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बिहार में युवाओं के लिए अधिक घातक साबित हुआ कोरोना संक्रमण, पहली लहर से पांच गुनी अधिक दूसरी लहर में हुई मौतें

कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर अब धीरे-धीरे समाप्ति की ओर बढ़ रही है. रिकवरी रेट 95% के पार जा चुका है, जबकि संक्रमण दर दो फीसदी से नीचे आ गयी है. दूसरी लहर की शुरुआत कमोबेश मार्च के अंतिम दिनों व अप्रैल के शुरुआत से हुई थी.

अनिकेत त्रिवेदी, पटना. कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर अब धीरे-धीरे समाप्ति की ओर बढ़ रही है. रिकवरी रेट 95% के पार जा चुका है, जबकि संक्रमण दर दो फीसदी से नीचे आ गयी है. दूसरी लहर की शुरुआत कमोबेश मार्च के अंतिम दिनों व अप्रैल के शुरुआत से हुई थी.

एक अप्रैल से लेकर 28 मई के दौरान लगभग 58 दिनों में दूसरी लहर ने राज्य में जमकर कहर बरपाया है. सिर्फ 58 दिनों में चार लाख 37 हजार 155 लोग संक्रमित हुए हैं, जबकि 3425 लोगों की मौत कोरोना से अधिकारिक तौर पर हो चुकी है.

वहीं, कोरोना की पहली लहर ने भी बीते वर्ष मार्च के अंतिम सप्ताह या अप्रैल की शुरुआत से ही राज्य में पांव पसारना शुरू कर दिया था. वर्ष 2020 के 31 मार्च को राज्य में 22 कोरोना संक्रमित थे, जबकि एक संक्रमित की मौत हुई थी. फिर एक अप्रैल से लेकर 31 अगस्त तक कोरोना की पहली लहर ने विशेष तौर पर असर दिखाया.

31 अगस्त, 2020 तक राज्य में कोरोना संक्रमितों का आंकड़ा 1,38,265 पहुंच गया और मृतकों की संख्या 709 पहुंच गयी. इस हिसाब से देखा जाये जो पहली लहर के दौरान करीब 153 दिनों में एक लाख 38 हजार 243 लोग कोरोना से संक्रमित हुए और 707 लोगों की जान कोरोना से गयी.

इस हिसाब से देखा जाये तो राज्य में कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर का डेढ़ महीना पहली लहर के पांच माह पर काफी भारी पड़ा. दूसरी लहर के सिर्फ डेढ़ माह के दौरान ही मौत का आंकड़ा पहली लहर के पांच माह के दौरान हुई मौत के आंकड़े से 484% अधिक रहा. दूसरी लहर में कोरोना से शहर के साथ गांवों व सुदूर क्षेत्रों में भी अपना असर दिखाया.

खास बात यह रही कि दूसरी लहर के दौरान अस्पताल आने वाले अधिकतर लोगों में सांस लेने में दिक्कत की समस्या थी, जबकि पहली लहर में संक्रमित मरीजों में से अस्पताल में भर्ती हुए एक चौथाई मरीजों में भी सांस लेने की समस्या नहीं थी.

दूसरी लहर में इलाज के लिए रेमडेसिविर आदि जैसी अन्य दवाओं की भारी जरूरत पड़ी, जबकि पहली लहर के दौरान सामान्य इलाज से ही अधिकतर मरीज स्वस्थ हो गये थे. इसके अलावा तीसरा महत्पपूर्ण अंतर यह था कि पहली लहर के दौरान अधिकतर वृद्ध या किसी अन्य गंभीर रोग से ग्रसित लोगों की मौत कोरोना से हुई, जबकि दूसरी लहर में मरने वालों में काफी संख्या में नौजवान व पूर्व में स्वस्थ्य व्यक्ति भी शामिल थे.

पहली लहर जब कमजोर पड़ी (2020 )

तारीख जांच नये केस संक्रमण दर रिकवरी दर

  • 29 अगस्त 107730 2078 1.92 % 86.88%

  • 30 अगस्त 90024 1324 1.47% 87.70%

  • 31 अगस्त 115559 1928 1.66% 87.95%

  • 01 सितंबर 127404 1929 1.51% 88.00%

जब दूसरी लहर कमजोर पड़ी (2021 )

तारीख जांच नये केस संक्रमण दर रिकवरी दर

  • 25 मई 144105 3306 2.29% 94.87%

  • 26 मई 131916 2603 1.97% 94.87%

  • 27 मई 122126 2565 2.10% 95.24%

  • 28 मई 92173 1785 1.93% 95.76%

Posted by Ashish Jha

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