अनुपम कुमार, पटना. प्रदेश की वायु गुणवत्ता पर अनुसंधान करने के लिए 522 ब्लॉकों में एयर क्वालिटी मॉनीटरिंग स्टेशन स्थापित किये गये हैं. दो वर्षों तक आइआइटी कानपुर इनसे प्राप्त आंकड़ों का अध्ययन और विश्लेषण करेगी और उससे प्राप्त निष्कर्ष के आधार पर प्रदेश की वायु गुणवत्ता को बेहतर बनाने और पर्यावरण प्रदूषण को कम करने के लिए उपयोगी सुझाव देगी.
एमओयू पर हस्ताक्षर किया गया
आईआईटी कानपुर और बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण पर्षद के बीच लगभग छह महीना पहले इससे संबंधित एमओयू पर हस्ताक्षर किया गया था. इसके अंतर्गत प्रदेश के सभी 534 ब्लॉकों में एयर क्वालिटी मॉनीटरिंग स्टेशन स्थापित किये जाने हैं. बीते तीन महीने में इनमें से 522 ब्लॉकों में इन्हें स्थापित भी कर दिया गया है और सीमित रूप से अनुसंधान शुरू भी कर दिया गया है. शेष 12 ब्लॉकों में भी इस माह के अंत तक इन्हें स्थापित कर दिया जायेगा. इसी के साथ पूरे प्रदेश के स्तर पर अनुसंधान शुरू हो जायेगा.
महज एक फुट का है उपकरण
आइआइटी कानपुर के द्वारा प्रदेश के सभी ब्लॉकों में लगाया जाने वाला उपकरण बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण पर्षद द्वारा अपने एयर क्वालिटी मॉनीटरिंग स्टेशन पर लगाये जाने वाले उपकरण की तुलना में न केवल बहुत छोटा है बल्कि उसकी कीमत भी कम है. इसकी लंबाई महज एक फीट है, जिसे तीन से 10 मीटर की ऊंचाई पर किसी खुले क्षेत्र में लगाना पड़ता है. बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण पर्षद ने अपने मॉनीटरिंग स्टेशन की स्थापना में प्रति मॉनीटरिंग स्टेशन लगभग एक करोड़ रुपया खर्च किया है. जबकि आइआइटी के उपकरण उसके चौथाई से भी कम कीमत में स्थापित किये गये हैं. इनका खर्च भी आइआइटी कानपुर खुद उठा रही है.
बड़े और छोटे मॉनीटर का किया जा रहा तुलनात्मक अध्ययन
आइआइटी के लगाये गये छोटे माॅनीटर की वायु गुणवत्ता को नापने की क्षमता और प्राप्त आंकड़ों की एक्यूरेसी की जांच के लिए इन्हें उन 23 शहरों के 35 स्थलों पर भी लगाया गया है, जहां पहले से बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण पर्षद के बड़े मॉनीटर लगे हैं. इनसे प्राप्त आंकड़ों का प्रदूषण नियंत्रण पर्षद के द्वारा इंस्टॉल उपकरणों से प्राप्त आंकड़ों से भी मिलान किया जा रहा है.
आइआइटी कानपुर की लेबोरेटरी में हो रहा अनुसंधान
आइआइटी कानपुर में एक लेबोरेटरी की स्थापना की गयी है. वहां एक सीनियर प्रोफेसर के मार्गदर्शन में कई शोधार्थी इन मॉनीटरों से प्राप्त आंकड़ों पर अनुसंधान कर रहे हैं. हर प्रखंड में स्थापित मॉनीटरिंग स्टेशन पूरी तरह ऑटोमेटिक हैं. लिहाजा उनको चलाने के लिए किसी ऑपरेटर की जरूरत नहीं है. केवल बिजली कनेक्शन टूट जाने या किसी प्राकृतिक आपदा, आंधी तूफान आदि की स्थिति में किसी तरह का नुकसान होने की स्थिति में इनको दुरुस्त करने का जिम्मा एक आउटसोर्स एजेंसी को दिया गया है.
दो वर्ष जाड़ा, गर्मी और बरसात के मौसम में प्रदेश की वायु गुणवत्ता का अध्ययन करेगी.
एमओयू में तय शर्तों के अनुसार आइआइटी कानपुर लगातार दो वर्ष जाड़ा, गर्मी और बरसात के मौसम में प्रदेश की वायु गुणवत्ता का इन उपकरणों के सहारे अध्ययन करेगी. लेकिन इन उपकरणों की स्थिति ठीक रही, तो उसके बाद भी प्रदूषण नियंत्रण पर्षद या आइआइटी कानुपर के द्वारा आंकड़ों के संग्रहण के लिए ये इस्तेमाल में लाये जायेंगे.