पटना. तीसरी लहर में कोरोना के मामले बढ़ने पर पीएमसीएच, आइजीआइएमएस सहित छोटे सरकारी अस्पतालों में 10 साल तक के बच्चों के इमरजेंसी और सामान्य वार्ड में प्रवेश पर पाबंदी लगा दी गयी है. संबंधित अस्पतालों के ओपीडी में सिर्फ बीमार बच्चों को जाने की अनुमति दी जायेगी. सिविल सर्जन डॉ विभा सिंह ने बताया कि कोरोना के मामले को देखते हुए सभी अस्पतालों को अलर्ट करते हुए कोविड गाइडलाइन का पालन करने को कहा गया है. देखा जा रहा है कि अस्पतालों में भर्ती मरीजों के परिजन छोटे बच्चों को वार्ड में लेकर आ रहे हैं.
जबकि अस्पतालों में बहुत सारे डॉक्टर और स्वास्थ्य कर्मचारी पॉजिटिव हो गये हैं. साथ ही अस्पताल में कोरोना जांच कराने वाले बहुत से लोग पॉजिटिव आ रहे हैं. इस चलते अस्पताल प्रशासन व बच्चों के माता-पिता से अपील की जा रही है कि अपने साथ बच्चों को वार्ड में लेकर नहीं आएं. वहीं आइजीआइएमएस के मेडिकल सुपरिटेंडेंट डॉ मनीष मंडल ने बताया कि अस्पताल प्रशासन द्वारा गेट पर एक गार्ड को तैनात किया गया है. साथ ही लाउडस्पीकर से कहा जा रहा है कि परिजन 10 साल के भीतर के बच्चों को अस्पताल में न लाएं.
किडनी के गंभीर मरीजों को कोरोना सबसे ज्यादा अपना शिकार बना रहा है. शहर के सरकारी और प्राइवेट अस्पतालों में भर्ती मरीजों में 30 से 40% मरीजों को पहले से ही किडनी की पुरानी बीमारी है. पटना जिले में हालांकि विगत तीन दिनों से कोरोना की संख्या में 50% की कमी दर्ज की जा रही है, लेकिन रोजाना करीब 800 से एक हजार के बीच नये कोविड मरीज आ रहे हैं. इनमें पुराने किडनी के मरीजों को भर्ती कराना पड़ रहा है.
पीएमसीएच, आइजीआइएमएस, एम्स और एनएमसीएच के अलावा प्राइवेट अस्पताल मिलाकर कुल 187 मरीज कोविड वार्ड में भर्ती किये गये हैं. इनमें करीब 40 प्रतिशत किडनी की पुरानी बीमारी से ग्रस्त होकर अस्पताल पहुंचे हैं. इनमें 16 ऐसे किडनी से पीड़ित मरीज हैं, जो आइसीयू में ऑक्सीजन सपोर्ट पर हैं. इनमें किडनी रोगियों को संक्रमण की चपेट में आने के बाद वेंटिलेटर पर रखा गया है. अकेले पटना एम्स में सबसे ज्यादा 72 मरीज भर्ती हैं. इसी तरह पीएमसीएच में 12, आइजीआइएमएस में 13, एनएमसीएच में 9 मरीजों का इलाज चल रहा है. वहीं डॉक्टरों का कहना है कि 20 प्रतिशत गर्भवती महिलाएं व प्रसूताएं कोरोना की चपेट में आने के बाद भर्ती करायी गयी हैं.