हिंदू धर्म में जितिया पर्व का विशेष महत्व है. जितिया व्रत शुरू होने में मात्र दो दिन शेष बचा हुआ है. इस बार मिथिलांचल कि महिलाओं के लिए यह पर्व बेहद कठिन माना जा रहा है. ऐसे तो जितिया व्रत सभी महिलाओं के लिए कठिन होता है. लेकिन इस बार मिथिलांचल की महिलाओं को अन्य क्षेत्र की महिलाओं के अलावा अधिक समय तक उपवास रखना होगा. मिथिलांचल में जितिया व्रत की शुरुआत 16 सितंबर से हो जाएगी. वहीं, अन्य इलाकों में जितिया व्रत की शुरुआत 17 सितंबर से होगी. जितिया व्रत को अलग-अलग क्षेत्र में जिउतिया, जितिया, जीवित्पुत्रिका, जीमूतवाहन और महालक्ष्मी पूजा व्रत के नाम से जाना जाता है. इस दिन महिलाएं उपवास रखकर पुत्र की लंबी आयु के लिए कामना करती है.
हर साल आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को जीवित्पुत्रिका व्रत या जिउतिया व्रत करने का विधान है. यह व्रत सप्तमी से लेकर नवमी तिथि तक चलता है. मिथिला की महिलाएं 16 सितंबर को दिन में माछ मड़ुआ खाएंगी. 17 सितंबर के दिन शनिवार की सुबह पांच बजे ओठगन के साथ निर्जला जितिया व्रत शुरू होगी जो 18 सितंबर को दोपहर बाद साढ़े चार बजे संपन्न होगी. इस प्रकार इस साल मिथिला की महिलाओं के लिए यह व्रत लगभग 34 घंटा 53 मिनट लंबा होगा. जबकि काशी पंचांग के तहत व्रत करने वाली महिलाओं के लिए राहत की बात यह होगी कि उन्हें महज 25 घंटा 43 मिनट का ही व्रत रखना होगा.
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मिथिला की महिलाएं जितिया का निर्जला व्रत रखने से पहले 17 सितंबर दिन शनिवार की सुबह 5 बजे ओठगन करेंगी. जितिया की व्रत शुरुआत करने से पहले महिलाएं सूर्योदय होने से पूर्व जलपान करतीं है, जिसे स्थानीय भाषा में ओठगन कहा जाता है. ओठगन के बाद महिलाएं पारण तक किसी प्रकार का द्रव्य मुंह में नहीं डालती है. सभी प्रकार के व्रतों में इस व्रत को काफी कष्टप्रद माना गया है. इस साल इसकी लंबी अवधि इसे और कष्टप्रद बनायेगा.
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