15.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

चूहे और खरगोश पर एलोपैथी की तरह आयुर्वेदिक दवाओं का भी हो सकेगा रिसर्च, एचओयू पर हस्ताक्षर

आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति के तहत आप जो दवा खा रहे हैं, वह कितनी कारगर है? कौन-सी दवा किस बीमारी में बेहतर होगी. यह अब चूहा, खरगोश व बिल्ली आदि जानवरों पर रिसर्च से पता चलेगा. दरअसल एलोपैथ चिकित्सा पद्धति की तरह अब आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति में भी दवा की गुणवत्ता की जांच शहर के राजकीय आयुर्वेदिक कॉलेज के चिकित्सक करेंगे.

आनंद तिवारी की रिपोर्ट

पटना. आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति के तहत आप जो दवा खा रहे हैं, वह कितनी कारगर है? कौन-सी दवा किस बीमारी में बेहतर होगी. यह अब चूहा, खरगोश व बिल्ली आदि जानवरों पर रिसर्च से पता चलेगा. दरअसल एलोपैथ चिकित्सा पद्धति की तरह अब आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति में भी दवा की गुणवत्ता की जांच शहर के राजकीय आयुर्वेदिक कॉलेज के चिकित्सक करेंगे.

इसके लिए शुक्रवार को बिहार पशु चिकित्सा महाविद्यालय एवं राजकीय आयुर्वेदिक कॉलेज के बीच एमओयू पर हस्ताक्षर किया गया था. शोध कार्य के लिए अब कॉलेज के डॉक्टरों व बीएएमएस और पीजी छात्रों की सूची बनाने के साथ ही उन्हें जिम्मेदारी देने की तैयारी की जा रही है. प्रिंसिपल व वाइस चांसलर की देखरेख में शोध कार्य किये जायेंगे.

चूहे और खरगोश पर होगा रिसर्च

इस शोध में बाजार में आ रही आयुर्वेद की नयी दवाओं को शामिल किया जायेगा. शोध में कुछ ऐसी दवाएं होंगी, जिनका प्रमाण नहीं है और लोग बिना रोक-टोक इसका सेवन कर रहे हैं. इससे इन दवाओं के बारे में पूरी जानकारी हासिल की जायेगी. आयुर्वेदिक कॉलेज व अस्पताल के संबंधित डॉक्टर सबसे पहले छोटे जानवरों पर रिसर्च करेंगे. इसकी शुरुआत चूहा व खरगोश पर रिसर्च के साथ होगी. इसके बाद आये रिजल्ट के बाद ही दवाएं लिखने व उसकी बिक्री की अनुमति दी जायेगी.

चूहे और खरगोश पर होगा रिसर्च

इस शोध में बाजार में आ रही आयुर्वेद की नयी दवाओं को शामिल किया जायेगा. शोध में कुछ ऐसी दवाएं होंगी, जिनका प्रमाण नहीं है और लोग बिना रोक-टोक इसका सेवन कर रहे हैं. इससे इन दवाओं के बारे में पूरी जानकारी हासिल की जायेगी. आयुर्वेदिक कॉलेज व अस्पताल के संबंधित डॉक्टर सबसे पहले छोटे जानवरों पर रिसर्च करेंगे. इसकी शुरुआत चूहा व खरगोश पर रिसर्च के साथ होगी. इसके बाद आये रिजल्ट के बाद ही दवाएं लिखने व उसकी बिक्री की अनुमति दी जायेगी.

जानवरों को दी जाने वाली दवाओं पर भी शोध

दूसरी ओर पालतू जानवरों को दी जाने वाली आयुर्वेदिक दवाओं पर पशु चिकित्सा महाविद्यालय के छात्र शोध करेंगे. आयुर्वेदिक कॉलेज के प्रिंसिपल वैद्य प्रो दिनेश्वर प्रसाद ने बताया कि बहुत सारी आयुर्वेदिक में दवाएं पालतू जानवर जैसे गाय, भैंस, डॉग, बिल्ली आदि पशु व पक्षियों को दी जाती हैं. ऐसे में कौन से पालतू जानवर को किस तरह की दवाएं दी जाएं ताकि उनका ग्रोथ हो इसके बारे में भी शोध के माध्यम से पशु महाविद्यालय के छात्र पता लगायेंगे.

गंभीर बीमारियों की दवाओं पर भी होगा शोध

इस शोध के अंतर्गत वर्तमान में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से आयुर्वेद में अलग-अलग तरह की सर्जरी की मान्यता दी गयी है. कई गंभीर बीमारियों और विभिन्न दवाओं पर रिसर्च संभव हो सकेगा. विशेषज्ञ डॉक्टरों के अलावा पीजी छात्र भी रिसर्च कर सकेंगे. कैंसर, डायबिटीज, निमोनिया, डेंगू आदि बीमारियों की दवाओं पर भी रिसर्च होगा और इसके साथ ही दवाओं के साइड इफेक्ट के बारे में भी पता किया जायेगा.

क्या कहते हैं प्रिंसिपल

राजकीय आयुर्वेदिक कॉलेज पटना के प्रिंसिपल वैद्य प्रो दिनेश्वर प्रसाद ने कहा कि शहर के आयुर्वेदिक कॉलेज व पशु चिकित्सा महाविद्यालय की ओर से एमओयू साइन किया गया है. इसके तहत अब एलोपैथ की तरह पशुओं के ऊपर आयुर्वेदिक दवाओं का शोध किया जायेगा. शोध के बाद जो दवाएं कारगर साबित होंगी. वही मरीजों को दी जायेंगी. वहीं, वर्तमान में आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति द्वारा जो दवाएं पशुओं को दी जाती हैं उन पर भी वेटनरी कॉलेज के डॉक्टर व छात्र-छात्राएं शोध करेंगे.

Posted by: Radheshyam Kushwaha

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें