बिहार में अब फर्जी तरीके से जमाबंदी कायम करने वाले कर्मी अब मुश्किल में पड़ सकते हैं. कर्मियों के दोषी होने के प्रमाण मिलने पर जालसाजी की धाराओं में उनपर एफआईआर दर्ज किया जाएगा. राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग इसे लेकर तैयारी कर रहा है और जल्द ही इस संबंध में एक पत्र निर्गत करेगा. यह जानकारी गुरुवार को विभाग के सचिव जय सिंह ने भूमि सुधार उप समाहर्त्ताओं की बैठक में दी. बैठक का आयोजन शास्त्रीनगर स्थित सर्वे प्रशिक्षण संस्थान में किया गया था. इसमें विभाग के संयुक्त सचिव चंद्रशेखर प्रसाद विद्यार्थी और सभी जिलों के भूमि सुधार उप समाहर्ता उपस्थित थे.
31 अक्टूबर तक वास रहित भूमि का सर्वे पूरा करने का निर्देश
बैठक में 31 अक्टूबर तक वास रहित भूमि का सर्वे पूरा करने का निर्देश दिया गया. सचिव जय सिंह ने निर्देश दिया कि प्रत्येक भूमि सुधार उप समाहर्ता हरेक राजस्व कर्मचारी द्वारा किए जा रहे दाखिल खारिज के दो-तीन मामले की अपने स्तर से जांच कर इसकी रिपोर्ट विभाग को देंगे. इसमें यह देखा जायेगा कि दाखिल खारिज तय मानकों के मुताबिक किये जा रहे हैं या नहीं. साथ ही किसी अंचल में दाखिल खारिज के 75 फीसदी से अधिक मामले अस्वीकृत होने पर उसकी जांच खुद भूमि सुधार उप समाहर्त्ताओं को करने का निर्देश दिया गया.
कई अंचलों में हुआ फीफो का उल्लंघन
बैठक में दाखिल खारिज के लिए पहले आओ, पहले पाओ यानी फीफो के उल्लंघन के कई मामलों पर चर्चा हुई. समीक्षा में पाया गया कि राजस्व कर्मचारी से लेकर अंचल अधिकारी तक दाखिल खारिज के मामलों में इसका उल्लंघन कर रहे हैं. अररिया जिला के फारबिसगंज अनुमंडल में 601 बार फीफो का उल्लंघन किया गया. सारण के जलालपुर अंचल में दाखिल खारिज के 361 दायर मामलों में से 332 यानि 91 फीसदी आवेदन अंचल अधिकारी ने अस्वीकृत कर दिया. पूर्वी चंपारण के कोटवा अंचल में 237 वाद में से 193 यानी 81 फीसदी मामले अस्वीकृत कर दिये गये.
दाखिल खारिज ऑनलाइन आवेदन में त्रुटि सुधार की नई व्यवस्था
विभाग के सचिव जय सिंह ने भूमि सुधार उप समाहर्त्ताओं को डिफेक्ट चेक की नई व्यवस्था की जानकारी दी. यह व्यवस्था विभाग में जल्द ही लागू होगी. डिफेक्ट चेक, किसी भी रैयत द्वारा म्यूटेशन के ऑनलाइन आवेदन के बाद उसमें मौजूद त्रुटि में सुधार का मौका देने के संबंध में है. ऑनलाइन आवेदन के बाद संबंधित हल्का कर्मचारी द्वारा उसकी जांच की जाएगी. आवेदन में त्रुटि होने पर उसकी सूची बनाकर आवेदक के ई-मेल पर वापस कर दिया जाएगा. आवेदक द्वारा संबंधित दस्तावेज के साथ दोबारा आवेदन करने पर राजस्व कर्मचारी उसे रिजेक्ट नहीं कर पाएंगे.
कई अनुमंडल पिछड़े
बीएलडीआर की समीक्षा में पाया गया कि पिछले तीन महीनों में कटिहार के बारसोई, मधेपुरा सदर, मधुबनी के झंझारपुर और सीतामढ़ी के बेलसंड अनुमंडल के भूमि सुधार उपहर्ताओं ने एक भी मामले का निपटारा नहीं किया. पिछले दो महीने में दाखिल खारिज अपील के एक भी मामले का निष्पादन कटिहार के बारसोई, मधेपुरा के उदाकिशुनगंज, मधुबनी के झंझारपुर और सीतामढ़ी के बेलसंड के भूमि सुधार उपसमाहर्ताओं ने नहीं किया.
राज्य के आकांक्षी जिलों में सबसे खराब प्रदर्शन सीतामढ़ी का, पूर्णिया अव्वल
आकांक्षी जिलों में लक्षित वित्तीय समायोजन एकीकृत कार्यक्रम (टीएफआइआइपी) के दूसरे चरण की उपलब्धि अच्छी रही है. इन जिलों में सबसे खराब प्रदर्शन सीतामढ़ी का और पूर्णिया अव्वल रहा है. एकीकृत कार्यक्रम के तहत लक्षित समूह तक बैंकिंग सुविधाएं पहुंचाई जाती हैं. बैंकर्स समिति से सरकार को मिली रिपोर्ट में इसकी जानकारी दी गई है. उसके माध्यम से उन्हें सरकारी योजनाओं का लाभ मिलता है.
राज्य के 13 जिले आकांक्षी जिलों की सूची में
आकांक्षी जिलों की सूची में अभी बिहार के 13 जिले जिसमें अररिया, बांका, औरंगाबाद, बेगूसराय, गया, जमुई, कटिहार, खगड़िया, मुजफ्फरपुर, नवादा, पूर्णिया, शेखपुरा और सीतामढ़ी हैं. उन जिलों में बैंकिंग सुविधा से वंचित नागरिकों का खाता खोलने के साथ प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना, प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना व अटल पेंशन योजना का लाभ देने का लक्ष्य निर्धारित था.
औरंगाबाद, नवादा और पूर्णिया में अटल पेंशन योजना की उपलब्धि तो दो सौ प्रतिशत से भी अधिक रही है. इसमें सबसे कम उपलब्धि मुजफ्फरपुर की रही है, लेकिन वह भी लक्ष्य की तुलना में 131 प्रतिशत है. 231 प्रतिशत की उपलब्धि के साथ पूर्णिया अव्वल रहा है. शेखपुरा में प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना की उपलब्धि 111 प्रतिशत रही है. इस योजना में सबसे कमतर प्रदर्शन सीतामढ़ी जिला का रहा है. उपलब्धि 58 प्रतिशत ही है.
अररिया, बेगूसराय, जमुई, मुजफ्फरपुर, पूर्णिया और शेखपुरा में जीवन ज्योति बीमा योजना की उपलब्धि सौ प्रतिशत से अधिक रही है. अररिया में शत प्रतिशत उपलब्धि है. सीतामढ़ी और बांका में बाकी जिलों की अपेक्षा कुछ कम बैंक खाते खुले हैं.