लंबे इंतजार के बाद बुधवार को बीपीएससी 66वीं संयुक्त प्रतियोगिता परीक्षा का रिजल्ट जारी हुआ. पटना के अलावा कई छोटे शहरों के अभ्यर्थियों ने भी इसमें बाजी मारी. टॉप टेन में कम से कम छह ने इंजीनियरिंग की पढ़ाई की है. सफल होने वालों में कोई आंगनबाड़ी सेविका का बेटा है, तो किसी के पिता खेती-किसानी, तो किसी के पिता हार्डवेयर की दुकान चलाते हैं. कुछ ऐसे भी हैं, जिन्होंने नौकरी छोड़कर तैयारी शुरू की और सफलता पायी.
पहले प्रयास में ही पहला स्थान लानेवाले सुधीर कुमार इसका श्रेय माता-पिता सहित बुजुर्गों से मिले आशीर्वाद को दे रहे हैं. उन्होंने बताया कि मां प्रमिला कुमारी राजापाकड़ में एएनएम है, जबकि पिताजी वीरेंद्र महुआ पोस्ट ऑफिस में कार्यरत हैं. आइआइटी कानपुर से वर्ष 2019 में सिविल इंजीनियरिंग करने के बाद एक साल आइआइटी की तैयारी करनेवाले छात्रों को कोचिंग में पढ़ाने का काम किये. कोरोना के दौरान बीपीएससी परीक्षा की तैयारी के लिए सेल्फ स्टडी शुरू किया.
अरवल के रहने वाले अमर्त्य कुमार आदर्श ने 66वीं बीपीएससी में 10वां रैंक प्राप्त किया. अमर्थ ने बताया कि उन्होंने पांचवें प्रयास में यह सफलता हासिल की है. इससे पहले भी 63वीं बीएससी में 156 रैंक हासिल किया था. वे नौकरी करने के साथ ही परीक्षा की तैयारी भी करते रहे. उन्होंने इस सफलता का श्रेय माता-पिता को दिया है. इस सफलता से उनके परिवार और दोस्तों के बीच खुशी का माहौल है. उन्होंने बताया कि बिहार पुलिस उपाधीक्षक के रूप में सेवा देना चाहते हैं.
हरिसभा चौक के रहने वाले आयुष कृष्णा ने दूसरे प्रयास में बीपीएससी में नौवा रैंक हासिल किया है. उनका चयन डिस्ट्रिक माइनोरिटी वेलफयर ऑफिसर के पद पर हुआ है. आयुष ने कहा कि उसका लक्ष्य आइएएस क्वालीफाई करना है, जिसके लिए जॉब के बाद भी पढ़ाई जारी रखेंगे. डॉ अजय कृष्णा व रेणु कृष्णा की दो संतानों में आयुष बड़े हैं. छोटी बहन बैंकिंग की तैयारी कर रही है. आयुष ने 12वीं तक की पढ़ाई आरके मिशन देवघर से की. आयुष ने कहा कि अभी जो सपना देखा था वह पूरा नहीं हुआ है, लेकिन सफलता के बाद हौसला बढ़ा है.
पांचवां रैंक ला कर टॉपर बनने वाले सिद्धांत कुमार पटना के रहने वाले हैं. उन्होंने केरल के कोच्ची से इलेक्ट्रॉनिक कम्यूनिकेशन में 2017 में बीटेक किया है. इसके बाद कई मल्टी नेशनल कंपनियों में नौकरी के ऑफर आये, लेकिन उसे छोड़ दिया. सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी 2017 से ही शुरू कर दी थी. सिविल सेवा परीक्षा में वह इंटरव्यू तक दे चुके हैं. पहली बार उन्होंने बीपीएससी की परीक्षा दी थी और टॉपर बन गये. इस बार बीपीएससी में समाजशास्त्र को वैकल्पिक विषय रखा था. सिंद्धांत कहते हैं कि मेरी सफलता में मेरे पिता श्यामनंदन सिंह और मां रंजू सिंह का बहुत बड़ा योगदान है. पिता पटना के मुन्नाचक में हार्डवेयर की दुकान चलाते हैं.
66वीं बीपीएससी परीक्षा में शानदार सफलता पा कर चौथा रैंक लाने वाले अंकित सिन्हा की मां मीना कुमारी आंगनबाड़ी सेविका हैं. अंकित ने दूसरे प्रयास में यह सफलता पायी है. वे यूपीएससी की परीक्षा पास कर वन सेवा में बतौर डीएफओ ज्वाइन करने वाले हैं. औरंगाबाद के रहने वाले अंकित ने एनआइटी जमशेदपुर से 2016 में बीटेक किया था. उन्होंने 2018 तक जॉब भी की थी. इसके बाद 2018 से सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी शुरू की.
पहले प्रयास में ही आठवां स्थान पर रहे सदानंद कुमार सफलता के लिए अपने परिजनों को श्रेय दे रहे हैं. रिजल्ट की सूचना देने पर भी उन्होंने कहा कि खुद विश्वास नहीं हो रहा है. अगर यह सही है तो हम माता-पिता सहित अपने शुभचिंतकों का आभार व्यक्त करते हैं. उन्होंने बताया कि पिताजी कमल साह खेती-बाड़ी करते हैं. वे शिक्षित भी नहीं हैं. जबकि मां सुमित्रा देवी शिक्षित हैं. बातचीत में कहा कि आइआइटी गुवाहाटी से वर्ष 2017 में पास आउट होने के बाद पूर्णिया के एक कोचिंग में पढ़ाने का काम शुरू किये. इसके बाद बीपीएससी की परीक्षा की तैयारी के लिए सेल्फ स्टडी शुरू किया. सेल्फ स्टडी से ही यह सफलता मिली है.
12 साल से बच्चों को आइआइटी जेईई की तैयारी करवा रहे विनय कुमार रंजन 66 वीं बीपीएससी में सातवां रैंक लाकर डीएसपी पद पर चयनित हो गये हैं, लेकिन अब भी उनका सबसे पसंदीदा काम बच्चों को पढ़ाना है. दिल्ली आइआइटी से मैथ की पढ़ाई करने वाले और पटना और गोरखपुर में अपनी कोचिंग चलाने वाले विनय ने कहा कि वे 20 छात्रों को हर साल फ्री में इंजीनियरिंग की तैयारी करवाना चाहते हैं. उनकी पत्नी दिल्ली मेट्रो में सेक्शन इंजीनियर है और उन्होंने भी उनके साथ 66 वीं बीपीएससी का इंटरव्यू दिया था. लेकिन अंतिम रुप से सफल नहीं हो सकीं.
66वीं बीपीएससी परीक्षा में औरंगाबाद की मोनिका श्रीवास्तव महिला वर्ग में टॉपर रही हैं. उन्हें ओवर ऑल छठा रैंक आया है. उन्होंने पहले ही प्रयास में यह परीक्षा पास की है. अब वह आगे यूपीएससी की सिविल सेवा परीक्षा देना चाहती हैं. मोनिका आइआइटी गुवहाटी से कंप्यूटर साइंस में 2016 में बीटेक कर चुकी हैं. इसके बाद वह छह वर्षों से बतौर इंजीनियर जॉब कर रही थी. जॉब के साथ ही उन्होंने तैयारी की और यह कामयाबी पायी है. उनके पिता पीके श्रीवास्तव ग्रामीण कार्य विभाग में असिस्टेंट इंजीनियर हैं. वहीं मां भारती कुमारी प्राइमरी स्कूल में हेडमास्टर हैं. मोनिका कहती हैं कि सही योजनाबद्ध तरीके से अगर मेहनत की जाये तो सफलता अवश्य मिलती है.