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ईओयू की छापेमारी: खनन विभाग के अधिकारी के खाते में डेढ़ करोड़ से अधिक रुपये, शोरूम और फ्लैटों के भी मालिक

बालू के काले कारोबार मेंं खनन विभाग के अधिकारी संजय कुमार करोड़पति बन गये. पटना में लहंगा का शोरूम तो नोएडा में दो फ्लैटों के भी मालिक बन गए. ईओयू की टीम ने बुधवार को छापेमारी की तो बैंक में डेढ करोड़ रूपये निकले.

अवैध बालू खनन के मामले में खान एवं भूतत्व विभाग के सहायक निदेशक (मुख्यालय) संजय कुमार के दो ठिकानों पर इओयू (आर्थिक अपराध इकाई) ने बुधवार को छापेमारी की. इस दौरान आय के वैध स्रोतों से 51% अधिक संपत्ति पायी गयी है. अवैध संपत्ति का मूल्य करीब एक करोड़ 20 लाख रुपये है. उनका पटना में लहंगे का एक शोरूम, नोएडा (यूपी) में दो फ्लैट और 17 बैंक खातों में जमा डेढ़ करोड़ से ज्यादा रुपये मिले हैं. इसके अलावा दो बैंक लॉकर भी मिले हैं, जिन्हें इओयू ने सील कर दिया है.

शोरूम में लाखों का निवेश

उनके जिन दो ठिकानों पर छापेमारी की गयी, उनमें पटना के आर्य कुमार रोड स्थित आवास और खेतान मार्केट के निचले तल्ले पर मौजूद दुकान संख्या बी-67/72 शामिल है. खुशी लहंगा हाउस नाम की यह दुकान लहंगा समेत शादी के कपड़ों का शोरूम है. इसमें लाखों का निवेश किया गया है. नोएडा में उनके दो फ्लैटों में एक थ्री बीएचके और एक टू बीएचके है. इसके अलावा उनके 17 बैंक खाते मिले हैं, जिनमें एक चालू खाता और 16 बचत खाते हैं. इन खातों में एक करोड़ 58 लाख 85 हजार रुपये जमा हैं. आइसीआइसीआइ बैंक, एचडीएफसी, एसबीआइ, एक्सिस बैंक, इन्डसइंड बैंक और बैंक ऑफ इंडिया बैंकों में ये खाते उनके और पत्नी दोनों के नाम पर हैं.

जमीन व शेयर में भी निवेश

इनके आ‌वास पर छापेमारी के दौरान जीवन बीमा, किसान विकास पत्र, एनएससी समेत अन्य में करीब 67 लाख रुपये के निवेश के प्रमाण मिले हैं. इसके अलावा कई स्थानों पर प्लॉट और शेयर में निवेश से संबंधित कागजात मिले हैं. फिलहाल इनकी गहन जांच चल रही है. इसके बाद ही यह स्पष्ट होगा कि इनमें कितने का अवैध निवेश किया गया है. उनके खिलाफ छापेमारी की कार्रवाई जारी है. जांच की कार्रवाई पूरी होने के बाद अवैध संपत्ति का यह आकड़ा बढ़ने की संभावना है.

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1987 में खनन विभाग में ज्वाइन किया था

संजय कुमार ने खनन विभाग में 1987 में जियोलॉजिकल अधिकारी के पद ज्वाइन किया था. बाद में वह प्रोन्नति प्राप्त करते हुए सहायक निदेशक के पद तक पहुंच गये. बीच में वह कुछ जिलों में जिला खनन पदाधिकारी भी रहे, लेकिन फिर मुख्यालय लौट आये. इओयू की जांच में बालू माफिया और बिचौलियों से उनकी सांठगांठ की बात सामने आयी.

Posted By: Thakur Shaktilochan

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