पिछले साल कोरोना में लगे लॉकडाउन में भले ही लोग घरों में रहे लेकिन शादियां होती रहीं. इस दौरान कम लोगों की उपस्थिति में कई जोड़ियां शादी के बंधन में बंध गयीं, लेकिन इन शादियों के साइड इफेक्टस पिछले साल जुलाई के महीने से पटना के महिला थाने में दिखने लगा.
महिला थाने की काउंसेलर सुप्रिया कुमारी ने बताया कि जुलाई से लेकर अब तक उनके पास ऐसे 47 मामले आ चुके हैं. दो मामलों में काउंसेलिंग से बात नहीं बनी, तो एफआइआर दर्ज हो चुकी है. शादी के कुछ ही महीने बाद लड़कियां थाने में शिकायत दर्ज करा रही हैं.
काउंसेलर ने आगे बताया कि लॉकडाउन और कोरोना की वजह से जब कपल एक साथ रहे, तो लड़की को पता चला कि जो जानकारी उन्हें शादी से पहले लड़के के बारे में दी गयी थी वह सही नहीं थीं. साथ रहते हुए इगो क्लैश, एक-दूसरे के लिए गलत भाषा का प्रयोग, लड़ाई-झगड़े, हाथ उठाने जैसे घटनाएं हुई.
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गर्दनीबाग की रहने वाली नीता (काल्पनिक नाम) की शादी मुजफ्फरपुर के रोहन (काल्पनिक नाम) से पिछले साल हुई. शादी के तीन महीने बाद ही नीता ने महिला थाने में शिकायत की कि वे पति के साथ नहीं रहना चाहती हैं. पता चला कि तालमेल न होने से आये दिन झगड़े होते हैं.
कंकड़बाग की रहने वाली शीला (काल्पनिक नाम) ने शादी के छह महीने के बाद ही महिला थाने में अपने पति का अपनी पूर्व गर्लफ्रेंड के संबंध होने का आरोप लगाया. लॉकडाउन में शादी हुई और एक-दूसरे के साथ समय बिताने की जगह वे अलग ही रहते थे.
जल्दबाजी में शादी का होना, एक-दूसरे को समझने का मौका न मिलना, परिस्थिति के साथ समझौता नहीं करना, इगो क्लैश, एकस्ट्रा मैरिटल अफेयर, प्रॉपर बैकग्राउंड की जानकारी न होना.
सुप्रिया कुमारी ने बताया कि ऐसे मामलों में हम पहले एक पक्ष को सुनते हैं और फिर दूसरे पक्ष को. दोनों की बातों को समझने के बाद असली वजह का पता चलता है. फिर हमारी ओर से दोनों की काउंसेलिंग की जाती है. दो से तीन काउंसेलिंग सेशन में हम कपल को साथ रहने और एक-दूसरे को मौका देने की बात करते हैं.
POSTED BY: Thakur Shaktilochan