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Lampi Virus: लंपी वायरस जानवरों के लिए जानलेवा, पशुओं को नहीं लग रहा भूख तो हो जाए सतर्क, जानें बचाव के उपाय

Lampi Virus: लंपी स्किन डिजीज में पशुओं को तेज बुखार आ जाता है. दुधारू पशु दूध देना कम कर देती है. गर्भवती पशुओं का गर्भपात हो जाता है. यह बीमारी इस तरह खतरनाक है कि पशुओं की मौत भी हो जाती है.

पटना. लंपी स्किन डिजीज एक वायरल बीमारी है जो गाय-भैंसों में होती है. लंपी स्किन डिजीज बहुत ही खतरनाक बीमारी है. इस बीमारी से पशुओं की मौत तक हो जाती है. अगर पशुशाला में या नजदीक में किसी पशु में संक्रमण की जानकारी मिलती है तो स्वस्थ पशु को हमेशा उनसे अलग रखना चाहिए. रोग के लक्षण दिखने वाले पशुओं को नहीं खरीदना चाहिए. मेला मंडी और प्रदर्शनी में पशुओं को नहीं ले जाना चाहिए. पशुशाला में सीटों की संख्या सही रखने का उपाय करना चाहिए. मुख्यतौर पर मच्छर, मक्खी व अठैल ( अठगोरवा ) से बचाव का उचित प्रबंध करना चाहिए. रोगी पशुओं की जांच और इलाज में उपयोग हुए सामान को खुले में नहीं फेंकना चाहिए.

भूख नहीं लगने पर खिलाएं फेंटास

अगर इस बीमारी के लक्षण अपने पशुशाला के पशुओं या आसपास के किसी और साधारण लक्षण वाले पशु को देखते हैं तो तुरंत नजदीक के पशु अस्पताल में इसकी जानकारी देनी चाहिए. एक पशुशाला के श्रमिक को दूसरे पशुशाला में नहीं जाना चाहिए. इसके साथ ही पशुपालकों को भी अपने शरीर की साफ-सफाई पर भी ध्यान देना चाहिए. पशुपालन विशेषज्ञ डॉ रंजन कुमार ने बताया कि पशुओं को भूख नहीं लगने की स्थिति में कीड़े की दवा फेंटास खिलाएं. यह गर्भावस्था में भी सुरक्षित है. इसके बाद रूमेन एफएस बोलस सुबह- शाम खिलाएं. इससे भूख लगने की समस्या समाप्त हो जायेगी. और पशुओं की सेहत में सुधार होगी. धूप में हरा चारा सुखाने के बाद जरूर खिलाएं. इससे कई तरह के पोषक तत्व प्राप्त होते हैं.

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लंपी वायरस से बचाव के उपाय

लंपी वायरल बीमारी से पशुओं के बचाव की सलाह दी गयी. बताया कि अपने पशुओं को बाकी पशुओं से अलग रखें. किसी भी बाहरी व्यक्ति को गोशाला में नहीं आने दें. कोई पशु बीमार है , तो अन्य पशुओं से अलग रखें. गोशाला में फेनाइल का नियमित छिड़काव करें या कोई भी कीटनाशक दवा का स्प्रेकरें. इससे पशुओं का बचाव हो सकेगा. सावधानी व बचाव से काफी फायदा होगा. इसके साथ ही अगर लंपी स्किन डिजीज से संक्रमित पशु की मौत हो जाती है तो उसकी बॉडी को सही तरीके से डिस्पोज करना चाहिए, ताकि यह बीमारी और ज्यादा ना फैले. पशु की मौत के बाद उसे जमीन में दफना देना चाहिए.

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