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बिहार में फर्जी डिग्री पर नियुक्त शिक्षकों के मामले में पटना हाईकोर्ट अब इस दिन करेगा सुनवाई, जानें पूरा मामला

पटना हाईकोर्ट के निर्देश पर 2006 से 2016 के बीच नियुक्त शिक्षकों के सर्टिफिकेट की जांच निगरानी विभाग द्वारा की जा रही है. इस मामले में पटना हाईकोर्ट में सोमवार को आंशिक सुनवाई हुई है. अब मामले की सुनवाई 28 अगस्त को होगी.

बिहार में बड़ी संख्या में फर्जी डिग्री के आधार पर नियुक्त हुए शिक्षकों की बहाली को चुनौती देने वाली लोकहित याचिका पर पटना हाइकोर्ट में अब 28 अगस्त को सुनवाई की जायेगी. रंजीत पंडित द्वारा दायर यह लोकहित याचिका मुख्य न्यायाधीश के विनोद चंद्रन के अध्यक्षता वाली खंडपीठ में सुनवाई के लिए सूचीबद्ध थी. इस मामले में हाइकोर्ट में सोमवार को आंशिक सुनवाई हुई. इसके पूर्व की सुनवाई में कोर्ट ने राज्य के निगरानी विभाग को हलफनामा दायर कर इस मामले में स्थिति स्पष्ट करने को कहा था. इस पर कोर्ट को बताया गया था कि 77 हजार ऐसे शिक्षक हैं जिनका फोल्डर नहीं मिल रहा है.

बिहार में फर्जी डिग्री पर काम कर रहे कई शिक्षक

इससे पहले की सुनवाई में कोर्ट ने राज्य सरकार को यह भी निर्देश दिया था कि वह एक समय सीमा निर्धारित करें जिसके तहत सभी संबंधित शिक्षक अपना डिग्री व अन्य कागजात उसके समक्ष प्रस्तुत कर सकें. कोर्ट ने स्पष्ट किया था कि निर्धारित समय सीमा के भीतर कागजात व रिकॉर्ड प्रस्तुत नहीं करने वाले शिक्षकों के विरुद्ध सरकार कार्रवाई कर सकती है. कोर्ट को याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता द्वारा बताया गया था की राज्य में बड़ी संख्या में जाली डिग्रियों के आधार पर शिक्षक काम कर रहे हैं तथा वेतन भी उठा रहे हैं.

शिक्षकों को पद छोड़ने का दिया गया एक अवसर

वहीं इससे पहले कोर्ट ने 2014 में सुनवाई करते हुए अपने आदेश में कहा था कि जो भी इस तरह की जाली डिग्री के आधार पर राज्य सरकार के तहत शिक्षक हैं, उन्हें एक अवसर दिया जाता है कि वे खुद शिक्षक के पद से इस्तीफा दे दें. कोर्ट ने स्पष्ट किया था कि अगर ऐसे शिक्षक अपना पद स्वयं छोड़ देते हैं, तो उनके विरुद्ध किसी भी प्रकार की कार्रवाई नहीं की जायेगी.

कोर्ट ने निगरानी को जांच करने का दिया था आदेश

इसके बाद मामले की सुनवाई के दौरान 26 अगस्त, 2019 को याचिकाकर्ता की ओर से कोर्ट को बताया गया था कि इस आदेश के बाद भी बड़ी संख्या में जाली सर्टिफिकेट के आधार पर कई शिक्षक कार्यरत हैं और वेतन भी ले रहे हैं. जिसके बाद कोर्ट ने इस पर नाराजगी जाहिर करते हुए इस पूरे मामले को निगरानी विभाग को जांच कर कानूनी कार्रवाई करने के लिए दे दिया था. कोर्ट ने फर्जी डिग्री पर नौकरी कर रहे शिक्षकों को ढूंढ कर निकालने के लिए निगरानी से कहा था.

28 अगस्त को होगी अगली सुनवाई

2019 में कोर्ट से निर्देश मिलने क एबाद निगरानी विभाग ने 31 जनवरी, 2020 को सुनवाई के दौरान कोर्ट को जानकारी दी थी कि राज्य सरकार द्वारा इन शिक्षकों के संबंधित रिकॉर्ड की जांच की जा रही है. लेकिन, अब भी एक लाख दस हजार से अधिक शिक्षकों के रिकॉर्ड उपलब्ध नहीं हैं. 75 हजार ऐसे शिक्षक हैं, जिनका फोल्डर नहीं मिल रहा है. जांच में यह भी पाया गया है कि 1316 शिक्षक बिना वैध डिग्री के नियुक्त किये गये. कोर्ट ने इस मामले को काफी गंभीरता से लेते हुए संबंधित विभागीय सचिव से हलफनामा दायर कर स्थिति स्पष्ट करने को कहा था . अब इस मामले पर अगली सुनवाई 28 अगस्त 2023 को होगी.

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हाईकोर्ट के निर्देश पर निगरानी विभाग की चल रही है जांच

हाईकोर्ट के निर्देश पर 2006 से 2016 के बीच नियुक्त शिक्षकों के सर्टिफिकेट की जांच निगरानी विभाग कर रहा है. राज्य भर से शिक्षा विभाग के सभी शिक्षकों के फोल्डर निगरानी विभाग के द्वारा मंगाया गया था. इस मामले में लेट लतीफी करने वाले नियोजन इकाइयों पर एफ आई आर करने का भी निर्देश निगरानी विभाग के द्वारा दिया गया था. जिसके बाद नियोजन इकाइयों के द्वारा अधिकांश शिक्षकों के फोल्डर निगरानी विभाग को शिक्षा विभाग के द्वारा उपलब्ध कराया गया था. जांच के दौरान गड़बड़ी पाये जाने पर शिक्षा विभाग ने फर्जी सर्टिफिकेट पर बहाल शिक्षकों को शिक्षा से नौकरी छोड़ने के लिए दो बार समय भी दिया था. तब कहा गया था कि ऐसे शिक्षकों के वेतन की राशि नहीं वसूली जाएगी. अब सरकार इन शिक्षकों के विरुद्ध सख्त कार्रवाई कर रही है.

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