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पटना के नेपाली नगर से अतिक्रमण हटाने के मामले में हाईकोर्ट में इस दिन होगी सुनवाई, जानिए पूरा मामला

नेपाली नगर मामले में पटना हाईकोर्ट की एकल पीठ के आदेश को चुनौती देते हुए दायर अपील पर आग 22 अगस्त को सुनवाई होगी. इस मामले में कोर्ट ने 25 मई 2023 को मकान तोदे जाने को अवैध बताया था.

पटना हाईकोर्ट की एकल पीठ द्वारा पटना के नेपाली नगर मामले में पारित किये गये आदेश को चुनौती देते हुए दायर किए गये एलपीए (अपील ) पर हाइकोर्ट में अब 22 अगस्त को सुनवाई की जायेगी. आवास बोर्ड द्वारा दायर यह अपील मुख्य न्यायाधीश के विनोद चंद्रन की अध्यक्षता वाली खंडपीठ में गुरुवार को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध थी.

22 अगस्त को दो एलपीए पर होगी एक साथ सुनवाई

सुनवाई शुरू होते ही कोर्ट को बताया गया कि राज्य सरकार ने भी एकल पीठ के आदेश को चुनौती देते हुए अपील दायर किया है जो अभी लंबित है. कोर्ट से अनुरोध किया गया कि इन दोनों अपील पर एक साथ सुनवाई की जाये. हाइकोर्ट ने इस अनुरोध को मानते हुए इन दोनों एलपीए पर 22 अगस्त को सुनवाई करने के लिए तिथि निर्धारित किया है . राज्य सरकार और आवास बोर्ड द्वारा नेपाली नगर मामले में दायर किए गए दो अलग-अलग एलपीए पर अब 22 अगस्त को ही सुनवाई की जायेगी .

25 मई को हाइकोर्ट ने दिया था नेपाली नगर के लोगों को राहत

मालूम हो कि 25 मई 2023 को पटना हाईकोर्ट ने नेपाली नगर क्षेत्र में रह रहे लोगों को बड़ी राहत देते हुए कहा था कि वहां मकान बनाकर रह रहे लोगों के मकानों को जिला प्रशासन एवं आवास बोर्ड द्वारा संयुक्त रूप से एक अभियान चलाकर अवैध तरीके से तोड़ा गया है. कोर्ट ने इस मामले को लेकर दायर किए गये 31 रिट याचिकाओं को स्वीकार करते हुए वहां के नागरिकों को बड़ी राहत दी थी.

मकान तोड़े जाने को कोर्ट ने अवैध करार दिया था

कोर्ट ने अपने आदेश में यह स्पष्ट किया था कि वहां जो भी निर्माण 2018 के पहले हुआ है उस पर दीघा लैंड सेटेलमेंट एक्ट के तहत मकान मालिक के पक्ष में करवाई किया जाये. हाइकोर्ट ने प्रशासन द्वारा नेपाली नगर क्षेत्र में मकान तोड़े जाने को अवैध और गैरकानूनी करार दिया था.

17 नवंबर की सुनवाई में फैसला रखा गया था सुरक्षित

वहीं इससे पहले जस्टिस संदीप कुमार की सिंगल बेंच ने मामले में 17 नवंबर 2022 को सुनवाई करते हुए फैसला सुरक्षित रख लिया था. कोर्ट ने इस मामले पर निर्णय देते हुए कहा कि जिन लोगों के मकानों को पूर्व में गैर कानूनी बताते हुए तोड़ दिया गया था, उन्हें पांच-पांच लाख रुपये मुआवजा देने का राज्य सरकार को आदेश दिया गया है. साथ ही, लोगों को बड़ी राहत देते हुए कहा था कि अगर तोड़े गए मकान की क्षतिपूर्ति राशि अधिक है तो उस पर विचार कर देना होगा. कोर्ट ने यह भी कहा था कि जिनका मकान 2018 के बाद बना है. उन सभी मामलों को दीघा लैंड सेटलमेंट एक्ट 2010 के तहत विचार करने का निर्देश दिया गया था.

22 अगस्त 2023 को होगी अगली सुनवाई

इस मामले पर कोर्ट ने सभी पक्षों को सुनने के बाद निर्णय 17 नवंबर 2022 को फैसला सुरक्षित रखा लिया था और इस 25 मई 2023 को सुनाया गया था. इस आदेश के विरुद्ध राज्य सरकार व बिहार राज्य आवास बोर्ड ने अपील दायर की है. इस पर अगली सुनवाई अब 22अगस्त 2023 को होगी.

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क्या है पूरा मामला

यह पूरा मामला आशियाना दीघा रोड के पश्चिम 400 एकड़ जमीन की खरीद बिक्री और अधिग्रहण से जुड़ा है. जो की वर्ष 1974 से ही चल रहा है. 1974 में आवास बोर्ड ने 1024 एकड़ में आवासीय परिसर बनाने का फैसला लिया था. बोर्ड ने यहां की जमीन को अधिग्रहित किया था. परंतु मुआवजा नहीं देने के कारण मामला सुप्रीम कोर्ट में पहुंच गया था. सुप्रीम कोर्ट ने आवास बोर्ड को भेदभाव दूर कर मुआवजा देने का निर्देश दिया था.

मुआवजा नहीं मिलने पर किसानों ने शुरू कर दिया था जमीन बेचना

परंतु इस पर आवास बोर्ड की तरफ से अमल नहीं किया गया. हाउसिंग बोर्ड के इस रवैये से नाराज होकर किसानों ने दीघा की जमीन की खरीद-बिक्री पर रोक होने के बावजूद पावर ऑफ एटर्नी और एग्रीमेंट कर जमीन की खरीद बिक्री शुरू कर दी. इसके बाद यह मामला कोर्ट में भी गया, जहां लंबी लड़ाई चलने के बाद मकानों को तोड़ने का निर्देश दिया गया. इस पूरे विवाद की शुरुआत यहीं से हुई थी.

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