राज्य के सभी मेडिकल कॉलेजों व अस्पतालों में ब्लैक फंगस का इलाज होगा. शनिवार को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने ट्वीट कर इसकी घोषणा की. उन्होंने अपने ट्वीट में लिखा कि राज्य में ब्लैक फंगस के मरीजों की संख्या में वृद्धि हुई है. स्वास्थ्य विभाग को सभी चिकित्सा महाविद्यालय एवं अस्पतालों को इसके इलाज के लिए आवश्यक व्यवस्था करने के लिए कहा गया है. वहीं, कोरोना से बचाव के लिए भी सावधानी की जरूरत है. वर्तमान में आइजीआइएमएस व एम्स में ब्लैक फंगस का इलाज किया जा रहा है. राज्य में ब्लैक फंगस के शुक्रवार तक 278 मामले पाये गये, जिनमें 20 से अधिक की मौत हो चुकी है. ब्लैक फंगस के मरीज के नाक व आंख में फंगस पाया गया जाता है. इससे मरीज को सांस लेने में व देखने में काफी तकलीफ हो जाती है.
बिहार में ब्लैक फंगस के मरीजों की संख्या में वृद्धि हुई है. स्वास्थ्य विभाग को सभी चिकित्सा महाविद्यालय एवं अस्पतालों में इसके इलाज के लिए आवश्यक व्यवस्था करने को कहा गया है. कोरोना से बचाव के लिए लगातार सावधानी जरूरी है.
नीतीश कुमार, मुख्यमंत्री
22 मई को स्वास्थ्य विभाग ने ब्लैक फंगस यानी म्यूकोरमायकोसिस को महामारी घोषित किया था. इसके बाद स्वास्थ्य विभाग की ओर से छह नियम बनाये गये हैं. इसमें सभी निजी और सरकारी अस्पतालों को सिविल सर्जन के माध्यम से ब्लैक फंगस के मरीजों की सूचना स्वास्थ्य विभाग को देनी होती है. इसके इलाज में केंद्र व राज्य सरकार की ओर से जारी गाइडलाइन का पालन सभी प्राइवेट व सरकारी अस्पतालों को अनिवार्य होगा. स्वास्थ्य विभाग की ओर से इसके इलाज के लिए समय-समय पर दिशा निर्देश जारी किये जायेंगे. प्रावधानों का उल्लंघन महामारी एक्ट के तहत दंडनीय होगा. इसकी अधिसूचना जारी होने की तिथि से एक वर्ष तक लागू है.
पटना के आइजीआइएमएस, पीएमसीएच व एनएमसीएच, दरभंगा का डीएमसीएच, भागलपुर का जेएलएनएमसी, मुजफ्फरपुर का एसकेएमसीएच, गया का एएनएमएमसीएच, बेतिया का मेडिकल कॉलेज, पावापुरी का वर्धमान मेडिकल कॉलेज, मधेपुरा का जेकेटीएमसीएच
POSTED BY: Thakur Shaktilochan