राजधानी पटना सहित बिहार के कई जिलों में आई फ्लू का प्रकोप जारी है. पटना के पीएमसीएच, आइजीआइएमएस, एनएमसीएच व पटना एम्स मेडिकल कॉलेज की ओपीडी में पहुंचने वाला हर पांचवां व्यक्ति यानि 20 प्रतिशत मरीज आई फ्लू की चपेट में है. मंगलवार को आइजीआइएमएस, पीएमसीएच व राजेंद्र नगर नेत्रालय के नेत्र रोग विभाग में आई फ्लू के करीब 510 मरीज इलाज के लिए पहुंचे. इनमें सबसे अधिक आइजीआइएमएस में 198, पीएमसीएच में 156 और 56 मरीज राजेंद्र नगर नेत्रालय में इलाज कराने पहुंचे थे. हालांकि डॉक्टरों का कहना है कि बीमारी को लेकर अधिकांश मरीज जागरूक हो गये हैं, आंख लाल होते ही ओपीडी में आ रहे हैं. आई ड्राप आदि दवा देकर बीमारी को ठीक किया जा रहा है. मरीजों को भर्ती नहीं करना पड़ रहा है.
एंटीबायोटिक आई आईन्टमेन्ट का प्रयोग करें
आइजीआइएमएस आई बैंक के इंचार्ज व नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ निलेश मोहन ने बताया कि नेत्र विशेषज्ञों से परामर्श कर एंटीबायोटिक, लुब्रिकेटिंग आई ड्रॉप्स, एंटीबायोटिक आई आईन्टमेन्ट का प्रयोग करें. गहरे कलर का चश्मा पहन सकते हैं. आंखों को उबली हुई रूई या स्टेराइल आइ-वाइप से 3-4 बार साफ करें. जिस आंख में संक्रमण हो उसे नीचे रखकर करवट लेकर सोएं.
आई मेकअप का उपयोग कम से कम करें
डॉ निलेश ने बताया कि आई-फ्लू से पीड़ित रोगी की आंख में दवा डालते समय इस बात का ध्यान रखें कि दवा के आगे वाला भाग रोगी की आंख और अंगुलियों को स्पर्श न करें. दवा डालने से पहले और बाद में अपने हाथों को साबुन से धो लें. आई-फ्लू से पीड़ित व्यक्ति आंखों को साफ करने के लिए स्टेराइल आई-वाईप का उपयोग कर सकते हैं. उन्होंने कहा कि आई-फ्लू से पीड़ित व्यक्ति अपना चश्मा, तोलिया, रूमाल, तकिया आदि अलग रखें. मानसून के दिनों में आई मेकअप का उपयोग कम से कम करें. अपने आई मेकअप को दूसरे के साथ सांझा नहीं करें.
आई फ्लू को ना लें हल्के में
कंजेक्टिवाइटिस के सबसे आम और पहचानने योग्य लक्षणों में से एक आंखों का लाल होना है. ब्लड वेसल्स के फैलाव के कारण कंजक्टिवा में सूजन हो जाती है, जिसकी वजह से आंखें गुलाबी या लाल दिखाई देने लगती है. यह रेडनेस एक या दोनों आंखों को प्रभावित कर सकती हैं. अगर आपकी आंख लगातार लाल या गुलाबी रंग की नजर आ रही है, तो यह आई फ्लू का लक्षण हो सकता है. बरसात यानी मानसून सीजन के समय यह आम परेशानी होती है. आंख आना यानी जिसे आई फ्लू कहते हैं. ये तकलीफ आंखों के लाल होने से शुरू होती है और उसके साथ आंख में खुजली, चुभन और कई बार सूजन भी आ जाती है. आई फ्लू जिसे कंटंक्टिवाइटिस भी कहते हैं, उसके होने की तीन अलग अलग वजह भी हो सकती हैं.
आई फ्लू के प्रकार
आई फ्लू सिर्फ एक ही तरह से नहीं होता. आई फ्लू के तीन अलग अलग प्रकार होते हैं. आई फ्लू बैक्टीरियल भी होता है. इसके अलावा आई फ्लू वायरस से भी होता है. किसी किसी को इस मौसम में एलर्जी के चलते भी आई फ्लू हो जाता है.
हाथों के जरिए सबसे ज्यादा फैलता है आई फ्लू का इंफेक्शन
आई फ्लू से बचने का सबसे कारगर तरीका है अपने हाथों की और अपने आस पास की सफाई रखना. आई फ्लू का इंफेक्शन हाथों के जरिए सबसे ज्यादा फैलता है. इसलिए हाथों को बार बार धोने की सलाह दी जाती है. अगर आप किसी आई फ्लू वाले व्यक्ति के संपर्क में आ जाते हैं और इसका शिकार हो जाते हैं सबसे पहले खुद को आइसोलेट कर लें. कॉन्टेक्ट लेंस लगाते हैं तो उसका उपयोग कुछ समय के लिए बंद कर दें. लोगों के बीच में कुछ दिन न जाएं. पूल और पार्टियों से भी दूर रहें. आई फ्लू का इलाज इस बात निर्भर करता है कि वो किस तरह का आई फ्लू है. अगर वायरल आई फ्लू है तो वो सेल्फ लिमिटिंग टाइप का आई फ्लू होता है जो समय के साथ ठीक हो जाता है. लेकिन नेत्र चिकित्सक से मिलना जरूरी है. बैक्टीरियल और एलर्जिक आई फ्लू की जांच के बाद उसका ट्रीटमेंट किया जाता है. इसके साथ ही आंखों में ठंडी सिकाई भी की जा सकती है.
आंखों से डिस्चार्ज निकलना
कंजेक्टिवाइटिस की वजह से अक्सर आंखों के प्रभावित हिस्से से डिस्चार्ज होने लगता है. हालांकि इसकी कंसिस्टेंसी और रंग अलग हो सकता हैं. आंखों से निकलने वाला यह डिस्चार्ज पतला, पानी जैसा तरल भी हो सकता है या फिर पीले या हरे रंग का गाढ़ा पदार्थ भी हो सकता है. इसकी वजह से पलकों के आसपास पपड़ी भी जम सकती है. खासकर सोने के बाद. अगर आपको भी आंखों में इस तरह का असामान्य डिस्चार्ज देखने को मिल रहा है, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें.
खुजली और जलन
आंखों में तेज खुजली और जलन भी कंजेक्टिवाइटिस के सामान्य लक्षण हैं. दरअसल कंजक्टिवा में सूजन की वजह से यह समस्या हो सकती है. अगर आपको लगातार आंखों को रगड़ने या मलने की तीव्र इच्छा हो रही है तो यह कंजेक्टिवाइटिस हो सकता है. हालांकि ध्यान रखें कि इस दौरान आंखों को रगड़ने से बचें, क्योंकि इससे संक्रमण फैलने का खतरा बढ़ सकता है.
संक्रमित लोग नहीं करें पब्लिक ट्रांसपोर्ट का इस्तेमाल
आइ फ्लू से पीड़ित व्यक्तियों को डॉक्टर सलाह देते हैं कि पब्लिक ट्रांसपोर्ट का इस्तेमाल नहीं करें. उन्हें खुद यह समझ होनी चाहिए कि अगर वो इससे जायेंगे तो बस-जीप में संक्रमण छोड़ जायेंगे. बस पर चढ़ने के दौरान गेट के हैंडल पर, सीट के पीछे वाली हैंडल पर, जहां-जहां हाथ रखेंगे, वहां-वहां संक्रमण छोड़ते चले जायेंगे और उससे बाकी लोग भी संक्रमण हो जाते हैं.
बगैर डॉक्टर के सलाह के नहीं ले दवाएं
वहीं स्टेरॉयड के इस्तेमाल पर डॉक्टर कहते हैं कि यह कभी भी सेफ नहीं है. इसका इस्तेमाल डॉक्टर की सलाह पर ही करना चाहिए. कुछ लोगों में आंख के कैटरैक्ट में धब्बे पड़ जाते हैं, कंजक्टिवा पर धब्बे आ जाते हैं, तब स्टेरॉयड की जरूरत होती है. अगर आपकी आंखों में परेशानी हो तो इसके साथ खिलवाड़ न करें. दिक्कत हो, तो डॉक्टर को दिखाएं और डॉक्टर की सलाह पर ही दवाएं लें.
ठंडे पानी से आंखों को धोएं
कोई भी व्यक्ति अगर आई फ्लू से संक्रमित हो जा रहा है तो वह सबसे पहले अपनी आंखों पर काला चश्मा जरूर लगाएं. ताकि इसका इंफेक्शन दूसरों को न होने पाए. हाथ से आंखों को न छुएं. इससे संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है. यदि आंख को छू भी रहे हैं तो हाथ जरूर धुल लें. जो तौलिया का उपयोग कर रहे हैं उसे साफ रखें और उसका प्रयोग स्वयं करें.
क्यों फैल रहा आई फ्लू संक्रमण
बीमारी का कारण मौसम में बदलाव, बारिश और उमस, मानसून में कम तापमान और हाई ह्यूमिडिटी की वजह से लोग बैक्टीरिया और एलर्जी के कांटेक्ट में आ रहे हैं. यही एलर्जी रिएक्शन और आई इनफेक्शन जैसे कंजंक्टिवाइटिस का कारण बनते हैं. बीमारी के लक्षण आंखों में लालीपन, दर्द, सूजन, खुजली, जलन, पानी गिरना, पलकें का चिपक जाना इस नाम से भी जाना जाता है. आई फ्लू को कंजंक्टिवाइटिस, पिंकआई, रेड आई, आखों का आना, लाली नामों से जाना जाता है.