पटना. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि इस साल के अंत तक हर जिले में इंजीनियरिंग कॉलेज और पॉलिटेक्निक के भवनों का निर्माण पूरा कर लिया जायेगा. साथ ही सीएम ने सभी संस्थानों का मेंटेनेंस ठीक ढंग से करवाने और शिक्षक, कर्मचारी सहित अन्य स्टाफ की नियुक्ति कर संसाधनों की व्यवस्था करने का निर्देश अधिकारियों को दिया. मुख्यमंत्री बुधवार को विज्ञान एवं प्रावैधिकी विभाग के 893.60 करोड़ रुपये की लागत के 17 भवनों का उद्घाटन एवं 193.67 करोड़ रुपये की लागत के पांच भवनों का शिलान्यास करने के बाद कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे.
कार्यक्रम का आयोजन 1 अणे मार्ग स्थित संकल्प से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से किया गया था. वीडियो काॅन्फ्रेंसिंग में उपमुख्यमंत्री तारकिशोर प्रसाद, मंत्री डाॅ अशोक चौधरी और विज्ञान प्रावैद्यिकी मंत्री सुमित कुमार सिंह जुड़े रहे. मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में सड़क, पुल-पुलियों और भवनों का बेहतर ढंग से निर्माण किया गया है, उन सब का मेंटेनेंस विभाग ठीक ढंग से कराये. इसके लिए इंजीनियरों और स्टाफ की जरूरत हो, तो उनकी भी नियुक्ति कराये.
2005 में काम करने का मौका मिला, तो हमने तय किया कि सभी जिलों में इंजीनियरिंग कॉलेज, पॉलिटेक्निक बनायेंगे. राज्य सरकार ने जमीन उपलब्ध कराकर अपने खर्च पर बीआइटी मेसरा के भवन का निर्माण कराया. जब हम केंद्र की अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में मंत्री थे, उस दौरान बिहार कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग, पटना को हमने एनआइटी बनाने के लिए आग्रह किया था और उसके बाद इसे एनआइटी का दर्जा मिला. मेरे आग्रह पर ही पटना में आइआइटी का निर्माण कराया गया. इसके लिए राज्य सरकार ने 500 एकड़ जमीन उपलब्ध करायी. इससे छात्रों को काफी लाभ हो रहा है.
मुख्यमंत्री ने कहा कि 2005 में बिहार में तीन प्राइवेट इंजीनियरिंग कॉलेज भी थे, जो लगभग बंद हो गये थे. हमने दरभंगा, गया और मोतिहारी के इन प्राइवेट इंजीनियरिंग कॉलेजों को जाकर देखा और कहा कि हम इन्हें चलायेंगे. उसी समय हमने इन सभी कॉलेजों को शुरू कराया. किसी को मजबूरी में बाहर पढ़ने के लिए नहीं जाना होगा. मेडिकल और इंजीनियरिंग की पढ़ाई में लड़कियों को कम-से-कम 35% का आरक्षण दिया जा रहा है. मेडिकल यूनिवर्सिटी और इंजीनियरिंग यूनिवर्सिटी की स्थापना की जा रही है.
सीएम ने कहा कि पहले बिहार में 17 से 23 वर्ष के सिर्फ 13.9% बच्चे-बच्चियां उच्च शिक्षा प्राप्त करते थे, जबकि देश में यह अनुपात 25% था. हमने लक्ष्य निर्धारित किया था कि उच्च शिक्षा में बिहार का सकल नामांकन अनुपात (जीइआर) 30% तक ले जायेंगे. 2021 की रिपोर्ट के अनुसार बिहार में यह अुनपात 19.3% तक पहुंच गया है.