद सामान्य हालत में ओरल टेबलेट की सलाह दी जाती है. हालांकि ओरल टेबलेट पोसाकोनाजोल को खरीदने में मरीजों व उनके परिजनों के पसीने छूट रहे हैं.
बाजार में यह दवा काफी महंगी मिल रही है. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, मरीजों को सात दिनों तक यह दवा खाने की सलाह डॉक्टर देते हैं. बाहर 10 टेबलेट को खरीदने में मरीज के परिजनों को 10 हजार रूपये खर्च करने पड़ रहे हैं. चार दिन की दवा करीब 20 हजार रुपये में आ रही है. जिसे खरीदने में सामान्य और गरीब मरीजों की हालत खराब है.
वहीं मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, एम्फिटेरेसिन इंजेक्शन की 1700 वाइल अस्पतालों को सौंपी गई है. पटना एम्स को 500, आइजीआइएमएस को 500, पीएमसीएच को 100 और भागलपुर मेडिकल कॉलेज व वर्द्धमान मेडिकल कॉलेज अस्पताल को 100-100 वायल इंजेक्शन दिया गया है. सिविल सर्जन कार्यालय को 100 वायल इंजेक्शन दिया गया है. साथ ही पोसाकोनाजोल का 2780 ओरल टेबलेट भी अस्पतालों को मुहैया कराया गया है. जिसमें आइजीआइएमएस पटना, पटना एम्स, पीएमसीएच और भागलपुर मेडिकल कॉलेज को ये दवा दी गइ है.
बता दें कि पटना जिले के अलग-अलग अस्पतालों में करीब 50 मरीजों की मौत हो चुकी है. इनमें सबसे अधिक मौत शहर के आइजीआइएमएस व पटना एम्स अस्पताल में हुई है. एम्स में भी मरीजों का इलाज चल रहा है. सूबे में अभी जितने मरीज पाए गए हैं उनमें कई कोरोना पॉजिटिव हैं तो कई कोरोना निगेटिव होने के बाद इस संक्रमण की चपेट में पड़े हैं. दवा मिलने के बाद अब एम्स में बेड भी बढ़ाए जाने की तैयारी है.
POSTED BY: Thakur Shaktilochan