पटना. सुप्रीम कोर्ट ने 48 साल पहले समस्तीपुर रेलवे स्टेशन पर हुए विस्फोट में जान गंवाने वाले पूर्व रेल मंत्री ललित नारायण मिश्र के पोते को हत्या के मामले में दोषियों की अपील की अंतिम सुनवाई में दिल्ली उच्च न्यायालय की सहायता करने की अनुमति दे दी है. न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता की पीठ ने मिश्रा की दलीलों पर गौर किया और मामले की दोबारा जांच संबंधी याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया. पीठ ने हालांकि याचिकाकर्ता को दिल्ली उच्च न्यायालय की सहायता करने की अनुमति दी.
मांगी गई राहत देने से इनकार
पीठ ने कहा, कुछ समय तक मामले पर बहस करने के बाद, याचिकाकर्ता के सुविज्ञ वकील ने दोषियों द्वारा दायर आपराधिक अपीलों की अंतिम सुनवाई के समय दिल्ली उच्च न्यायालय की खंडपीठ की सहायता करने की स्वतंत्रता के साथ इस याचिका को वापस लेने की मांग की, जिसकी अनुमति दी गयी है. पीठ ने 13 अक्टूबर को पारित अपने आदेश में कहा, ‘‘विशेष अनुमति याचिका को उक्त स्वतंत्रता के साथ वापस लिया गया मानकर खारिज किया जाता है. इससे पहले, उच्च न्यायालय ने सात फरवरी को याचिकाकर्ता द्वारा मांगी गई राहत देने से इनकार कर दिया था.
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ललित बाबू के पोते ने दी थी दोबारा जांच की अर्जी
ललित नारायण मिश्रा के पोते एवं वकील वैभव मिश्रा ने दिल्ली उच्च न्यायालय के सात फरवरी के आदेश को चुनौती देते हुए शीर्ष अदालत का रुख किया था. दिल्ली हाइकोर्ट ने सीबीआइ को निष्पक्ष और पुनः जांच करने का निर्देश देने की उनकी याचिका खारिज कर दी थी. वैभव मिश्रा ने जांच में गड़बडी होने की मांग के आधार पर मामले की दोबारा जांच की मांग की. कहा कि असली दोषियों को बरी कर दिया गया, जिससे न्याय का मजाक बना.कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और तत्कालीन कैबिनेट मंत्री एनएन मिश्रा को समस्तीपुर में बम विस्फोट से घातक चोटें आयीं थी. दो जनवरी, 1975 को ब्रॉड गेज लाइन के उद्घाटन के लिए वे वहां गये थे. तीन जनवरी को दानापुर रेलवे अस्पताल में उनकी मौत हो गयी थी.