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राम को महापुरुष नहीं मानते जीतन राम मांझी, रामायण को बताया काल्पनिक, भाजपा ने बोला हमला

बिहार में राम और रामायण के नाम पर राजनीति गरमा गयी है. जीतनराम मांझी के विवादित बयान को लेकर भाजपा भी हमलावर है. जीतन राम मांझी ने राम को एक काल्पनिक चरित्र बताया जिसके बाद मामला गरमा गया है.

राम के नाम पर एकबार फिर राजनीति गरमा गयी है. बिहार में एनडीए के दल आपस में ही आमने-सामने हो गये हैं. हम पार्टी के मुखिया जीतन राम मांझी के राम उपर दिये विवादित बयान पर भाजपा ने भी पलटवार किया है और नसीहत दी है.

मध्यप्रदेश के सिलेबस में रामचरितमानस को शामिल किए जाने के बाद, बिहार में भाजपा के नेताओं के द्वारा भी रामायण को सिलेबस में शामिल करने की मांग सामने आयी थी. इसी मुद्दे पर बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री व हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (हम) के राष्ट्रीय अध्यक्ष जीतन राम मांझी ने मंगलवार को एक विवादित बयान दे दिया. उन्होंने राम को काल्पनिक चरित्र बताते हुए कहा वो रामायण की कहानी को सत्य नहीं मानते हैं. राम को महापुरुष वो नहीं मानते और ये भी नहीं मानते की वो जीवित थे.

वहीं जीतन राम मांझी के इस बयान पर बिहार में उनके साथी दल में शामिल भाजपा ने भी हमला किया है. बिहार सरकार के मंत्री व भाजपा नेता नीतीन नवीन ने एक न्यूज चैनल पर कहा कि ऐसा बयान राजनीति की रोटी सेंकने के लिए दिया जाता है जिससे देश का भला नहीं हो सकता. मंत्री ने कहा कि हिंदु धर्म व श्रीराम पर सवाल खड़ा करना दुर्भाग्यपूर्ण है. और ऐसा बयान कोई भी दे तो मैं उसके खिलाफ हूं. गलत को गलत कहना कहीं से गलत नहीं होता.

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बिहार बीजेपी के प्रवक्ता प्रेम रंजन पटेल ने ट्वीट कर जीतन राम मांझी पर हमला बोला है. बिना नाम लिखे उन्होंने लिखा कि ‘जिस दिन राम और रामायण को समझ लेगें उसी दिन नासमझी समाप्त हो जाएगी. राम के अस्तित्व को किसी ने नहीं नकारा, अयोध्या रामजन्म भूमि के प्रमाण पुरात्व विभाग की खुदाई में भी मिले,सुप्रीम कोर्ट ने जन्मभूमि होने का फैसला दिया, नासा ने रामसेतु के अस्तित्व को माना, राम तथा रामायण को काल्पनिक कहने वालों को रामायण का पूरा अध्ययन करना चाहिये.’ बीजेपी विधायक हरिभूषण ठाकुर बचौल ने कहा कि मांझी जी से पूछना चाहिए कि उनके माता-पिता ने जीतन राम मांझी के जगह जीतन राक्षस मांझी नाम क्यों नहीं रखा.

बता दें कि जीतन राम मांझी ने यह भी कहा है कि रामायण में उन बातों का जिक्र किया गया है जो सीख देने वाली हैं. रामायण के कइ श्लोक और संदेश ऐसे हैं जो बेहतर व्यक्ति बनने और बनाने में सहायक हैं. रामायण में जिक्र किये बातों को पाठ्यक्रम में शामिल करना चाहिए, ताकि लोग इससे शिक्षा ले सकें और अच्छी बातें सीख सकें. दूसरी तरफ बिहार के शिक्षा मंत्री विजय चौधरी ने कहा है कि रामायण और गीता को पाठ्यक्रम में शामिल करने का कोइ प्रस्ताव सरकार के पास विचाराधीन नहीं है.

POSTED BY: Thakur Shaktilochan

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