पटना. पटना में लोग सरकारी अस्पतालों में जैसे तैसे कोरोना जांच तो करबा लेते हैं, लेकिन उस जांच की रिपोर्ट का इंतजार कब खत्म होगा, इस सवाल का जबाव वो नहीं जानते हैं. यही कारण है कि पटना के लोग अधिक पैसे देकर प्राइवेट लैब में कोविड जांच करवाने को मजबूर हैं.
ऐसा इसलिए हो रहा है क्यों कि सरकारी अस्पतालों में जांच करवाने के 10 से 15 दिन बाद भी रिपोर्ट नहीं मिल पा रही है. ऐसे बहुत सारे लोग हैं जो सरकारी अस्पताल की जांच रिपोर्ट का इंतजार करते-करते थक गये.
अंत में उन्हें अधिक पैसे देकर प्राइवेट लैब में जांच करवाना पड़ गया. सरकारी अस्पतालों की व्यवस्था से थक हार के लोग अब निजी अस्पतालों में अधिक पैसा देकर अपनी जिंदगी बचाने में लगे हैं.
कंकड़बाग के रहने वाले विकास कुमार ने बताया कि 3 मई को जया प्रभा अस्पताल में करीब तीन घंटे लाइन में लगकर आरटी-पीसीआर कोविड जांच करवायी, लेकिन आज दस दिन होने को हैं न तो मोबाइल पर मैसेज आया और न ही अस्पताल में रिपोर्ट दी गयी.
बुधवार को जब वे अस्पताल गये, तो स्वास्थ्यकर्मियों ने कहा कि मोबाइल पर मैसेज आ जायेगा. उन्हें यह भी कहा गया कि जांच करना उनका काम है रिपोर्ट भेजना नहीं. थक हार के बुधवार को ही विकास ने 13 सौ रुपये देकर प्राइवेट लैब से आरटी-पीसीआर जांच करवायी.
एसकेपुरी के रहने वाले संजीव कुमार ने बताया कि 2 मई को गार्डिनर अस्पताल में आरटी-पीसीआर जांच करवायी थी. थोड़ा सिमटम्स लग रहा था, इसलिए रिक्स नहीं लिया. तुरंत जाकर अपना सैंपल दे दिया. लेकिन दस दिन से ज्यादा समय हो गया, न तो रिपोर्ट आयी न ही कोई मैसेज. जब अस्पताल जाते हैं तो वहां सही जानकारी नहीं मिल पाती.
चितकोहरा में रहने वाले काशीनाथ ने चार मई को आरटी-पीसीआर जांच करायी थी, लेकिन 12 मई तक उनकी रिपोर्ट नहीं आयी. उनका कहना है कि लक्षण के आधार पर उन्होंने जांच करायी थी. रिपोर्ट आने का इंतजार किये बिना उन्होंने कोरोना की दवाइयां शुरू कर दी. अब वे बिल्कुल ठीक हैं, लेकिन रिपोर्ट अब तक नहीं आयी.
Posted by Ashish Jha