पटना. मरने से पहले अपने शरीर को दान करने को लेकर अब धीरे -धीरे लोग जागरूक होने लगे हैं. पटना के पीएमसीएच, आइजीआइएमएस और एम्स में बीते पांच वर्षों के दौरान 11 लोगों ने देहदान कर मानवता की मिसाल पेश की है. वहीं 508 लोगों ने दधीचि देहदान समिति के माध्यम से अपना शरीर दान करने के लिए संकल्प पत्र भर चुके हैं. इससे मेडिकल की पढ़ाई कर रहे छात्रों को बड़ी सहूलियत मिल रही है.
पीएमसीएच एनाटोमी विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष डॉ खुर्शीद आलम बताते हैं कि रिसीव किये गये मृत बॉडी को अगर अच्छे केमिकल में रखा जाये तो छह से सात साल तक बॉडी खराब नहीं होता है. पीएमसीएच में प्रति वर्ष 180 छात्र मेडिकल की पढ़ाई करते हैं. इस हिसाब से देखा जाये तो छह वर्षों में एक डेडबॉडी से करीब 1080 छात्रों को प्रैक्टिकल करने और पढ़ने में सहयोग मिलता है.
डॉ खुर्शीद आलम ने कहा कि देहदान को लेकर लोगों में धीरे-धीरे जागरूकता बढ़ रही है. एक दौर था जब हमारे पास मृत शरीर नहीं होते थे. ऐसे में छात्रों को मुश्किल होती थी. कोई अपने परिजनों का मृत शरीर देने को तैयार नहीं होता था. इसको लेकर हम लोगों ने जागरूकता अभियान भी चलाया. धीरे-धीरे लोगों को बात समझ में आने लगी और कुछ लोग मृत देह अर्पित करने को आगे आये.
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फिलहाल पांच बॉडी से 2160 एमबीबीएस छात्र कर रहे पढ़ाई
पीमएसीएच व आइजीआइएमएस में एमबीबीएस की पढ़ाई कर रहे मेडिकल छात्र कभी मृत देह की कमी से जूझ रहे थे. लेकिन देहदानियों की संख्या हाल के वर्षों में तेजी से बढ़ी है जिसका लाभ मानव शरीर की संरचना की पढ़ाई में मिल रहा है. वर्तमान में पीएमसीएच के एनाटोमी विभाग में दो व आइजीआइएमएस में तीन यानी कुल पांच बॉडी से एमबीबीएस प्रथम बैच के छात्र पढ़ाई कर रहे हैं.
एक बॉडी से अधिकतम छह साल तक छात्र पढ़ते हैं. इनमें कुछ बॉडी 2018 तो कुछ 2019 व 2021 में दान किया गया है. एक साल में 180 एमबीबीएस के छात्र पीएमसीएच व इतने ही आइजीआइएमएस में पढ़ाई करते हैं. दोनों कॉलेज मिलाकर कुल 2160 एमबीबीएस प्रथम इयर के छात्रों को पढ़ाई करनी है. इनमें करीब 30 प्रतिशत छात्र पढ़ाई भी कर चुके हैं.
क्या है देहदान की प्रक्रिया
देहदान करने के लिए 10 रुपये का स्टांप लेकर नोटरी से शपथ पत्र पर घोषणा करानी होती है. इसके बाद प्रमाणित कराना होगा. शपथ पत्र पर परिवार के दो सदस्यों के हस्ताक्षर कराने होंगे. शपथ पत्र प्राचार्य मेडिकल कॉलेज या एनाटॉमी विभागाध्यक्ष मेडिकल कॉलेज और एक कॉपी जिलाधिकारी को प्रेषित करनी होती है.
Posted by: Radheshyam Kushwaha