पटना. यात्रियों की संख्या में कमी आने से पटना एयरपोर्ट से आने-जाने वाले विमानों की संख्या में 21 से 50 फीसदी तक की कमी आयी है. बुधवार को पटना एयरपोर्ट से केवल 24 फ्लाइटों ने उड़ान भरी, जबकि शेड्यूल फ्लाइटों की संख्या 38 थी. ऐसा नहीं कि केवल बुधवार को ऐसी स्थिति थी बल्कि कोरोना की तीसरी लहर की शुरुआत के साथ ही पिछले 15 दिनों से ऐसी ही स्थिति बनी है. इस दौरान सोमवार से शुक्रवार तक आने-जाने वाली फ्लाइटों की संख्या 19 से 24 के बीच रह रही है, जबकि शेड्यूल फ्लाइटों की संख्या अलग-अलग दिन 36 से 40 के बीच है. इस प्रकार इस दौरान केवल 50 से 63 फीसदी तक फ्लाइट ऑपरेशन हो रहे हैं. शनिवार और रविवार को पैसेंजर लोड बढ़ने के कारण 30 तक फ्लाइटें आ जा रही हैं, जो शेड्यूल फ्लाइटों का 79 फीसदी है.
बुधवार को पटना से जाने वाले हवाई यात्रियों की संख्या 2373 रही. 24 फ्लाइटों ने यहां से उड़ान भरी, जिनकी औसत अक्यूपेंसी (भरी सीटों की संख्या) 99 रही, जो लगभग 55 फीसदी थी. बीते मंगलवार को 23 फ्लाइटों से 2323 हवाई यात्रियों ने यात्रा की. इनका औसत अक्यूपेंसी रेट 101 रहा, जो लगभग 56 फीसदी थी. सोमवार को 19 फ्लाइटों से 1993 हवाई यात्रियों ने यात्रा की और औसत अक्यूपेंसी रेट 104 ( 58 फीसदी) रहा.
रविवार को 30 फ्लाइटों से 3411 हवाई यात्रियों ने यात्रा की और औसत अक्यूपेंसी रेट 113 (63 फीसदी) रहा. इस प्रकार बीते 15 दिनों से विभिन्न फ्लाइटों की 50 से 70 फीसदी सीटें ही भर पा रही हैं. कम अक्यूपेंसी रेट की वजह से एयरलाइंस फ्लाइटों को आपस में मर्ज कर रही हैं, ताकि फ्लाइट ऑपरेशन को आर्थिक रुप से नुकसानदेह होने ने बचाया जा सके, इसके बावजूद ऐसी स्थिति है.
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हर दिन बड़ी संख्या में फ्लाइटों के रद्द होने के कारण उनके यात्रियों को रीशेड्यूल भी करना पर रहा है, जिससे उनकी परेशानी बढ़ गयी है. जिन फ्लाइटों को रद्द करने की पहले सूचना दे दी जा रही है और यात्रियों को रीशेड्यूल का विकल्प मिल जा रहा है उन्हें कम परेशानी हो रही है. लेकिन जिन फ्लाइटों को अचानक रद्द किया जा रहा है, उनके यात्रियों को बहुत अधिक परेशानी हो रही है.