कोरोना काल में सोने के बदले कर्ज लेने वालों में खासा इजाफा देखने को मिल रहा है. इसका मुख्य कारण कोविड काल में कइयों की नौकरी चली गयी, लॉकडाउन के कारण कारोबार पर प्रभाव पड़ा और कोविड-19 महामारी से कई घरों के मुखिया चल बसे. इससे आमदनी का साधन बंद हो गया. इसके कारण लोगों को गोल्ड लोन लेकर घर चलाना पड़ रहा है. मिली जानकारी के अनुसार बिहार में मार्च 2020 में तीन हजार करोड़ के गोल्ड लोन का कारोबार था, जिसमें मार्च 2021 तक 20 फीसदी से अधिक की वृद्धि हुई है.
कोरोना संकट के बीच रिजर्व बैंक ने आम आदमी और छोटे कारोबारियों को बड़ी राहत देते हुए गोल्ड ज्वेलरी पर लोन वैल्यू बढ़ाने का भी ऐलान किया. इससे गोल्ड लोन में अचानक इजाफा हुआ. रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक गोल्ड लोन में बड़ा उछाल आया है. वित्त वर्ष 2020-21 में राष्ट्रीय स्तर पर बैंकों ने कुल 60464 करोड़ रुपये का गोल्ड लोन बांटा, जबकि वित्त वर्ष 2019-20 में बैंकों ने 26192 करोड़ का गोल्ड लोन बांटा था. वहीं, सोने की कीमतों में इजाफे के बाद गोल्ड लोन मुहैया कराने वाली कंपनियों के स्टॉक की कीमत एकदम दोगुनी हो गयी है.
सोने के भाव तेजी से बढ़ने के बाद लोग इसे सुरक्षित निवेश मान कर चल रहे हैं और बैंक प्रबंधन भी इसे सुरक्षित लोन मान कर प्राथमिकता के आधार पर ऋण दे रहे हैं. बैंक एक सरल प्रक्रिया व न्यूनतम ब्याज पर कृषि व गैर कृषि कार्यों के लिए लोन उपलब्ध कराते हैं. फिलवक्त स्टेट बैंक इस समय गोल्ड लोन पर 7.50% की दर से ब्याज ले रहा है, वहीं, केनरा बैंक 7.65%, पीएनबी 8.60-8.85%, बैंक ऑफ बड़ौदा 9.75%, आइसीआइसीआइ बैंक 11% की दर पर गोल्ड लोन उपलब्ध करा रहा है.
भविष्य में सोने की कीमतों में बड़ी गिरावट हुई, तो कर्जदाता के पास गिरवी रखे सोने का मूल्य लोन की रकम से कम हो सकता है तथा बैंकों और एनबीएफसी के लिए कर्ज वसूलना मुसीबत बन सकता है, क्योंकि उनके पास गारंटी के तौर पर सिर्फ 10 से 20 फीसदी गोल्ड ही रह जायेगा. ऐसे में गोल्ड लोन अप्रूवल में ग्राहकों के सिबिल स्कोर की अब अहमियत बढ़ गयी है.
डीएन त्रिवेदी, संयुक्त सचिव, ऑल इंडिया बैंक ऑफिसर्स एसोसिएशन
POSTED BY: Thakur Shaktilochan