राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद के ‘राजदार’ भोला यादव को सीबीआइ ने रेलवे भर्ती घोटाला मामले में गिरफ्तार कर लिया है. भोला यादव लालू यादव के सबसे करीबी लोगों में से हैं. अस्पताल हो या कोर्ट जहां लालू यादव दिखेंगे वहां भोला यादव भी साथ में देखे जाते. जिस वक्त लालू यादव रेल मंत्री थे उस वक्त भोला यादव उनके ओएसडी के रूप में काम कर चुके हैं.
दरभंगा के बहादुरपुर प्रखंड एक छोटे से गांव कपछियाही से आये भोला यादव वर्ष 1994-95 के बाद के दिनों में लालू-राबड़ी दरबार के दूसरे नंबर के ओहदेदार बन गये. पूर्व विधान पार्षद रामानंद यादव के मुंशी के रूप में पटना आये भोला यादव की लालू परिवार में एक सेवक की भूमिका में इंट्री हुई थी. जिसके बाद वो धीरे-धीरे भोला लालू परिवार में आम से खास होते गये.
भोला यादव पहले लालू प्रसाद के सेवक बने फिर राबड़ी देवी जब मुख्यमंत्री बनीं तो उनके पीए के रूप में भोला का कद बढ़ा. बाद के दिनों में जब लालू मुकदमों में उलझे तो सबसे खास भोला ही उनके राजदार रहे. मुंबई में इलाज से लेकर अदालतों की चौखट पर हाजिरी बनाने तक का सारा काम भोला यादव के ही जिम्मे था.
राजद में भोला का कद इतना बड़ा था कि जब 2014 में विधान परिषद की एक सीट आकस्मिक रूप से खाली हुई तो भोला महागठबंधन के साझा उम्मीदवार बने और विधान परिषद पहुंच गये. तो उसके ठीक बाद खाली हुई विधान परिषद की सीट पर भोला यादव विधान पार्षद बन गये.
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2015 के विधानसभा चुनाव में भोला यादव को बहादुरपुर विधानसभा सीट से महागठबंधन का उम्मीदवार बनाया गया. भोला भारी मतों से चुनाव जीत कर विधानसभा आये. जब महागठबंधन की सरकार बनने को हुई तो संभावित मंत्रियों की सूची में राजद कोटे से भोला यादव का नाम चल रहा था, पर एन वक्त पर उनका नाम कट गया.
यह पूरा मामला जमीन नौकरी के बदले जमीन और आईआरसीटीसी स्कैम से जुड़ा है. भोला यादव इसलिए फंसे हैं क्योंकि यह मामला उस वक्त का है जब लालू प्रसाद यादव रेल मंत्री थे. उस दौरान भोला यादव आरजेडी सुप्रीमो के ओएसडी थे. सारा काम देख रहे थे. इसलिए सीबीआई ने भोला यादव पर भी शिकंजा कसा है.