पटना. बिहार की उच्च शिक्षा में क्रांतिकारी बदलाव प्रस्तावित किया गया है. बिहार के सभी 15 विश्वविद्यालयों के रिसर्च स्कॉलर और शिक्षकों को लाइब्रेरी लोन की सौगात जल्दी ही मिलेगी. शिक्षा विभाग इसकी सैद्धांतिक तैयारी पूरी कर चुका है. नीतिगत निर्णय के लिए इस पर शिक्षा मंत्री प्रो चंद्रशेखर को नीतिगत निर्णय लेना अभी बाकी है.आधिकारिक जानकारों के मुताबिक इंटर लाइब्रेरी लोन के जरिये कोई भी विद्यार्थी विशेषकर रिसर्च स्कॉलर अपनी मनचाही किताब या शोध सामग्री दूसरे विश्वविद्यालयों से मंगा सकेंगे.
उदाहरण के लिए पटना विश्वविद्यालय के किसी रिसर्च स्कॉलर को किसी खास विषय या विषय सामग्री चाहिए. वह विषय सामग्री उनके अपने विश्वविद्यालय में नहीं है. अगर वह विषय सामग्री राज्य के किसी दूसरे विश्वविद्यालय में है, तो उसके आग्रह पर खुद उसका विश्वविद्यालय जरूरत की पठन सामग्री दूसरे विश्वविद्यालय से एकदम मुफ्त मंगा कर शोधार्थियों को मुहैया करायेगा. हालांकि, वह पठन सामग्री एक समय तक ही रिसर्च स्कॉलर के पास रहेगी. इसके बाद वह पठन सामग्री या किताब वापस अपने मूल विश्वविद्यालय भेज दी जायेगी. इस तरह बिना किसी खर्च के शोधार्थी को जरूरत की पठन सामग्री उसे अपने कॉलेज या विश्वविद्यालय में मिल सकेगी. इसके लिए शिक्षा विभाग विश्वविद्यालयों की सभी किताबों की वर्चुअल कैटलॉग बनायेगा.
इंटर लाइब्रेरी लोन का संचालन सॉफ्टवेयर फॉर यूनिवर्सिटी लाइब्रेरी के जरिये किया जायेगा. यह समूची कवायद यूजीसी गाइडलाइन पर की जानी है. इसके लिए विश्वविद्यालयों के पुस्तकालयों का स्वचालन सिस्टम बनाया जायेगा. इसमें किताबों के बारकोड आदि भी किये जायेंगे. इस समूची कवायद के बदले केवल एक बार विश्वविद्यालय को 30 हजार रुपये देने होंगे. यह पैसा विद्यार्थियों की जेब से नहीं जायेगा.
Also Read: बिहार में बंगले पर सियासत, पूर्व उपमुख्यमंत्रियों को बंगला खाली करने का नोटिस, लगाया गया जुर्माना
जानकारों के मुताबिक इस पूरे सिस्टम में 50 हजार से अधिक किताबों को जोड़ा जायेगा. इसके अलावा शोध गंगा, शोध चक्र, इ-शोध सिंधु और शोध शुद्धि सिस्टम भी प्रभावी किये जायेंगे. शोध शुद्धि के तहत पीएचडी शोध सामग्री की चोरी रोकने के लिए सभी विश्वविद्यालयों को एक सॉफ्टवेयर मुहैया कराया जायेगा. बता दें कि शोध सामग्री की चोरी या उसकी नकल को रोकने के लिए पटना और मिथिला विश्वविद्यालयों ने ही कुछ सिस्टम बनाया है. शेष विश्वविद्यालयों ने इसकी शुरुआत तक नहीं की है, जबकि यूजीसी के नियम के मुताबिक 2018 से ही लागू हो जानी चाहिए थी. इ- लाइब्रेरी से जुड़ी समूची कवायद शिक्षा विभाग और यूजीसी की सहयोगी संस्थान इन्फ्लिबनेट सेंटर गांधी नगर के बीच एमओयू पर हस्ताक्षर किये जाने हैं.