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भारत-नेपाल सीमा पर बढ़ी घुसपैठ, छह महीने में बिहार में 12 देशों के 41 विदेशी नागरिक गिरफ्तार

भारत-नेपाल सीमा खुली सीमा इन दिनों सुरक्षा एजेंसी के लिए चुनौती बनती जा रही है. बिहार में आए दिन अवैध तरीके से आए विदेशी पकड़े जा रहे हैं. बीते छह महीने में प्रदेश से 12 देशों के 41 विदेशी नागरिकों को गिरफ्तार किया गया है.

बिहार के पूर्वी चंपारण में इंडो-नेपाल बॉर्डर पर अवैध ढंग से घुसने का प्रयास कर रहे दो चीनी नागरिकों को बीते दिन गिरफ्तार किया गया था. बॉर्डर से घुसपैठ के दौरान गिरफ्तारी का यह पहला मामला नहीं है. 2023 यानी इसी साल बिहार पुलिस ने इमिग्रेशन, कस्टम व एसएसबी के सहयोग से 12 देशों के 41 विदेशी नागरिकों की गिरफ्तारी बिहार में की है. इन सब के खिलाफ थाने में मामला दर्ज करते हुए उनको न्यायिक हिरासत के तहत जेल भेजा गया है.

भारत-नेपाल सीमा से गिरफ्तार हुए 28 विदेशी नागरिक

बिहार पुलिस के एडीजी (मुख्यालय) जितेंद्र सिंह गंगवार ने सोमवार को बताया कि 41 में से सबसे अधिक 28 विदेशी नागरिकों की गिरफ्तारी बिहार से सटे भारत-नेपाल सीमा पर की गयी है. यह लोग अवैध ढंग से बिहार के रास्ते देश में घुसने का प्रयास कर रहे थे. इनके अलावा 13 अन्य विदेशी नागरिकों में छह को सोना तस्करी, चार को मद्यनिषेध और एक-एक को एनडीपीएस, अवैध मुद्रा तथा अवैध आग्नेयास्त्र के मामले में गिरफ्तार किया गया है.

इन देशों के नागरिक बिहार में हुए गिरफ्तार

जितेंद्र सिंह गंगवार ने बताया कि इस साल नेपाल, सूडान, म्यांमार, रूस, चेक रिपब्लिक, तिब्बत (चीन), पूर्वी अफ्रीका (युगांडा), उज्बेकिस्तान, नाइजीरिया, बांग्लादेश , संयुक्त राज्य अमेरिका तथा चीन के नागरिकों को बिहार में गिरफ्तार किया गया हैं. इनके खिलाफ विभिन्न थानों में दर्ज मामलों में अनुसंधान चल रहा है.

जांच में मिले सबूत के आधार पर चीनी नागरिकों पर होगी कार्रवाई

एडीजी मुख्यालय ने बताया कि 22 जुलाई को मोतिहारी जिले के रक्सौल थाना अंतर्गत भारत-नेपाल सीमा पर गिरफ्तार दो चीनी नागरिकों झाओ जिंग एवं फू कोंग पर रक्सौल के हरैया ओपी में मामला दर्ज कर अनुसंधान शुरू कर दिया गया है. बॉर्डर का मामला देखते हुए हर बिंदु पर अनुसंधान किया जायेगा. मिले सबूतों के आधार पर चार्जशीट होगी, तब विस्तृत रूप से उनके बिहार प्रवेश की मंशा का पता लगेगा. फिलहाल बगैर भारतीय वीजा अनाधिकृत रूप से भारत में प्रवेश करने का मामला दर्ज किया गया है.

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अवैध रूप से भारत में प्रवेश कर रहे चीनी नागरिक रक्सौल बॉर्डर से गिरफ्तार

बता दें कि नेपाल से अवैध रूप से भारत की सीमा में दाखिल होने की कोशिश कर रहे दो चीनी नागरिकों को इमिग्रेशन विभाग की टीम ने 22 जुलाई को हिरासत में लिया था. हिरासत में लिए गए चीनी नागरिकों ने बीते दो जुलाई को भी बिना वीजा भारत की सीमा में दाखिल होने की कोशिश की थी. इस दौरान इमिग्रेशन के दौरान उन्हें वापस नेपाल भेज दिया गया था. लेकिन इस बीच 22 जुलाई की रात दूसरी बार भारत की सीमा में रात के अंधेरे का फायदा उठाकर प्रवेश करने की कोशिश में लगे चीनी नागरिकों को अभिरक्षा में लेकर आवश्यक कानूनी कार्रवाई के लिए हरैया ओपी पुलिस को सौंप दिया गया है.

दूसरी बार बिना वीजा भारत में प्रवेश करने की थी कोशिश

जानकारी के अनुसार चीनी नागरिकों की पहचान जियांग्सी, चीन निवासी जाओ शिया पिंग के 39 वर्षीय पुत्र जाओ जिंग एवं पासपोर्ट नंबर ईजे 9445927 व फू हॉन्ग गेन के 28 वर्षीय पुत्र फू कॉन्ग के रूप में हुई, जिसका पासपोर्ट नंबर ईके 5643259 है. उन्होंने बताया कि बीते 2 जुलाई को उक्त आरोपियों को नेपाल से भारत में बिना भारतीय वीजा के अनाधिकृत रूप से भारत में प्रवेश के दौरान इमिग्रेशन अधिकारियों द्वारा पकड़े गए तथा दोनों को पहली बार बॉर्डर पार करने की कोशिश में इनके पासपोर्ट पर एंट्री रिफ्यूज्ड करके चेतावनी देकर वापस नेपाल भेज दिया गया और भारत में आने के लिए भारतीय वीजा लेकर आने का सलाह दिया गया. उस दौरान उन्होंने बताया था कि गत 30 जून को नेपाल की राजधानी काठमांडू आए थे और 02 जुलाई रक्सौल के रास्ते भारत में प्रवेश कर रहे थे. दूसरी बार भारत में अवैध तौर पर प्रवेश करने की कोशिश इनकी गलत मंशा को दर्शाता है. सुरक्षा एंजेसियां इस मामले की जांच में जुटी है कि आखिर उक्त दोनों चीनी नागरिक किस मकसद से भारत की सीमा में दाखिल होना चाहते थे.

1700 किलोमीटर लंबी है भारत-नेपाल खुली सीमा

बता दें भारत-नेपाल खुली सीमा इन दिनों सुरक्षा एजेंसी के लिए चुनौती बनती जा रही है. उतराखंड से लेकर बंगाल तक लगभग 1700 किलोमीटर से भी ज्यादा लंबी इस सीमा पर इन दिनों सबसे बड़ी चुनौती ‘थर्ड नेशन सिटीजन’ बनते जा रहे है. इन दोनों देशों की खुली सीमा का फायदा इस सीमा से गुजरने वाले दूसरे देशों के नागरिक उठा रहे है. खुली सीमा का फायदा उठाकर विदेशी नागरिक लगातार नेपाल से भारत में घुसने की कोशिश करते हैं. पिछले कुछ वर्षो में एक दर्जन से ज्यादा विदेशी नागरिकों को भारत-नेपाल सीमा पर अवैध तरीके से आवाजाही करते हुए और फर्जी दस्तावेज रखने के आरोप में गिरफ्तार किया जा चुका है. यह संख्या केवल सिलीगुड़ी कोरिडोर से जुड़े इलाके की है.

क्यों असुरक्षित है चिकन नेक?

सवाल उठने लगा है कि सिलीगुड़ी कॉरिडोर, जिसे अक्सर चिकन नेक कहा जाता है, सुरक्षा की दृष्टि से असुरक्षित क्यों होता जा रहा है. जानकार बताते है कि सुरक्षा बलों के सामने एक बड़ी समस्या यह है कि भारत-नेपाल और भारत-भूटान सीमाओं पर लोगों की आवाजाही पर कोई प्रतिबंध नहीं है. कोई भी इसमें प्रवेश कर सकता है. वहीं मालदा के इलाके में मुख्य चिंता बांग्लादेश से घुसपैठ है. सिलीगुड़ी के हालात अलग है. यहां एसएसबी गुप्त सूचना पर कार्रवाई करती है और अवैध रूप से सीमा पार करने वाले लोगों को पकड़ती है. लेकिन आम तौर पर, सिलीगुड़ी गलियारे में लोगों की कोई सख्त जांच नहीं होती है.

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क्या है चिकेन नेक ?

एक तरफ बांग्लादेश दूसरी तरफ नेपाल, तीसरी तरफ भूटान और चौथी तरफ चीन जिस क्षेत्र विशेष से जुड़ा है. उसे चिकन नेक के नाम से पहचाना जाता है. पश्चिम बंगाल के उत्तरी हिस्से उत्तर दिनाजपुर जिला और दार्जिजिंग जिला के साथ बिहार का किशनगंज जिला चिकेन नेक का हिस्सा माना जाता है. किशनगंज के पश्चिमोत्तर में नेपाल वहीं उत्तर दिनाजपुर के पूर्व में बांग्लादेश जुड़ा हुआ है. दार्जिलिंग और अलीपुरदुआर जिले के पूर्वोत्तर में भूटान स्थित है जिसके पास से ही चीन की सीमा शुरू होती है. रणनीतिक लिहाज से इस अति संवेदनशील जगह को चिकन नेक कहा जाता है. शेष भारत से उत्तर पूर्व भारत को जोड़ने के लिए यह इलाका अति महत्वपूर्ण है.

क्यों निशाने पर है चिकेन नेक

सामरिक विशेषज्ञों के मुताबिक चिकन नेक उस भौगोलिक क्षेत्र को कहते हैं जो किसी देश के लिए सामरिक रूप से तो अति महत्वपूर्ण होता है, लेकिन संरचना के आधार पर कमजोर होता है. यह गलियारा बांग्लादेश और नेपाल के बीच भारत की वह संकरी पट्टी है. जिसे सिलीगुड़ी कॉरीडोर भी कहा जाता है. लगभग दो सौ किलोमीटर लंबे इस गलियारे की चौड़ाई कहीं कहीं 17 किलोमीटर भी नहीं है. जिसके एक तरफ नेपाल व दूसरी तरफ बांग्लादेश है बीच में पश्चिम बंगाल का उत्तर दिनाजपुर व दार्जिलिंग जिला है. इसी गलियारे से भारत पूरे उत्तर पूर्वी भारत से जुड़ा हुआ है.

किशनगंज से शुरू होता है चिकेन नेक

किशनगंज शहर जो पूर्वोत्तर को शेष भारत से जोड़ने का महत्वपूर्ण केन्द्र है वहां से बांग्लादेश 20 तो नेपाल 40 किमी दूर है वही सिलीगुड़ी से यह दूरी और घट जाती है जहा से बंगलादेश 8 तो भूटान 60 और चीन का मोर्चा 150 किलोमीटर दूर है. सिलीगुड़ी कॉरिडोर उत्तर की तरफ से चीन से घिरा है. ट्रेन, सडक़ के जाल से संपन्न यह इलाका चीन के किसी भी संभावित हमले में सैनिक साजो-सामान, रसद की आपूर्ति के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है.

क्यों निशाने पर है सिलीगुड़ी कोरिडोर

इस गलियारे की सीमाएँ नेपाल, बांग्लादेश और भूटान से जुड़ी हैं, जबकि यह पश्चिम बंगाल के दार्जिलिंग, जलपाईगुड़ी और तराई क्षेत्रों के माध्यम से पूर्वोत्तर को जोड़ता है.सिलीगुड़ी कॉरिडोर, जिसे चिकन नेक के नाम से भी जाना जाता है, पश्चिम बंगाल में स्थित भूमि का केवल 17 किमी चौड़ा एक संकीर्ण खंड है,

कॉरिडोर क्यों महत्वपूर्ण है

सिलीगुड़ी कॉरिडोर भारत के लिए रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण और संवेदनशील क्षेत्र है. एसएसबी, बीएसएफ यहां तक कि असम राइफल्स भी इस गलियारे की सुरक्षा के लिए तैनात है. बताते चले सिलीगुड़ी गलियारा देश को पूर्वोतर भारत से जोड़ता है. एक महत्वपूर्ण सड़क और रेल नेटवर्क के जरिये यह गलियारा शेष भारत को पश्चिम बंगाल के जरिये आठ पूर्वोत्तर राज्यों से जोड़ता है. औपनिवेशिक काल में बंगाल के विभाजन और 1971 के युद्ध के बाद से यह एक अतिसंवेदनशील क्षेत्र बन गया है जिसके कारण बांग्लादेश का निर्माण हुआ. रणनीतिक रूप से, चिकन नेक में रेल नेटवर्क ही भारतीय सशस्त्र बलों को एलएसी तक पहुंच प्रदान करते हैं.

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