आइआइटी पटना में मंगलवार को सेमी कंडक्टर उद्योग के लिए ‘संक्षारण प्रतिरोधी कोटिंग्स’ के विकास में सहयोग करने के लिए अमेरिका की एप्लाइड मैटेरियल्स के साथ एमओयू साइन हुआ. संस्थान इसके लिए टाटा स्टील और एसोसिएटेड प्लाज्माट्रान प्राइवेट लिमिटेड से भी समझौता करेगा. सेंटर ऑफ एक्सीलेंस में शैक्षणिक भागीदार के रूप में राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (एनआइटी) पटना, अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) पटना, आइआइटी-आइएसएम धनबाद और सीएसआइआर-सेंट्रल मेकैनिकल इंजीनियरिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट दुर्गापुर शामिल हैं.
आइआइटी पटना में ‘वीअर और कोरोजन प्रतिरोधी कोटिंग्स प्रौद्योगिकी’ के क्षेत्र में पूर्वी भारत में स्थापित पहला सेंटर ऑफ एक्सीलेंस होगा. आइआइटी पटना के निदेशक प्रो टीएन सिंह और प्रबंध निदेशक एवं सीटीओ एप्लाइड मैटेरियल्स इंडिया के डॉ सूरज रंगराजन ने एमओयू पर हस्ताक्षर किया.
आइआइटी निदेशक प्रो टीएन सिंह ने कहा कि आइआइटी पटना सेमी कंडक्टर जैसी प्रौद्योगिकी में भविष्य के रोड मैप का हिस्सा बनेगा. यह केंद्र राष्ट्र की परियोजनाओं के निर्माण के लिए आवश्यक तकनीक उपलब्ध कराने में पूर्वी भारत का नेतृत्व करेगा. डॉ सूरज रंगराजन ने कहा कि यह समझौता नवाचार को बढ़ावा देगा और वैश्विक प्रभाव बनाने में मदद करेगा. यहां अनुसंधान नवाचार के साथ औद्योगिक समस्याओं का सीधा समाधान निकाला जा सकता है. इसके साथ ही इसी साल आइआइटी पटना में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी), भारत सरकार की मदद से वीअर और कोरोजन प्रतिरोधी कोटिंग्स प्रौद्योगिकी में सेंटर ऑफ एक्सीलेंस की स्थापना होगी.
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सेंटर ऑफ एक्सीलेंस के प्रधान अन्वेषक सह मेटलर्जिकल एंड मेटेरियल्स इंजीनियरिंग के एसोसिएट डीन डॉ अनूप कुमार केसरी ने कहा कि यह केंद्र ‘वीअर और कोरोजन’ के क्षेत्र में उद्योग की विभिन्न समस्याओं की पहचान व जांच के साथ प्रैक्टिकल समाधान करेगा. एमओयू का उद्देश्य प्राथमिक कौशल विकास, स्टार्टअप, नये विचारों की खोज, उद्योग और शिक्षा के बीच की खाई को पाटने के लिए प्रशिक्षण और शिक्षा भी उपलब्ध करायेगा. छात्रों को भारत व अमेरिका में एप्लाइड मैटेरियल्स के प्रख्यात विज्ञानियों के साथ मिलकर काम करने का मौका भी मिलेगा.