पटना. बिहार पुलिस के हिरासत से 256 अभियुक्त फरार हो गये है. ये सभी आरोपी अभी तक लापता है. पुलिस की इस कार्यशैली पर पटना हाईकोर्ट ने नाराजगी जताई है. बिहार पुलिस की उदासीनता पर आश्चर्य जताते हुए पटना हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा है कि फरार आरोपियों को पकड़ने के लिए प्लान क्या है?. इसके लिए जो कार्य योजना बनायी गयी है उसे 13 मार्च तक प्रस्तुत करें. इसके साथ ही गोपालगंज में एक बंदी राजनाथ शर्मा के पुलिस हिरासत से भागने की CBI जांच का भी निर्देश दिया. बंदी राजनाथ शर्मा को गोपालगंज पुलिस ने हत्या के मामले में गिरफ्तार किया था.
पटना हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति चक्रधारी शरण सिंह (अब कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश) और न्यायमूर्ति राजेश कुमार वर्मा की खंडपीठ ने धनराज कुमार राय की तरफ से दायर एक आपराधिक रिट याचिका पर फैसला करते हुए सोमवार को यह फैसला सुनाया. इस मामले की अगली सुनवाई 13 मार्च को होगी. खंडपीठ ने बिहार पुलिस की कार्यशैली पर संदेह जताते हुए पुलिस हिरासत से फरार हुए अपराधियों के आंकड़ों पर रिपोर्ट मांगी है. 3 जनवरी को राज्य पुलिस मुख्यालय ने 256 अभियुक्तों का जिलेवार चार्ट प्रस्तुत किया, जो बिहार में पुलिस हिरासत से भाग गए थे और लापता थे.
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पुलिस के अनुसार, जो व्यक्ति उनकी हिरासत से भाग गए हैं और अभी भी लापता हैं. इनमें से 118 पटना और मुजफ्फरपुर जिले के थे. पटना हाईकोर्ट ने अपनी चिंता व्यक्त करते हुए कहा है कि गोपालगंज के कटेया थाने से आरोपी के फरार होने के मामले में विश्वास नहीं जगाया जा सकता है. क्योंकि उनकी निष्क्रियता स्पष्ट है और संदेह से मुक्त नहीं है. जानकारी के अनुसार याचिकाकर्ता ने बंदी प्रत्यक्षीकरण की एक रिट याचिका दायर की थी, जिसमें अपने भाई राजनाथ को पेश करने की प्रार्थना की गई थी. उसे 7 जून, 2022 को पुलिस ने हिरासत में ले लिया था और तब से उसका अता-पता नहीं चल रहा है. पूछे जाने पर, पुलिस ने याचिकाकर्ता को बताया कि वह उसी रात शौच के बहाने हिरासत से भाग गया था.