Bihar Election 2020, JP Nadda Exclusive Interview, BJP, NDA: बिहार की राजनीतिक गतिविधियों पर पूरे देश की निगाह होती है. लेकिन इस बार का बिहार चुनाव भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के लिए भी खास मायने रखता है. उनकी प्रारंभिक शिक्षा-दीक्षा पटना में हुई है तथा उनके पार्टी अध्यक्ष बनने के बाद दिल्ली के बाद बिहार में विधान सभा का चुनाव हो रहा है.
ऐसे में नड्डा के लिए बिहार विधानसभा चुनाव परिणाम के नतीजे का काफी महत्व है. बिहार चुनाव को लेकर भाजपा के प्रमुख मुद्दे, उनके क्रियान्वयन और मौजूदा स्थिति को लेकर भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से प्रभात खबर के राष्ट्रीय ब्यूरो प्रमुख अंजनी कुमार सिंह ने विस्तार से बातचीत की. पढ़ें प्रमुख अंश..
मोदी जी के नेतृत्व और नीतीश कुमार के सुशासन को ध्यान में रखते हुए बिहार लोग अपना मन बना चुके हैं. नीतीश कुमार ने बड़ी मेहनत करके बिहार के विकास की गाड़ी को पटरी पर लाने का काम किया है, उसका संकल्प बिहार की जनता ले रही है और उसको आगे बढ़ाने के लिए वह तत्पर है. बिहार की जनता जानती है कि 15 सालों तक किस तरह लालू जी का कुशासन रहा है, सारे सिस्टम को उन्होंने किस तरह से ध्वस्त किया. मोदी जी ने बिहार के लिए बड़ी राशि दी और उस राशि से जमीन पर विकास को उतारने का काम नीतीश जी ने किया है. बिहार की जनता दोबारा नीतीश कुमार के नेतृत्व में एनडीए की सरकार बनाने को आतुर दिख रही है.
2020 की तुलना करना है, तो उसे 2010 से कीजिए. क्योंकि, 2010 में जितनी संख्या नीतीश कुमार के पास थी, उससे ज्यादा संख्या आज है, और वही गठबंधन वापस आया है. 2015 का गठबंधन एक मिसलिडिंग था. इस मायने में कि नीतीश जी की जो लोकप्रियता थी, उसको लेकर बड़ी संख्या में लोगों ने महगठबंधन को वोट दिया था, लेकिन सुशासन का कुशासन से मेल नहीं था. अननेचुरल केमिस्ट्री थी. इसीलिए नीतीश जी वहां से अलग हो गये. 2010 में नेचुरल केमिस्ट्री थी और आज 2020 में भी वैसा ही है.
नहीं. ऐसी बात नहीं है. सीवान, आरा, छपरा, सीतामढ़ी, मोतिहारी सहित कई जिलों में निचले स्तर के कार्यकर्ताओं के साथ बैठक कर उनका फीडबैक लिया है, कहीं पर समन्वय की कमी नहीं दिख रही है. भाजपा और जदयू के कार्यकर्ता आपस में तालमेल के साथ एनडीए के लिए काम कर रहे हैं.
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आधे दिन तक यह कंफ्यूजन रहा, लेकिन जिस दिन यह कह दिया गया कि वह हमारे एलायंस में नहीं हैं, उसी समय से कंफ्यूजन खत्म हो गया. देखिए, हम कैडर बेस्ड पार्टी हैं. इसमें कोई दांया-बांया नहीं चलता. भाजपा जो कहती है, वह करती है. जो लोग लोजपा में गये, उनके ऊपर कार्रवाई कर पूरे मामले का पटाक्षेप कर दिया गया. हमारा काम होता है, समझाना. यदि नहीं समझते हैं, तो जाइए. लोजपा के साथ किसी तरह का कोई रिश्ता नहीं है. यदि हम कहते हैं, कि जदयू, भाजपा, हम और वीआइपी तो इसका मतलब यही चार पार्टी है, इसमें लोजपा कहीं से भी नहीं आती है.
हंग असेंबली आने का सवाल ही नहीं है. एनडीए पूर्ण बहुमत के साथ सत्ता में आ रहा है. एनडीए में शामिल चारों पार्टियों के पास इतनी सीटें होंगी कि उसे किसी दूसरे की जरूरत ही नहीं पड़ेगी. इसमें किसी तरह का इफ-बट नहीं है.
तेजस्वी यादव और उनकी पार्टी के कैरेक्टर को अच्छी तरह से बिहार की जनता जानती है. यह वही तेजस्वी यादव हैं, जिन्होंने पिछले साल बजट सेशन के दौरान एक दिन भी सदन अटेंड नहीं किया. यह वही तेजस्वी यादव हैं, जिन्होंने प्रजातंत्र का मजाक बना कर रख दिया है. इतना एरोगेंस अब भी हैं. रस्सी जल गयी है, लेकिन बल अब भी नहीं गया है. बिहार की जनता जानती है कि इनको फिर से लाएंगे तो आगे क्या होगा?
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सब बराबर हैं. इन्होंने एक खास तरह के लोगों के वोट को बनाने का प्रयास किया है. ये वोट बैंक की राजनीति करते हैं. वो(लालू प्रसाद) रहें, तब भी वही काम करेंगे. ये हैं, तो ये भी वही काम कर रहे हैं. इनके पास इसके अलावा कुछ भी नहीं है.
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कहां अटैक करते हैं? लेकिन जब आप बेशर्मी से जनता को गुमराह करना चाहेंगे, तो हमें जवाब देना पड़ेगा. शशि थरूर यदि पाकिस्तान में जाकर भारत को गाली देते हैं, तो हम क्या उन्हें माला पहनायेंगे? पी चिदंबरम कहते हैं कि हम सत्ता में आयेंगे, तो धारा 370 बहाल कर देंगे, तो उन्हें भाजपा क्या फुल चढ़ाने का काम करें. मोदी जी का विरोध करते-करते वे लोग राष्ट्र का विरोध करने लगे.
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हर चुनाव में राज्यों के अपने-अपने इश्यू होते हैं. बिहार चुनाव का इश्यू यह है कि बड़ी मेहनत करके शिद्दत के बाद विकास की गाड़ी पटरी पर आयी है और इसको आगे ले चलना है. लेकिन राजद उसको रोकना चाहता है. क्योंकि, राजद माले के साथ मिला हुआ है. एक अराजक पार्टी(राजद) और दूसरी विध्वंसकारी पार्टी(माले). इन दोंनो के साथ वह पार्टी मिल गयी है, जो राष्ट्र से अलग हटके पाकिस्तान की भाषा बोलती है, वह पार्टी है कांग्रेस. तो भला ये लोग बिहार का क्या विकास करेंगे, इसका अंदाजा लगा सकते हैं.
विकास. यह सबसे बड़ा मुद्दा है. लोगों की आकांक्षा. बिहार के लोगों का पलायन हुआ है. बिहार के लोगों ने बाहर जाकर देश निर्माण में अपना योगदान दिया है. अपना स्थान बनाया है, लेकिन वह चाहते हैं कि वह अपनी धरती पर भी कुछ करें. आज वहां पर इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत किया जा रहा है. वहां तेजी से विकास हो रहा है. इसके कारण बिहार के लोग अब वहां रहने को आतुर हो रहे हैं.
इतने दिनों डबल इंजन की सरकार नहीं रही है. डबल इंजन की सरकार सिर्फ तीन साल रही है. पहले पांच साल यूपीए की सरकार थी. इस दौरान जो भी काम किया वह नीतीश जी ने बिहार की जनता के आशीर्वाद से किया. उसके बाद आ गया लालू प्रसाद का 18 महीने का कुशासन और उसके बाद आयी डबल इंजन की सरकार. इस डबल इंजन सरकार में एक लाख 25 हजार करोड़ रुपये खर्च हुए. 40 हजार करोड़ रुपये अतिरिक्त दिये गये. कृषि, हाइवे, स्वास्थ्य, शिक्षा, टूरिज्म, एयरपोर्ट के लिए भी अलग-अलग राशि डबल इंजन की सरकार ने पिछले तीन सालों में दी.
Posted By: Sumit Kumar Verma