बिहार नगरपालिका (संशोधन) अध्यादेश 2022 लागू होने के साथ ही इसकी नियमावली को लेकर भी तैयारियां तेज हो गयी हैं. दो महीने बाद ही नगर निकायों के चुनाव की प्रक्रिया शुरू होने की उम्मीद है. ऐसे में नियमावली तैयार कर उसे ससमय लागू कराने में नगर विकास एवं आवास विभाग के साथ ही विधि विभाग भी जुटा है.
मिली जानकारी के मुताबिक नगर निकायों के चुनाव में हर मतदाता को अपने वार्ड पार्षद के साथ ही मेयर व डिप्टी मेयर के लिए भी वोट देना पड़ेगा. मतलब प्रत्येक मतदाता तीन वोट देगा, जिनमें एक वोट मेयर, दूसरा डिप्टी मेयर और तीसरा वार्ड पार्षद के लिए होगा. मेयर और डिप्टी मेयर के लिए अलग से नामांकन लिया जायेगा, जबकि वार्ड पार्षद के लिए पहले की तरह अलग नामांकन होगा.
जनता के माध्यम से सीधे चुने जाने वाले मेयर-डिप्टी मेयर किसी राजनीतिक दल से संबद्ध नहीं होंगे. हालांकि, इसको लेकर अभी स्थिति स्पष्ट नहीं है. झारखंड के नगर निकाय चुनावों में पहले मेयर का पद पर खड़े उम्मीदवार किसी- न- किसी राजनीतिक दल के सिंबल पर चुनाव लड़ते थे, लेकिन अब संशोधन कर इसे सामान्य कर दिया गया है. इस पर कोई भी उम्मीदवारी कर सकता है. झारखंड में पहले सिर्फ मेयर ही सीधे जनता के द्वारा चुने जाते थे, लेकिन अब डिप्टी मेयर को भी सीधे जनता के द्वारा चुने जाने को लेकर कानून तैयार किया गया है.
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नगरपालिका कानून में संशोधन का सबसे बड़ा फायदा होगा कि चुनाव बाद मेयर-डिप्टी मेयर और मुख्य पार्षद-उपमुख्य पार्षद के लिए होने वाली नियुक्ति में हॉर्स ट्रेडिंग पर रोक लगेगी. वर्तमान में मेयर-डिप्टी मेयर बनने के लिए बड़े पैमाने पर निकायों में वार्ड पार्षदों की खरीद-फरोख्त के आरोप लगते रहे हैं. इसके साथ ही दो साल बाद अविश्वास प्रस्ताव के नाम पर भी पैसों का खूब खेल होता है.
नगर निकाय चुनाव में मेयर-डिप्टी मेयर चुनाव के लिए प्रत्यक्ष निर्वाचन प्रणाली लागू होने के बाद अगली बार होने वाले पंचायत चुनाव पर भी इसका असर पड़ना लाजिमी है. इसके बाद जिप अध्यक्ष और प्रखंड प्रमुख के होने वाले चुनाव भी प्रत्यक्ष आधार पर सीधे जनता के द्वारा चुने जाने को लेकर दबाव बढ़ेगा. इससे चुनाव के बाद इन पदों के लिए होने वाली हॉर्स ट्रेडिंग पर रोक लग सकेगी.