21.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

बिहार में कोरोना काल में बढ़े ब्रेन टीबी के मरीज, ईलाज में देरी से जा सकती हैं जान, जानें क्या है लक्षण

अकेले राजधानी पटना में एक माह में इस बीमारी से ग्रस्त 100 से ज्यादा मरीज मिले है. वैसे पूरे बिहार में ब्रेन टीबी के मरीज सामने आ रहे हैं. सबसे जरूरी बात ये हैं कि बीमारी की सही पहचान नहीं होने के कारण लोगों की मौत हो रही है.

पटना. कोरोना संक्रमण के बाद बिहार के लोगों को कुछ खास प्रकार की बीमारियां बढ़ने लगी हैं. उन्हीं बीमारियों में से एक है ब्रेन टीबी. कोरोना काल में इस बीमारी के मरीजों की संख्या बिहार में लगातार बढ़ रही है. अकेले राजधानी पटना में एक माह में इस बीमारी से ग्रस्त 100 से ज्यादा मरीज मिले है. वैसे पूरे बिहार में ब्रेन टीबी के मरीज सामने आ रहे हैं. सबसे जरूरी बात ये हैं कि बीमारी की सही पहचान नहीं होने के कारण लोगों की मौत हो रही है. डॉक्टरों का कहना है कि ये समस्या मेनिनजाइटिस और न्यूरो सिस्टी साइकोसिस में अंतर ना पता चलने के कारण हो रहा है.

100 मरीजों में तीन ब्रेन टीबी से ग्रस्त

पटना के आईजीआईएमएस, पटना एम्स और पीएमसीएच में रोजाना ब्रेन टीबी के कई मामले सामने आ रहे हैं. आईजीआईएमएस के न्यूरो विभाग में आने वाले मरीजों में से करीब तीन प्रतिशत मरीज ब्रेन टीबी से पीड़ित हैं. हर महीने आईजीआईएमएस में ब्रेन टीबी के 100 से अधिक मामले सामने आ रहे हैं. ऐसे में प्राथमिकता के आधार पर डॉक्टर ऐसे मरीजों का इलाज कर रहे हैं. डॉक्टरों का कहना है कि लोग टीबी के लक्षण को नहीं पहचान पाते हैं और खुद से ही कोई दवा खाकर अपने साथ-साथ अन्य लोगों को भी टीबी के खतरे में डाल देते हैं. ऐसे में ये जानना जरूरी है कि टीबी के लक्षण क्या हैं.

क्या हैं टीबी के लक्षण

  • 1. खांसी

  • 2. बुखार

  • 3. उल्टी

  • 4. सिर दर्द

  • 5. मिर्गी

  • 6. लकवा आदि की शिकायत

हर रोज आ रहे हैं दो से तीन मरीज

आईजीआईएमएस के न्यूरो मेडिसिन विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. अशोक कुमार का कहना है कि ब्रेन टीबी के मरीजों की संख्या कोरोना काल में बढ़ी है. कोरोना महामारी की वजह से टीबी के मरीजों को सही समय पर इलाज नहीं मिलने के कारण ये समस्या अब बढ़ गयी है. उनका कहना है कि हर रोज ब्रेन टीबी के करीब दो से तीन मरीज सामने आ रहे हैं.

समय पर इलाज नहीं होना खतरनाक

ब्रेन टीबी मेनिनजाइटिस और न्यूरो सिस्टी साइकोसिस में अंतर पहचानने के लिए बड़े स्तर पर शोध (रिसर्च) करने की जरूरत है. फिलहाल देश के दिल्ली, पंजाब आदि राज्यों में आईसीएमआर की मदद से रिसर्च कार्य किया जा रहा है. इस बीमारी का एक मात्र उपाय सही समय पर इलाज ही है. समय पर इलाज के बाद मरीज तेजी से इस बीमारी को मात दे रहे हैं.

लगातार दवा लेने से बच सकती है जान

आईजीआईएमएस के मेडिकल सुपरिटेंडेंट डॉ. मनीष मंडल का कहना है कि कई मरीज बीच में ही टीबी की दवा छोड़ देते हैं, जिसके कारण उन्हें एमडीआर टीबी हो सकता है. उन्होंने कहा कि इस के अंतर को पहचानने के बाद ही मरीज का सही डायग्नोसिस हो पाएगा. उन्होंने कहा कि कोविड के बाद पांच प्रतिशत तक इस तरह के मरीज बढ़ गए हैं.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें