बिहटा के कन्हौली गांव में अपहरण के बाद छात्र तुषार की हत्या कर शव जलाने की दिल दहला देने वाली घटना को आरोपित पूर्व शिक्षक मुकेश ने कैसे अंजाम दिया, यह उसने खुद ही पीड़ित परिवार को बताया. पुलिस ने आरोपित को पीड़ित परिवार के पास ले गया और परिवार के सामने ही उसने कबूल किया कि मैंने उसकी हत्या की है.
16 मार्च की देर शाम 6:48 बजे तुषार ने अंतिम बार मां को कॉल किया. मां ने पूछा- बेटा कहां हो और कब आ रहे हो? तुषार ने कहा- मैं बस दो मिनट में आ जाऊंगा मां. उसके कुछ ही देर बाद तुषार के नंबर पर मुकेश ने वाट्सएप कॉल किया. इधर मुकेश ने एक ज्वेलरी दुकानदार से तुषार का मोबाइल नंबर लिया था. तुषार ने कॉल रिसीव किया और बोला- कौन? उधर से आवाज आयी- मैं विवेकानंद मेमोरियल स्कूल का टीचर मुकेश बोल रहा हूं. मुकेश ने तुषार से कहा- तुम कहा हो, जल्दी से कोचिंग में आ जाओ, तुम्हारी बहन के बारे में कुछ बताना है. तुषार ने फोन पर ही पूछा- क्या सर? मुकेश ने कहा-आओ, तुमको सब बताते हैं. इसके बाद तुषार ने कहा-सर, आ रहे तुरंत. इतना कहने के बाद मुकेश ने फोन काट दिया.
तुषार के वहां पहुंचते ही मुकेश ने उसे अपने साथ सबसे पहले सिकंदरपुर ले गया. वहां से किशुनपुरा और फिर उसके घर के सामने से होते हुए खेदलपुरा स्थित जंगल ले गया. मुकेश एक बैग रखे हुए था, जिसमें चाकू और पेट्रोल के अलावा बोरा और चादर भी था. तुषार पूछता रहा कि सर कहां ले जा रहे हैं, तो मुकेश ने कहा कि मुझे तुम्हारी बहन के बारे में जरूरी बात बतानी है. जब वह जंगल में पहुंचा, तो मुकेश ने बगैर देरी किये उसका गला दबाने लगा. इस दौरान जब तुषार छटपटाने लगा, तो मुकेश ने बैग से चाकू निकाल कर ताबड़तोड़ गोद दिया, जिससे उसकी मौके पर ही मौत हो गयी. इसके बाद तुषार को बोरे में डाल दिया और जंगल के अंदर ले गया. इसके बाद बैग से पेट्रोल निकाल शव को जला दिया. जलाने के बाद उसी पेट्रोल से अपने खून से सने हाथ को धो लिया. यही नहीं, मुकेश 17 मार्च की सुबह दोबारा उसी जगह गया और फिर से पेट्रोल डालकर शव को जलाया, लेकिन इसके बावजूद भी शव पूरी तरह नहीं जल सका.
मुकेश ने पुलिस को बताया कि उसके साथ कोई और साथी नहीं था और छिपाने के लिए जगह नहीं थी, इस वजह से उसने जंगल को चुना. पूछताछ में मुकेश ने बताया कि अपहरण के डेढ़ घंटे बाद ही तुषार की हत्या कर दी थी. पुलिस को शव के पास से एक जला हुआ सीमेंट का बोरा, लाल चादर, पेट्रोल का अर्धजला डिब्बा और कई सारे साक्ष्य मिले हैं. इसके अलावा फूटप्रिंट भी मिले हैं, जिसकी जांच एफएसएल कर रही है.
पुलिस को पूछताछ में मुकेश ने बताया कि तुषार की हत्या तो करनी ही थी. अगर उसकी हत्या नहीं करते तो वह पैसा मिलने के बाद भी घर जाकर बता देता. इसलिए मैंने हत्या की पूरी प्लानिंग तीन दिन पहले ही कर ली थी. स्कूल में पढ़ाई के दौरान ही तुषार के फैमिली बैकग्राउंड के बारे में मुझे पता था. कई जगहों पर जमीन है और पैसा भी बहुत है. मुकेश ने सोचा कि 40 लाख रुपये मांगेंगे, तो वह अपना कन्हौली वाली जमीन भी बेचकर दे देंगे.
एसएसपी राजीव मिश्रा ने बताया कि जब शव मिला और टीम तुरंत मुकेश के घर पर छापेमारी की, तो उसके परिवार वाले ही हमलोगों से पूछने लगे कि वह तो पिछले एक सप्ताह से घर ही नहीं आया है. हर दिन घर पर कर्जदार आ रहे हैं. तरह-तरह की बात कर रहे हैं और धमकी देकर जा रहे हैं. पुलिस को उस वक्त लगा कि मुकेश का शव होगा, लेकिन बाद में सीसीटीवी फुटेज ने तुषार की बॉडी का राज खोला.
एसएसपी ने बताया कि छह महीने पहले तुषार मोबाइल की जिद को लेकर घर छोड़कर भाग गया था. काफी खोजबीन के बाद वह बाइपास स्थित एक लाइन होटल पर खाना खाता पाया गया था, जिसके बाद परिवार वालों ने उसे मोबाइल दिलाया. इधर, कुछ दिनों से वह बाइक लेने की जिद कर रहा था. शुरुआती जांच में पुलिस को लगा कि शायद तुषार बाइक को लेकर खुद ही इस तरह का काम कर रहा है.
एसएसपी राजीव मिश्रा ने प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कहा कि यह दिल दहला देने वाली घटना है. फिलहाल इस मामले में अन्य किसी की भी संलिप्तता नहीं आयी है. उन्होंने लोगों से अपील की है कि कर्ज या फिर अपने किसी भी लोभ के लिए कोई भी गलत काम न करें. मुकेश ने अपने कर्ज को खत्म करने के लिए एक छोटे-से बच्चे का सहारा लिया और उसकी हत्या कर दी.
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घटना के बाद तीन टीमों का हुआ गठन
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एक टीम दोस्तों से कर रही थी पूछताछ
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दूसरी टीम सीसीटीवी खंगाल रही थी
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तीसरी टीम तकनीकी अनुसंधान में जुटी थी
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एएसपी पालीगंज, बिहटा, नौबतपुर, शाहपुर, स्पेशल सेल की टीम, डायल 100 की टीम जांच में थी शामिल