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IIT पटना ने तैयार किया नया थर्मल मैनेजमेंट सिस्टम, अब इ-वाहनों की बैट्री नहीं होगी ब्लास्ट

इ-वाहनों के लिए आइआइटी पटना ने स्वदेशी थर्मल मैनेजमेंट सिस्टम तकनीक को विकसित कर लिया है. यह सिस्टम तापमान को रिलीज नहीं होने देगा और तापमान को नियंत्रित कर बैट्री ब्लास्ट होने से बचा लेगा. आग लगने से पहले यह सिस्टम अलर्ट कर बैट्री को ऑफ कर देता है.

देश में इ-वाहनों को और सरल व आसान बनाने के लिए आइआइटी पटना काम कर रहा है. बैट्री से चलने वाले वाहनों की हर जानकारी आपको पहले ही मिलेगी. इ-वाहनों की बैट्री हीट नहीं होगी. बैट्री की हर जानकारी आपको पहले मिल जायेगी. इस तरह की कई टेक्नोलॉजी पर आइआइटी पटना काम कर रहा है. मार्च तक इन सभी सिस्टम में आइआइटी पटना को पेटेंट मिल जायेगा.

आइआइटी पटना ने विकसित किया थर्मल मैनेजमेंट सिस्टम

इ-वाहनों के लिए आइआइटी पटना ने स्वदेशी थर्मल मैनेजमेंट सिस्टम तकनीक को विकसित कर लिया है. यह सिस्टम तापमान को रिलीज नहीं होने देगा और तापमान को नियंत्रित कर बैट्री ब्लास्ट होने से बचा लेगा. आग लगने से पहले यह सिस्टम अलर्ट कर बैट्री को ऑफ कर देता है. आइआइटी पटना के फिजिक्स डिपार्टमेंट के पांच छात्रों ने थर्मल मैनेजमेंट सिस्टम को विकसित किया है. इससे देश की सीमा पर तैनात जवानों को देर रात ऑक्सीजन की सप्लाइ में आसानी होगी और लाइट भी मिलेगी. यह एक प्रकार का इलेक्ट्रॉनिक सर्किट है, जो उष्मा ऊर्जा को कंट्रोल करने में सहायक होता है.

आइआइटी का बीएमएमसीएस सबसे सस्ता

वहीं, इससे पहले आइआइटी पटना ने बैट्री मैनेजमेंट मॉनीटरिंग एंड कंट्रोल सिस्टम (बीएमएमसीएस) का ईजाद किया है. अब बैट्री से चलने वाली गाड़ियों में बीएमएमसीएस लगा सकते हैं. इससे गाड़ियो में अगलगी और ब्लास्ट की घटना रोकने में मदद मिलेगी. इस सिस्टम को रजिस्ट्रार ऑफ पेटेंट की ओर से पेटेंट मिल गया है. यह देश का पहला स्वदेशी बैट्री मैनेजमेंट मॉनीटरिंग एंड कंट्रोल सिस्टम होगा.

आत्मनिर्भर भारत के लिए आइआइटी पटना की एक पहल

एकेडमिक डीन और मेंटर प्रो एके ठाकुर ने बताया कि सस्ता और सस्टेनेबल है. यह कॉस्ट परफॉर्मेंस रेशियो में विदेश से मंगाये बैट्री मैनेजमेंट सिस्टम से कई गुणा बेहतर है और आत्मनिर्भर भारत के लिए आइआइटी पटना की एक पहल है. इससे देश में उद्यमिता को बढ़ावा मिलेगा. कई तरह के उद्योगों की दूसरे देशों पर निर्भरता खत्म होगी. इस सिस्टम को लगाने में 600 से 2200 रुपये तक खर्च लगेगा. यह सिस्टम इलेक्ट्रिक वाहनों को आग लगने और ब्लास्ट होने से बचायेगा. इससे देश की सीमा पर तैनात जवानों को देर रात तक ऑक्सीजन की सप्लाइ हो सकेगी और साथ में लाइट मिल सकेगी. अभी देश के जवानों के लिए इसे सप्लाइ किया जा रहा है.

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चीन पर निर्भरता होगी कम 

प्रो ठाकुर ने कहा कि इस सिस्टम के विकसित होने पर चीन पर निर्भरता कमेगी. यह यूरोपियन स्टैंडर्ड सर्टिफाइड है. आइआइटी के फिजिक्स डिपार्टमेंट के छात्र अभिजीत कुमार, सौरभ कुमार राय, अभिषेक कुमार, शशिभूषण तिवारी और राधेश्याम ने इसे बनाया है. इसे विकसित करने में तीन साल लगे हैं.

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