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बिहार में जाति गणना पर सुनवाई पूरी, हाईकोर्ट ने पूछे तीन सवाल, आज आएगा अंतरिम आदेश

जाति गणना को चुनौती देने वाली याचिका पर पटना हाइकोर्ट में बुधवार को सुनवाई पूरी हो गयी. कोर्ट ने सभी पक्षों की बहस सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया. इस मामले में कोर्ट आज अंतरिम आदेश पारित करेगा.

बिहार सरकार द्वारा राज्य में कराये जा रहे जाति गणना को चुनौती देने वाली याचिका पर पटना हाइकोर्ट में बुधवार को सुनवाई पूरी हो गयी. कोर्ट ने सभी पक्षों की बहस सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया. कोर्ट ने कहा कि इस मामले में गुरुवार को अंतरिम आदेश पारित किया जायेगा. मुख्य न्यायाधीश के विनोद चंद्रन, न्यायाधीश मधुरेश प्रसाद की खंडपीठ ने अखिलेश कुमार व अन्य द्वारा दायर याचिका पर एक साथ सुनवाई पूरी की. संभावना है कि गुरुवार को पूर्वाह्न साढ़े दस बजे अंतरिम आदेश सुनाया जायेगा.

बुधवार को सुनवाई शुरू होते ही याचिकाकर्ता की तरफ से कहा गया कि उन लोगों ने अपनी बहस कल ही पूरी कर ली है. अब राज्य सरकार को अपना पक्ष रखना है तथा यह बताना है कि जाति गणना किस प्रकार सही है.

याचिका सुनवाई के योग्य नहीं : राज्य सरकार 

राज्य सरकार की ओर से महाधिवक्ता पी के शाही ने कहा कि याचिका सुनवाई के योग्य नहीं है. राज्य में जाति गणना नियम के अनुसार ही कराया जा रहा है. राज्य सरकार को भी अधिकार है कि वह अपने राज्य की जनता के बारे में पूरी जानकारी प्राप्त कर सके, ताकि उसे उसके अनुसार सुविधाएं उपलब्ध करायी जा सके. उन्होंने दलील दी कि जन कल्याण की योजनाएं बनाने और सामाजिक स्तर सुधारने के लिए यह सर्वे कराया जा रहा है. इसमें किसी की भी गोपनीयता भंग होने का कोई प्रश्न ही पैदा नहीं होता है.

उन्होंने उदाहरण देते हुए बताया कि जैसे किसी विद्यालय में बच्चों के नामांकन के समय उसकी जाति-धर्म और परिवार की आर्थिक स्थिति की जानकारी देनी पड़ती है, उसी प्रकार इसमें भी जानकारी प्राप्त की जा रही है. यह कार्य करीब 80 फीसदी पूरा हो गया है और किसी ने भी इसमें अभी तक आपत्ति दर्ज नहीं करायी है.

उन्होंने याचिका का विरोध करते हुए कहा कि जिस प्रकार केंद्र सरकार को गणना कराने का अधिकार है, उसी प्रकार राज्य सरकार को भी अपने राज्य की जनता के संबंध में पूरी जानकारी प्राप्त करने के लिए सर्वे कराने का अधिकार है, ताकि यह पता चल सके कि राज्य में किस जाति के कितने लोग हैं और उनकी आर्थिक तथा शैक्षणिक स्थिति क्या है. विधानमंडल के दोनों सदनों से पारित कराये जाने के बाद ही जाति गणना करायी जा रही है.

मंगलवार को हुई थी अधूरी सुनवाई 

इसके पहले मंगलवार को सुनवाई शुरू हुई थी, जो अधूरी रही थी. याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता दीनू कुमार, ऋतुराज और अभिनव श्रीवास्तव ने बहस की. उन्होंने जाति गणना कराये जाने को संविधान के प्रावधानों के विपरीत बताया और कहा कि इससे निजता का उल्लंघन होगा.

कोर्ट ने पूछे तीन सवाल

  • जातियों के आधार पर गणना और आर्थिक सर्वेक्षण कराना क्या कानूनी बाध्यता है?

  • यह राज्य सरकार के क्षेत्राधिकार में आता है या नहीं?

  • इससे निजता का उल्लंघन होगा क्या?

सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर सुनवाई

यह मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा था. मुख्य न्यायाधीश डीआइ चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति टीएस नरसिम्हा की खंडपीठ ने याचिकाकर्ता को कहा था कि वह पहले इस मामले को हाइकोर्ट ले जायेंगे और हाइकोर्ट तीन दिनों के भीतर सुनवाई कर आदेश पारित करे.

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अब आगे…

  • कानून विशेषज्ञों के अनुसार, सुनवाई पूरी होने के बाद अब कोर्ट के अंतरिम फैसले को लेकर दो संभावनाएं हैं :

  • पहला: कोर्ट याचिकाकर्ताओं की याचिका को खारिज कर दे.

  • दूसरा: याचिकाकर्ताओं की याचिका मंजूर हो जाये और जाति गणना पर तत्काल रोक लगा दी जाये.

  • दोनों ही स्थिति में यह मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचने वाला है. याचिका खारिज होने की स्थिति में याचिकाकर्ता सुप्रीम कोर्ट में अपील याचिका दायर करेंगे. दूसरी ओर यदि जाति गणना पर रोक लगी तो राज्य सरकार शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटा सकती है.

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