बिहार के निबंधन कार्यालयों में सामान्य तौर पर कातिबों (डीड राइटर) के सहयोग के बिना दस्तावेजों के रजिस्ट्री की कल्पना नहीं की जाती. उनके सहयोग से रजिस्ट्री कराने पर ग्राहकों को रजिस्ट्री व स्टांप शुल्क के अतिरिक्त राशि का भुगतान करना पड़ता है. हालांकि, निबंधन विभाग ने मॉडल डीड के माध्यम से रजिस्ट्री की सुविधा उपलब्ध करा कातिबों पर निर्भरता थोड़ी कम की है.
भविष्य में नेशनल जेनेरिक डॉक्यूमेंट रजिस्ट्रेशन सिस्टम (एनजीडीआरएस) लागू होने पर यह निर्भरता पूरी तरह समाप्त हो जायेगी. कई राज्यों में लागू इस सिस्टम को बिहार में प्रयोग के तौर पर लखीसराय के हलसी और सीतामढ़ी के ढेंग रजिस्ट्री कार्यालयों में लागू कर दिया गया है.
फिलहाल ग्राहकों को खुद से ऑनलाइन रजिस्ट्री के लिए http://nibandhan.bihar.gov.in/modeldeed_new.aspx पर मॉडल रजिस्ट्री फॉर्म को भर कर उसे अपलोड करना पड़ता है. इसके बाद रजिस्ट्री शुल्क की गणना के लिए दूसरी वेबसाइट http://bhumijankari.bihar.gov.in/Admin/MVR/MVRParameter.aspx अथवा ‘ मे आइ हेल्प यू ‘ काउंटर की शरण लेनी पड़ती है. फिर अप्वाइंटमेंट की प्रक्रिया होती है, लेकिन एनजीडीआरएस पर एक बार में ही ऑनलाइन एंट्री से लेकर वैल्यूएशन, अप्वाइंटमेंट लेने की पूरी प्रक्रिया की जा सकेगी.
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एनजीडीआरएस के माध्यम से ग्राहकों को एसएमएस/इ-मेल अलर्ट मिलेगा. साथ ही शिकायत करने व उसे ट्रैक करने की सुविधा भी मिलेगी. एनजीडीआरएस भारत सरकार द्वारा विकसित सॉफ्टवेयर है, जबकि वर्तमान में निबंधन विभाग निजी कंपनी आइएलएफएस द्वारा विकसित साॅफ्टवेयर पर रजिस्ट्री कर रही है.
निबंधन विभाग ने कातिबों को निबंधन कार्यालयों से हटाने के लिए पहले ही पहले उनके लिए शेड बनाने की बाध्यता से संबंधित 40 वर्ष पुराने संकल्प को रद्द कर दिया है. विभाग के जारी संकल्प में इसके पीछे वर्तमान समय में निबंधन कार्यालयों में पर्याप्त भूमि उपलब्ध नहीं होने की वजह बतायी गयी है. इसके साथ ही विभाग ने सभी रजिस्ट्री कार्यालयों में कम- से -कम 20 फीसदी रजिस्ट्री मॉडल डीड से करना अनिवार्य कर दिया है.
इसके लिए विभाग की वेबसाइट पर हिंदी, अंग्रेजी व उर्दू भाषाओं में 29 प्रकार के मॉडल डीड का मॉडल अपलोड किया गया है, जिनकी सहायता से आम जनता खुद दस्तावेज तैयार कर सकते हैं. मॉडल डीड के माध्यम से रजिस्ट्री को प्रोत्साहित करने के लिए निबंधन कार्यालयों में खोले गये ‘ मे आइ हेल्प यू’ बूथ पर पर्याप्त संख्या में ऑपरेटर सहित कंप्यूटर की सुविधा मुहैया करायी गयी है.
कातिबों पर ग्राहकों की निर्भरता कम करने के लिए मॉडल डीड की व्यवस्था का सकारात्मक परिणाम देखने को मिल रहा है. एनजीडीआरएस सॉफ्टवेयर लागू होने पर रजिस्ट्री प्रक्रिया पूरी तरह ऑनलाइन हो जायेगी. लोगों की सुविधा व राजस्व को ध्यान में रखते हुए इसे क्रमवार लागू किया जा रहा है.
बी कार्तिकेय धनजी, आयुक्त, निबंधन विभाग
POSTED BY: Thakur Shaktilochan