अनिकेत त्रिवेदी, पटना. बीते दो दशक में पटना व आसपास के क्षेत्रों का काफी विकास हुआ है. सबसे अधिक सड़क कनेक्टिविटी बढ़ी है. पटना- बक्सर फोर लेन पटना जिले के बिहटा तक पूरा हो गया है. पटना रिंग में बिहटा-सरमेरा छह लेन का लगभग 70 फीसदी भाग पूरा हो गया है. भारतमाला प्रोजेक्ट में आमस दरभंगा फोर लेन में पटना जिले में फतुहा-धनरुआ में जमीन अधिग्रहण किया जा रहा है. दूसरी तरफ पटना शहर का विस्तार अब दानापुर, फुलवारी के अलावा बैरिया आदि क्षेत्र में हो चुका है. एक आंकड़े के अनुसार पटना जिले का क्षेत्रफल 3202 वर्ग किमी है, इसमें पटना शहर का क्षेत्रफल 250 किमी वर्ग किमी के लगभग पहुंच गया है. मगर, तमाम विकास के बावजूद आउटर पटना का आवासीय विकास अनियंत्रित ही रहा है. आसपास के क्षेत्रों में एक भी कॉलोनी योजनाबद्ध तरीके से नहीं बसी है.
पटना काे कई जोन में बांटकर विकास का खाका बनाने की योजना है. नगर विकास विभाग की ओर से जोनल मास्टर प्लान तैयार करने का काम एक एजेंसी को सौंपा गया है. यह एजेंसी पहले मास्टर प्लान की तकनीकी खामियों पर सर्वे कर एक साल में रिपोर्ट देगी. वहीं, पटना शहर की आबादी बढ़ने के बाद विस्तार के लिए के लिए पहला मास्टर प्लान वर्ष 1962 से 81 के लिए बना था. इसके बाद दूसरा मास्टर प्लान वर्ष 1962 से 81 तक के बना और इसको लागू कराने की जिम्मेवारी पीआरडीए को दी गई. अब तीसरा मास्टर प्लान वर्ष 2016 से वर्ष 2031 तक के लिए बना है, हालांकि मास्टर प्लान अभी तक जमीन पर नहीं उतरा. अब जोन वाइज विकसित करने की प्लानिंग चल रही है.
पटना में 1950 से 60 के बीच पाटलिपुत्र कॉलोनी के बाद राजेंद्रनगर और कंकड़बाग कॉलोनी बसी. आवास बोर्ड द्वारा बहादुरपुर में हाउसिंग कॉलोनी बनाई गई. इसके बाद न तो किसी सोसाइटी और न ही आवास बोर्ड द्वारा व्यवस्थित तरीके से एक भी कॉलोनी बसाई गई. अब ताे पटना का विस्तार फुलवारी और दानापुर इलाके तक हो गया है. बाइपास के दक्षिण रामकृष्ण नगर, खेमनीचक, बेउर, जबकि दानापुर में बेली रोड के दोनों ओर बसे माेहल्लाें का यही हाल है. अधिकांश बगैर नक्शा पास कराये घर बन गये हैं, इन मोहल्लों में ना तो कोई ठीक नाला है और ना ही चौड़ी सड़कें.
शहर के बाहरी क्षेत्रों में अगर योजनाबद्ध तरीके से विकास होता है तो हर जमीन की लैंड यूज प्लानिंग तय होगी. यानी इसमें आवासीय क्षेत्र, व्यावसायिक क्षेत्र, औद्योगिक क्षेत्र, स्कूल-कॉलेज, पार्क, पार्किंग, खेल मैदान, हरियाली जोन, सड़क आदि शामिल होंगे. सबसे पहले प्लानिंग के तहत सड़क बनेगी.
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पटना रिंग रोड : 130 किमी की रिंग रोड में 15 हजार करोड़ खर्च होंगे. इसके लिए जमीन अधिग्रहण की काम चल रहा है. इसमें वैशाली, सारण और पटना जिले में निर्माण किया जायेगा. इससे पटना जिले से अन्य शहरों की कनेक्टिविटी बढ़ जायेगी. पटना पहुंचना आसान हो जायेगा. बिहटा से यह सड़क कुम्हरार व मसौढ़ी के बीच जायेगी. दिघवारा में इसमें गंगा नदी पर पुल बनेगा.
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बिहटा सरमेरा रोड : नौबतपुर में बिहटा-सरमेरा स्टेट हाईवे 78 का निर्माण किया जा रहा है. बिहटा के कन्हौली से रामनगर तक की सड़क पटना रिंग रोड का पार्ट है.अब पटना से राजगीर पहुंचना काफी आसान हो रहा है. क्योंकि जल्द ही बिहटा-सरमेरा पथ और सालेपुर–तेलमर पथ आपस में जुड़ जाएंगी. इस पर 2015 के जुलाई से चल रहा निर्माण चल रहा है. स्टेट हाईवे-78 के इस एलाइनमेंट पर कन्हौली से रामनगर तक पटना रिंग रोड के हिस्से के रूप में यह छह लेन की सड़क बनाई जा रही है. वहीं भारत माला प्रोजेक्ट में आमस -दरभंगा फोर लेन के तहत पटना जिले में जमीन अधिग्रहण का काम किया जा रहा है.
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बिहटा -दानापुर एलिवेटेड : पटना-बक्सर फोरलेन में पटना जिले के बिहटा तक निर्माण पूरा हो गया है और बिहटा से दानापुर एलिवेटेड सड़क बनाने के लिए निविदा की प्रक्रिया चल रही है. यह 14 किमी की एलिवेटेड सड़क होगी. इसपर 14 सौ करोड़ के लगभग राशि खर्च होने का अनुमान है. इसके अलावा गंगा पाथ-वे का जुलाई तक गाय घाट तक निर्माण पूरा होगा और फेज टू में दीदारगंज तक वर्ष 2024 में पूरा किया जाना है.