बिहार में फरवरी-मार्च महीने से ही अप्रैल और मई महीने में पड़ने वाली गर्मी का असर दिखने लगा है. वहीं सूबे में पानी के गहराते संकट से भी प्रशासन की मुश्किलें बढ़ी हुई है. हर साल गर्मी के मौसम में जलसंकट गहराया रहता है.इस साल इसके संकट और अधिक गहराते दिख रहे हैं. जमीन के अंदर जलस्तर में जिस तरह लगातार गिरावट जारी है वो आने वाली बड़ी समस्या का संकेत है. वहीं एक सर्वे के अनुसार, बिहार के 11 जिले वाटर स्ट्रेस्ड की कैटेगरी में आ गये हैं.
बिहार में नदियों के किनारे बसे शहरों में भी अब पानी का संकट छाने लगा है. सूबे के 11 जिले ऐसे हैं जो बसे तो नदी के किनारे हैं लेकिन हालात ऐसी पायी गयी है कि उन जिलों को जलसंकट वाले क्षेत्रों की श्रेणी में शामिल करना पड़ गया है. दरअसल, पीएचईडी ने राज्यभर में जलस्तर को लेकर एक सर्वे कराया है, जिसकी रिपोर्ट बेहद चिंताजनक है.
पटना सहित राज्य के आठ जिले ऐसे पाये गये हैं जिनका जलस्तर पिछले साल की तुलना में काफी नीचे चला गया है. वहीं 11 जिले वाटर स्ट्रेस्ड की कैटेगरी में आ गये हैं. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, प्रदेश के सभी जिलों के पंचायतवार जलस्तर रिपोर्ट को तैयार किया गया है.जिसमें कई पचायतों में जलस्तर की ये हालत पायी गयी है जिससे आने वाली भीषण गर्मी के दौरान जलसंकट के काले बादल गहराने के आसार देखे जा रहे हैं.
फरवरी माह के सर्वे में यह बात सामने आयी है कि बिहार के अरवल,भागलपुर, बांका, भभुआ,पटना,समस्तीपुर,भोजपुर व बक्सर में जलस्तर पिछले साल की तुलना में काफी अधिक गिर गया है. विभाग इस समस्या से उबरने की तैयारी में जुटा है. साधारण चापाकल को इंडिया मार्का चापाकल में बदलने का काम शुरू किया जा रहा है.
सर्वे में तीन जिले ऐसे पाये गये हैं जहां कि 17 पंचायतों की हालत बेहद गंभीर है. सूबे की 498 पंचायतें जलस्तर के मामले में बेहद बुरे दौर से गुजर रहा है. सभी पंचायतों को पांच कैटेगरी में बांटा गया है.कुल 17 पंचायते ऐसी हैं जहां का जलस्तर 50 फीसदी या इससे नीचे है. इनमें भागलपुर, कैमूर, मुंगेर और रोहतास जिले की पंचायतें शामिल हैं.
Posted By: Thakur Shaktilochan