केंद्रीय बजट को लेकर बिहार इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के सभागार में आयोजित प्रभात खबर संवाद में बिहार इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के पदाधिकारियों ने अपने विचार रखे. इस दौरान पदाधिकारियों ने कहा कि उद्योगों को बढ़ाने के लिए केंद्रीय बजट में कई प्रावधान किये जाने की जरूरत है. आम बजट में बिहार राज्य को विशेष दर्जा के साथ -साथ विशेष पैकेज मिलना चाहिए, इससे राज्य का विकास तेज गति से होगा. साथ ही उच्च शिक्षा में निवेश करने वाले टैक्सपेयर्स के लिए अतिरिक्त टैक्स प्रोत्साहन एक अच्छा कदम होगा.
बीमा योजनाओं पर खर्च की गयी राशि पर कर कटौती की अनुमति देने के लिए बजट में एक विशेष नयी धारा शुरू की जानी चाहिए. जटिलताओं और विसंगतियों को दूर करने के लिए पूंजीगत लाभ टैक्स पर इसकी दरों और समय अवधि के संबंध में नये सिरे से विचार करने की आवश्यकता है. सरकार को सुधार के अपने अगले प्रयास में व्यक्तिगत आयकर की दरों में कमी पर विचार करना चाहिए, क्योंकि इससे लोगों की आय में वृद्धि होगी और बाजार में मांग बढ़ेगी. केंद्रीय खरीद नीति में सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग (एमएसएमइ) से 20 फीसदी तथा एससी-एसटी वर्ग की एमएसएमइ से चार फीसदी खरीदी के नियम का कड़ाई से पालन कराने के लिए एक पोर्टल विकसित किया जाये.
विकास के पैमाने पर कायम क्षेत्रीय असंतुलन को समाप्त करने के प्रयास के मद्देनजर केंद्र सरकार केंद्रीय आम बजट में बिहार राज्य को विशेष दर्जा के साथ -साथ विशेष पैकेज की घोषणा करे. आज की तारीख में राज्य की औसत प्रति व्यक्ति आय लगभग 40 हजार रुपये है. जबकि देश का प्रति व्यक्ति आय लगभग 1.50 लाख रुपये है. यानी बिहार राज्य देश की औसत आय से एक तिहाई है. इस बड़े अंतर को कम करने के लिए निश्चित रूप से विशेष पैकेज की आवश्यकता है. पिछले कई सालों से बिहार राज्य को विशेष दर्ज या विशेष पैकेज की मांग की जा रही है, लेकिन सरकार इस मुद्दे पर कोई ध्यान नहीं दे रही है. राज्य की पिछड़ेपन तथा आधारभूत संरचना को विकास परक बनाने के दृष्टिकोण से यह अपेक्षा है कि केपेक्स फंड से केंद्र सरकार बिहार को 50 हजार करोड़ रुपये ऋण उपलब्ध कराने की बजट में प्रावधान करें. एमएसएमइ सेक्टर के उद्योगों के द्वारा लिये जाने वाले सभी प्रकार के ऋण को पूरी तरह से बीमा सुरक्षा दिया जाये, जिससे बैंक उधार देने में संकोच न करें.
अरुण अग्रवाल, अध्यक्ष, बिहार इंडस्ट्रीज एसोसिएशन
पर्यटन क्षेत्र को मुख्य धारा में लाने का लक्ष्य केंद्र सरकार का है. पर्यटन सेक्टर राज्य के आर्थिक विकास में काफी अहम योगदान दे सकती है. बोधगया, राजगीर, वैशाली, नालंदा और पावापुरी को पूरे देश के साथ मिलाकर प्रचार करने की आवश्यकता है. बिहार में भी शहरीकरण की आवश्यकता है. इसके लिए केंद्र सरकार को आम बजट में दूसरा शहर क्रिएट करने की घोषणा किया जाये, तो सूबे का आर्थिक विकास के साथ सामाजिक विकास होगा. केंद्रीय बजट में अपेक्षा रखते हैं कि बजट में बिहार के पर्यटन के लिए कुछ विशेष प्रावधान किया जायेगा.
नागेंद्र कुमार, उपाध्यक्ष
बिहार में औद्योगिक विकास के लिए सबसे प्रमुख जरूरत लॉजिस्टक पार्क बनाने की है. इससे माल ढुलाई की लागत कम हो जायेगी. पार्क खुलने से प्रतियोगिता भी बढ़ेगी. साथ ही वेयर हाउस का खर्च भी कम होगा. यहां से छोटे व्यापारी माल खरीद कर ले जा सकते हैं. व्यापारी के साथ आम जनता को भी राहत मिलेगी. साथ ही फूड पार्क की आवश्कता है. इसके लिए सरकार को लॉजिस्टक और फूड पार्क बनाने की घोषणा बजट में होने की उम्मीद है. सूबे में मेडिकल टूरिज्म की काफी संभावनाएं हैं. खासकर नेपाल, वर्मा, भूटान, बांग्लादेश आदि देशों से पर्यटक बड़ी संख्या में आयेंगे.
मनीष कुमार, कोषाध्यक्ष
केंद्र सरकार बिहार राज्य जैसे राज्य को आगे लाने के लिए अब तक कुछ नहीं किया है. खासकर बिहार के लिए. बिहार में औद्योगिक गति के लिए बूस्टर डोज की आवश्यकता है. एसीजेड की तरह प्रावधान होना चाहिए. केंद्रीय आम बजट में बिकार के विकास के लिए कदम उठाना की जरूरत है. जब तक बिहार का विकास नहीं होगा तब तक देश का विकास नहीं होगा. पीएलआइ स्कीम को देश के औद्योगिक रूप से पिछड़े राज्यों तथा जिलों के लिए नये रूप से रूप विशेष प्रोत्साहन के साथ लाने की आवश्यकता है. इससे क्षेत्रीय विषमताएं दूर होंगी.
राम लाख खेतान, पूर्व अध्यक्ष
लगभग सभी की यह मांग है कि जीएसटी के स्तर (स्लैब) कम किये जाएं. साथ ही जीएसटी की दरें भी कम हों. केंद्र और राज्य सरकार इज ऑफ डूइंग बिजनेस की बात करती हैं, लेकिन जमीनी स्तर पर इसका पालन ठीक से नहीं होता. उद्योग स्थापित करने के लिए कई समस्याओं से जूझना पड़ता है. सोलर एनर्जी को प्रोत्साहित करने के लिए आयकर में छूट का प्रावधान सरकार को इस बजट में करना चाहिए. सूक्ष्म एवं मध्यम उद्योगों के लिए क्रेडिट गारंटी फंड ट्रस्ट बनाया जाए या क्रेडिट गारंटी फॉर स्टैंडअप इंडिया स्कीम में एससी-एसटी वर्ग के उद्यमियों के लिए ऋण गारंटी कवर की सीमा कम से कम पांच करोड़ तक की जाये.
आशीष रोहतगी, पूर्व महामंत्री
सबसे पहले तो जीएसटी के टैक्स स्लैब (कर स्तर) कम करना चाहिए. आयकर रिटर्न भरने की सुविधा और आसान की जानी चाहिए. अभी बिना कंसल्टेंट के रिटर्न फाइल नहीं कर सकते. छोटे केस में रिटर्न जल्दी आ जाता है, लेकिन बिजनेस के मामलों में ऑडिट के बाद भी ज्यादा समय लगता है. असेसमेंट में बहुत सारी रिकवरी निकाल दी जाती है. हजारों केस समाधान (रेक्टिफिकेशन) में चले जाते हैं. साथ ही बीमा हर किसी के लिए एक महत्वपूर्ण पहलू है और सरकार को सभी वेतनभोगी और अन्य टैक्सपेयर्स को प्रारंभिक चरण में बीमा योजना खरीदने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए ताकि वे जीवन भर बीमाकृत रहें.
आशीष अग्रवाल, को- चेयरमैन , टैक्सेशन सब कमेटी
उद्योगों को पंख लगाना है, तो जीएसटी की दरें कम करनी होंगी. शिक्षण संस्थान और कौशल विकास केंद्र पर लगने वाले जीएसटी का कम या समाप्त होना चाहिए. सरकार इज आफ डूइंग बिजनेस की बात करती है, लेकिन धरातल में उतना सब कुछ नहीं हो पाता. सड़क समय पर तैयार हो, इसके लिए बजट में विशेष बजट का प्रावधान होना चाहिए. साथ ही पटना के पास एक नया एयरपोर्ट बनना चाहिए, जहां हर तरह का विमान उतर सके. सरकार को सड़कों, रेलवे और बंदरगाहों जैसे पारंपरिक बुनियादी ढांचे के साथ ग्रीन एनर्जी के बुनियादी ढांचे पर अपने खर्चों को बढ़ाने पर विचार करना चाहिए.
एकेपी सिन्हा, पूर्व उपाध्यक्ष
आयकर छूट का दायरा पांच लाख से ज्यादा करने की जरूरत है. इसके अलावा कर की दरें भी कम करने की आवश्यकता है. दूसरी बात यह कि कई बार रिफंड आने में बहुत देर हो जाती है. ऐसी प्रक्रिया बनाएं कि रिटर्न भरने के बाद जल्दी रिफंड मिल जाये. इज आफ डूइंग बिजनेस की बात खूब सुनने को मिलती है, पर आयकर भरने की सरल प्रक्रिया, कर से छूट और रिफंड को भी इसमें महत्व दिया जाना चाहिए. साथ ही अन्य टैक्स पेयर्स को एयरपोर्ट ओर रेलवे स्टेशनों पर विशेष सुविधा देनी चाहिए. इससे अन्य टैक्सपेयर्स का मनोबल बढ़ेगा.
अरविंद कुमार, चेयरमैन, बैंकिंग सब कमेटी
सूबे में गया में चल रहे डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर का निर्माण तेजी से हो इसके लिए अधिक फंड का प्रावधान इस बार के केंद्रीय बजट में आना चाहिए. कॉरिडोर का विस्तार भी होना चाहिए. कॉरिडोर का निर्माण कार्य पूरा होने के बाद इस ट्रैक पर माल गड़ियों का परिचालन आसानी और तेजी से होगा. राज्य के पास गंगा नदी है, जिसका उपयाेग परिवहन के रूप में बड़े पैमाने पर कर सकते हैं. इसके लिए केंद्र सरकार ने घोषणा कर रखी है, लेकिन अभी तक यह परिवहन व्यवस्था सुचारु नहीं हो पायी है.
जीपी सिंह , पूर्व उपाध्यक्ष
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पूंजीगत लाभ टैक्स पर इसकी दरों और समय अवधि पर फिर से हो विचार
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सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग पर विशेष ध्यान देने की जरूरत
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बजट में बिहार के पर्यटन के लिए कुछ विशेष प्रावधान हो
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जीएसटी की दरें भी कम हों.
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आयकर छूट का दायरा पांच लाख से ज्यादा करने की जरूरत