पटना : कोरोना वायरस को लेकर किये गये लॉकडाउन की अवधि में राजधानी पटना के निजी स्कूलों के लिए पटना के डीएम ने फीस से संबंधित जो आदेश दिया था, उसमें हस्तक्षेप करने से पटना हाइकोर्ट ने इनकार कर दिया. कोर्ट ने कहा कि निजी विद्यालयों को अगर ज्यादा परेशानी है, तो वे जिलाधिकारी और आपदा प्रबंधन के प्रधान सचिव से ही मामले में किसी प्रकार का अनुरोध करें. वही इस मामले में चार सप्ताह में उचित निर्णय लेंगे.
पटना के जिलाधिकारी ने कोरोना वायरस के कारण लॉकडाउन की अवधि में बंद रखे गये निजी विद्यालयों को 10 अप्रैल को एक आदेश जारी किया था. इस आदेश में विद्यालयों के प्रबंधकों से कहा गया था कि वे अपने विद्यालय में पढ़नेवाले अभिभावकों से तीन महीने का नहीं, बल्कि एक महीने का केवल ट्यूशन फीस लें. किसी अन्य प्रकार का कोई भी चार्ज नहीं लें. बच्चों को ऑनलाइन पढ़ाने के लिए व्हाट्सएप्प, ई-मेल आदि की सुविधाएं दें. उनके स्कूल में जो कर्मचारी एवं अन्य स्टाफ हैं, उन्हें वेतन देने में कटौती भी नहीं करें.
इसी मुद्दे को लेकर पटना के एक जाने-माने निजी स्कूल ने हाइकोर्ट में एक रिट याचिका अधिवक्ता गौतम केजरीवाल के जरिये दायर की थी. याचिका के माध्यम से जिला प्रशासन के आदेश को रद्द करने की मांग हाइकोर्ट से की गयी थी.
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साथ ही निजी विद्यालयों को हो रही दिक्कतों के बारे में भी बताया गया था. स्कूल के संचालक का कहना था कि जिलाधिकारी के आदेश से तो इन विद्यालयों की स्वतंत्रता खत्म हो जायेगी. इसके अलावा रिट याचिका में कई और मुद्दे उठाये गये थे.
मुख्य न्यायाधीश संजय करोल एवं न्यायाधीश एस कुमार की खंडपीठ ने मामले पर सुनवाई की. इस मामले को लेकर कोर्ट ने अपर महाधिवक्ता आशुतोष रंजन पांडेय से पूछा कि क्या सचमुच इस स्कूल की स्थिति खराब है? इस पर अपर महाधिवक्ता ने कहा कि इस तरह की बात नहीं है, यह बहुत पुराना और संपन्न स्कूल है.
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