बिहार में जाति गणना के पहले चरण का काम शनिवार को पूरा हो गया. पहले चरण में करीब दो करोड़ 58 लाख 90 हजार 497 परिवारों तक पहुंच कर मकानों की नंबरिंग की गयी. पहले चरण में परिवार के मुखिया का नाम और वहां रहने वाले सदस्यों की संख्या अंकित की गयी. सात जनवरी से शुरू हुए पहले चरण की जाति गणना में पांच लाख 18 हजार से अधिक कर्मी लगाये गये थे.
अप्रैल में शुरू होगा दूसरा चरण
गणना की प्रक्रिया के दौरान पटना स्थित राज्य मुख्यालय से लगातार सभी जिलों से संपर्क बनाकर मकानों की गिनती का पहला चरण पूरा कर लिया गया. अब दूसरे चरण में एक से 30 अप्रैल तक जाति की गिनती समेत 26 प्रकार की जानकारी लोगों से ली जायेगी. राज्य के बाहर रहने वाले लोगों के नाम भी दर्ज किये जायेंगे. सामान्य प्रशासन विभाग ने इस संबंध में सभी डीएम को निर्देश भेज दिया है.
जाति गणना के लिए टोला सेवक, तालिमी मरकज, ममता, आशा कार्यकर्ता, जीविका दीदियां, शिक्षक, कृषि समन्वयक, मनरेगा कर्मी, रोजगार सेवक और विकास मित्र को जिम्मेवारी दी गयी है. इनके ऊपर डीएम से लेकर नगर आयुक्त, एसडीओ, सीओ, बीडीओ, अपर नगर आयुक्त, आइटी मैनेजर के कार्य निर्धारित किये गये हैं.
अब सभी नंबरों को कम्पाइल किया जायेगा
जाति गणना के पहले चरण में एक अपार्टमेंट के सभी फ्लैट का अलग-अलग नंबर आवंटित किया गया. एक मकान में यदि दो परिवार रह रहा है, तो उसकी अलग गिनती की गयी. अब सभी नंबरों को कम्पाइल किया जायेगा.
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सुप्रीम कोर्ट ने याचिका पर सुनवाई से किया इंकार
बिहार में हो रही इस जातीय गणना पर कई तरह के सवाल भी खड़े हुए. कई लोगों ने इसके खिलाग सुप्रीम कोर्ट में याचिका भी दायर की. लेकिन न्यायाधीश बीआर गवई और न्यायाधीश विक्रम नाथ की खंडपीठ ने दाखिल याचिका की मंशा पर सवाल उठाते हुए इसे प्रचार पाने वाली याचिका बताय. कोर्ट ने कहा कि अगर इन याचिकाकर्ताओं की मांग को स्वीकार कर लिया गया, तो राज्य सरकार यह कैसे तय करेगी कि आरक्षण किस आधार पर दिया जाये.