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खुलासा: तृतीय वर्ग के कर्मचारी पर कमाई में सबसे आगे, राजेश गुप्ता से ढाई गुनी ज्यादा अवैध संपत्ति एलइओ के पास

Bihar News निगरानी ब्यूरो की टीम जब दीपक कुमार शर्मा के पटना स्थित आवास पर रेड करने पहुंची, तो उनकी पतनी ने टीम को भरमाने की कोशिश की.

बिहार में अब तक भष्टाचार के खिलाफ जितनी भी कार्रवाई हुई है, उनमे से सबसे बड़ा मामला हाजीपुर के श्रम प्रवर्तन पदाधिकारी (लेबर इंफोर्समेट ऑफिसर) दीपक कुमार शर्मा का है. अब तक 10 करोड़ रुपये का डीए केस किसी पदाधिकारी के खिलाफ नहीं बन पाया है. इससे पहले रोहतास के जिला भू-अर्जन पदाधिकारी राकेश कुमार गुप्ता सबसे ज्यादा डीए केस वाले अधिकारी थे, लेकिन अब दीपक कुमार शर्मा के पास उनसे करीब ढाई गुनी ज्यादा संपत्ति मिलने से भष्टाचार के मामले मे वे दूसरे पायदान पर चले गये है.

पत्नी ने की निगरानी टीम को भरमाने की कोशिश

निगरानी ब्यूरो की टीम जब दीपक कुमार शर्मा के पटना स्थित आवास पर रेड करने पहुंची, तो उनकी पत्नी ने टीम को भरमाने की कोशिश की. उन्होंने कह दिया कि यह उनका घर नहीं है. वे किरायेदार है. असल मकान मालिक नीचे रहते है. जब टीम ने नीचे पहुंच कर पूछताछ की, तो किरायेदार ने सही सूचना दे दी. टीम के सदस्य उनके घर के अंदर जाने लगे, तो पत्नी ने काफी विरोध किया.

बिहारशरीफ में पोस्टमास्टर हैं पत्नी, संपत्ति की होगी जांच

जांच के दौरान यह बात सामने आयी है कि दीपक कुमार शर्मा की पत्नी बिहारशरीफ के पोस्ट ऑफिस में पोस्टमास्टर है. ऐसे में उनकी अब तक की कमाई और निवेश जुड़ी तमाम बातों की विस्तार से जांच हो सकती है, ताकि यह पता चल सके कि इनकी काली कमाई में पत्नी की भी हिस्सेदारी है या नहीं. उनकी पत्नी 1994 से पोस्ट ऑफिस में नौकरी कर रही है.

दीपक कुमार शर्मा 1997 में नौकरी में आये और अपनी 24 साल की नौकरी में करोड़ों रुपये की अकूत संपत्ति जमा कर ली, जबकि वे तृतीय वर्ग के कर्मी है और उनका ग्रेड पे- चार हजार 600 वाला है. उनके पास से 18 बैकों के डेबिट कार्ड भी मिले है, यानी इतने खाते मिले है, लेकिन लॉकर नहीं मिला. समझा जा रहा है कि इसकी जानकारी उन्होने छिपा कर कही रखी है. उसकी तलाश भी जारी है.

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जिले के अधिकारी मानते थे चेकपोस्ट का हीरो

भभुआ कार्यालय. हाजीपुर के श्रम पवर्तन पदाधिकारी दीपक कुमार शर्मा 13 साल तक कैमूर में ही पदस्थापित थे. खास बात यह कि वह इन 13 साल में लगभग आठ साल अवैध कमाई के लिए चर्चित एनएच दो पर स्थित चेकपोस्ट पर ही तैनात रहे. यही नहीं, कैमूर के अधिकारी उनको चेकपोस्ट का हीरो मानते थे. 13 साल में छह बार उनकी चेकपोस्ट पर पतिनियुक्ति की गयी.

हर बार सरकार का राजस्व बढ़ाने का हवाला देकर उसकी पतिनियुक्ति चेकपोस्ट पर कर दी जाती थी. दीपक कुमार शर्मा अधिकारियों के इतने चहेते थे कि श्रम संसाधन विभाग अगर उसका ट्रांसफर कैमूर से अन्य जिलों में कर देता था, तो यहां से उन्हें एक-एक साल तक विरमित ही नहीं किया जाता था और उसका ट्रांसफर रोकने के लिए जिले के अधिकारी राजस्व का हवाला देकर श्रम आयुक्त तक को पत्र लिखते थे.

अलग-अलग प्रखंडो में ही बिता दिया 13 साल

दीपक शर्मा 2008 से 2020 तक कैमूर के अलग-अलग पखंडों में रहे. इन 13 सालो उनकी छह बार चेकपोस्ट पर पतिनियुक्ति की गयी. लगभग आठ साल वे चेकपोस्ट पर ही रहे. 15 जुलाई ,2020 को जब उनका स्थानांतरण हाजीपुर हुआ, तो इस बार वे ट्रांसफर नहीं रुकवा सके. श्रम संसाधन विभाग ने तबादले के साथ 15 जुलाई 2020 से उन्हे स्वत: विरमित कर दिया. इस बार जिले के अधिकारियों पर विरमित करने का काम नहीं छोड़ा.

Posted by: Radheshyam Kushwaha

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