पटना : बिहार के पूर्वी चंपारण के कल्याणपुर विधान सभा क्षेत्र में बिहार जनसंवाद के तहत आयोजित वर्चुअल रैली को संबोधित करते हुए उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने कहा कि गलवान वैली की घटना के बाद जब सीमा पर तनाव की स्थिति है और सेना डट कर मुकाबला कर रही है तब कांग्रेस प्रधानमंत्री के खिलाफ आपत्तिजनक व ओछी टिप्पणी कर, सेना पर सवाल उठा कर देशवासियों व सेना का मनोबल तोड़ रही है. जिनके कार्यकाल में 1962 में चीन ने भारत की 38 हजार वर्ग किमी जमीन पर कब्जा कर लिया था, वही लोग आज अंगुली उठा रहे हैं. कारगिल के समय भी अटल जी द्वारा बुलाई गयी सर्वदलीय बैठक का कांग्रेस ने बहिष्कार किया था.
उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी ने कहा कि सरकारों में मतभेद के बावजूद भारत और नेपाल के बीच धार्मिक-सांस्कृतिक और रोटी-बेटी का रिश्ता है जिसे कोई ताकत तोड़ नहीं सकती है. श्रीराम की जन्मभूमि अयोध्या और मां जानकी की अवतरण भूमि जनकपुर का संबंध सदियों से अटूट है. भारतीय भूमि को अपने नक्शे में नेपाल द्वारा दर्शाए जाने के बावजूद बिहार के सीमावर्ती जिले के लोगों को उत्तेजित होने की जरूरत नहीं है.
सुशील मोदी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी गरीब का बेटा जरूर हैं, मगर वे पुलवामा का बदला लेना जानते हैं तो सर्जिकल स्ट्राइक कर दुश्मनों के घर में घुस कर वार करना भी जानते हैं. चीन को भी करारा जवाब दिया जा रहा है. पहली बार देश के किसी प्रधानमंत्री ने चीन के खिलाफ सख्त रवैया अपनाते हुए उसे दो टूक शब्दों में बता दिया है कि गलवान पर उसका दावा गलत है और भारत हर हाल में अपनी सीमा व भूमि की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है.
भाजपा के वरिष्ठ नेता सुशील मोदी ने कहा कि केन्द्र और राज्य की सरकार आपदा की हर स्थिति का मुकाबला करना जानती है. केन्द्र सरकार ने 1500 श्रमिक स्पेशल ट्रेनें चला कर 21 लाख से ज्यादा श्रमिकों को बिना किराया लिए उनके घरों तक पहुंचाया और बिहार सरकार ने देश के किसी भी राज्य से बेहतरीन व्यवस्था कर उन सबको कोरेंटिन सेंटर में रख कर प्रति व्यक्ति 5300 रु. खर्च किया और धर वापसी के समय 1-1 हजार रुपया भी दिया गया.
अब स्थानीय स्तर पर उनके रोजगार के लिए भी 50 हजार करोड़ की लागत से प्रधानमंत्री गरीब रोजगार योजना शुरू की गयी है. हर परिस्थिति का मुकाबला करने में केन्द्र व राज्य सरकार तैयार व सक्षम है. कोई ऐसा क्षेत्र नहीं है जहां विकास के कार्य त्वरित गति से नहीं हुआ है. 15 साल का मौका मिलने के बावजूद राजद-कांग्रेस विफल रहे थे.