Jivitputrika Vrat 2022: हिंदू धर्म में जीवित्पुत्रिका व्रत का विशेष महत्व होता है. जीवित्पुत्रिका व्रत महिलाओं के लिए बेहद कठिन माना जाता है. इस व्रत को महिलाएं निर्जला रहकर करती हैं. बिहार और उत्तर प्रदेश में जितिया व्रत को कई नामों से जाना जाता है. इस पर्व को जीवित्पुत्रिका, जिउतपुत्रिका, जितिया, जिउतिया और ज्युतिया व्रत, लक्ष्मी पूजा के नाम से भी जाना जाता है. इस दिन पुत्र की सलामती एवं उनके जीवन की मंगल कामना के साथ महिलाएं रविवार को कठिनतम व्रतों में से एक जिउतिया व्रत करेंगी. इसकी शुरुआत शनिवार को नहाय-खाय के साथ हो जायेगी.
बिहार और उत्तर प्रदेश की महिलाएं शनिवार को नहाय-खाय के साथ जितिया व्रत की शुरुआत करेंगी. व्रती महिलाएं रविवार को पूरे दिन और रात निर्जला उपवास में रहेंगी. अगले दिन 19 सितंबर की सुबह 6 बजकर 10 मिनट के बाद व्रती महिलाएं व्रत का पारण करेंगी. जितिया व्रत सामग्री की खरीदारी को लेकर शुक्रवार को बाजार में खास चहल-पहल नजर आयी. बता दें कि शनिवार को पवित्र जल से स्नान कर व्रतियां झिगुनी के पत्ते पर सरसों का तेज व खल्ली चढ़ाकर पितराइन को जल अर्पित करेंगी. कई महिलाएं इस अवसर पर परंपरानुरूप पितराइन भोजन भी करायेंगी. शनिवार की आधी रात के बाद अहले सुबह ओठंगन होगा.
इस वर्ष सुबह 4 बजे ओठंगन का मुहुर्त्त सर्वोत्तम है. बता दें कि इसके पश्चात व्रतियां जल भी ग्रहण नहीं करेंगी. 23 घंटे तक निर्जला उपवास रखने के पश्चात सोमवार की सुबह 6 बजकर 10 मिनट के बाद स्नान आदि से निवृत होकर चिल्हो-सियारो को खीरा-अंकुरी का प्रसाद भोग लगायेंगी. ब्राह्मण भोजन कराने के बाद खुद पारण करेंगी. मांग को देखते हुए बाजार में आज झिगुनी का पत्ता व खल्ली की खूब बिक्री हुई. इधर नहाय-खाय के लिए मरूआ का आंटा, नुनी का साग आदि की लोगों ने खरीदारी की. जो महिलाएं मछली खाती है वे शनिवार को मछली खरीदेंगे.
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काशी पंचांग के अनुसार, आश्विन माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि की शुरुआत 17 सितंबर दिन शनिवार को दोपहर 2 बजकर 14 मिनट पर होगी. वहीं, 18 सितंबर दिन रविवार की दोपहर 4 बजकर 32 मिनट पर समाप्त हो जाएगी. उदया तिथि के अनुसार, जितिया का व्रत 18 सितंबर 2022 दिन रविवार को रखा जाएगा. इस व्रत का पारण 19 सितंबर 2022 दिन सोमवार को किया जाएगा. 19 सितंबर की सुबह 6 बजकर 10 मिनट के बाद व्रत का पारण किया जा सकता है.
धर्म शास्त्रों के अनुसार, जीवित्पुत्रिका व्रत को संतान प्राप्ति, उनकी लंबी आयु और सुखी निरोग जीवन की कामना के साथ किया जाता है. इस व्रत को करने से संतान के ऊपर आने वाले सभी प्रकार के कष्ट दूर हो जाता है.
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