बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री व राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद ने कहा कि विधायकों को खरीदना आज आम बात हो गयी है. दिल्ली व महाराष्ट्र के बाद बिहार को तोड़ने की कोशिश हो रही है. बिहार कभी ऐसा नहीं होने देगा. हमलोग एकजुट होकर देश के लोकतंत्र को मजबूत करेंगे. ज्ञान भवन में सोमवार को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के अंतरंग दाेस्तों के संस्मरण उनके मित्र उदयकांत द्वारा लिखित पुस्तक का लाेकार्पण करते हुए लालू प्रसाद ने कहा कि सुने हैं कि वे बिहार से सांसदों को तोड़ने की चर्चा हो रही है. बिहार से सांसदों को निकालने की बात कही जा रही है. लेकिन, बिहार कहां हिलता-डुलता है. हमलोग बिहार को हिलने-डुलने नहीं देंगे. बिहार से ही भाजपा का सफाया होगा.
लालू यादव ने कहा कि देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आरक्षण पर खतरा पैदा कर रहे हैं. नरेंद्र मोदी भ्रष्टाचार की बात करते हैं, उनसे बड़ा भ्रष्टाचारी कौन हो सकता है. हाल ही में देश के सबसे बड़े नेता शरद पवार को हमलोगों ने बिहार में बुलाया था. राजद अध्यक्ष ने कहा कि इस किताब का लोकार्पण तब हो रहा है, जब हमारा देश टूट रहा है. देश बिखर रहा है. लोकतंत्र पर हमले हो रहे हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चारों तरफ डाका डाल रहे हैं. गरीबी पर कोई चर्चा नहीं हुई. देश और संविधान पर हमले हो रहे हैं.
लालू प्रसाद ने कहा कि बीपी सिंह की सरकार में नीतीश और मुझे उम्मीद थी कि मंत्रिमंडल में जगह मिलेगी. हम और नीतीश कुमार बराबर कपड़ा पहनकर तैयार रहते थे कि मंत्रिमंडल में जगह मिलेगी. शरद यादव तब मंत्री बने थे. हमलोगों को बताया गया था कि नीतीश व मेरी ओथ (शपथ) एक साथ होगी. हमलोग प्रतीक्षा में थे. नीतीश कुमार और मेरा सौभाग्य है कि मैं बिहार का मुख्यमंत्री बना और नीतीश कुमार दिल्ली में मंत्री बने. देश की सेवा, मंडल कमिशन को लागू करने, पिछड़े, गरीब, अकलियत के लोगों को ऊंचा स्थान देने में हमलोगों ने काफी समय बिताया और आज भी बिता रहे हैं.
लालू प्रसाद ने कहा कि कर्पूरी ठाकुर के निधन के बाद बिहार में नेता विरोधी दल का पद खाली हो गया था. हमारे साथ अनूप लाल यादव, विनायक, मुंशीलाल सरीखे कई सीनियर नेता थे और वे चाहते थे कि नेता विरोधी दल का स्थान उनको मिले. लेकिन, नीतीश कुमार ने मेरे पक्ष में खड़ा होकर समर्थन दिया.
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लालू प्रसाद ने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार बिल्कुल साधारण घर से निकले नेता हैं. उनके पिताजी वैद्य थे. कहा कि नीतीश कुमार को मैं तो जानता ही हूं. दूसरे लोगों को उनकी जीवनी पर आधारित किताब जरूर पढ़नी चाहिए. किताब मोटी है, मगर इसे जरूर पढ़ें. यह किताब ज्योति प्रकाश करेगी.