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बिहार में आधुनिक तकनीक से लिवर कैंसर मरीज की बचाई गई जान, 55% लिवर काट 10 घंटे में किया गया सफल ऑपरेशन…

पटना: कैंसर का नाम सुनते ही मरीज व उसके घर वालों पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ता है. इस घातक बीमारी से बचाने वाले डॉक्टर मरीज के लिए दूसरे जन्मदाता हो जाते हैं. कुछ ऐसा ही मामला आइजीआइएमएस में देखने को मिला. जहां, डॉक्टरों ने शुक्रवार को लिवर कैंसर के मरीज का सफलतापूर्वक ऑपरेशन किया. मरीज का नाम विनोद कुमार सिंह (50 वर्ष) है, जो पटना सिटी के बेगमपुरा स्थित डूंडी बाजार नाला पर के निवासी हैं. डॉक्टरों ने कैंसर मुक्त करने के लिए मरीज के लिवर का करीब 55% हिस्सा काट दिया. सफल ऑपरेशन व मरीज के स्वस्थ होने के बाद अस्पताल प्रशासन ने यह जानकारी दी.

पटना: कैंसर का नाम सुनते ही मरीज व उसके घर वालों पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ता है. इस घातक बीमारी से बचाने वाले डॉक्टर मरीज के लिए दूसरे जन्मदाता हो जाते हैं. कुछ ऐसा ही मामला आइजीआइएमएस में देखने को मिला. जहां, डॉक्टरों ने शुक्रवार को लिवर कैंसर के मरीज का सफलतापूर्वक ऑपरेशन किया. मरीज का नाम विनोद कुमार सिंह (50 वर्ष) है, जो पटना सिटी के बेगमपुरा स्थित डूंडी बाजार नाला पर के निवासी हैं. डॉक्टरों ने कैंसर मुक्त करने के लिए मरीज के लिवर का करीब 55% हिस्सा काट दिया. सफल ऑपरेशन व मरीज के स्वस्थ होने के बाद अस्पताल प्रशासन ने यह जानकारी दी.

कोरोना में हुआ कुसा तकनीक से ऑपरेशन

संस्थान के चिकित्सा अधीक्षक सह जीआइ सर्जरी विभागाध्यक्ष डॉ मनीष मंडल, डॉ राकेश, डॉ तुषार, डॉ अरविंद व डॉ निधि आदि डॉक्टरों की टीम ने 10 घंटे के जटिल ऑपरेशन के बाद मरीज के खराब लिवर के पार्ट को कुसा (सीयूएसए) मशीन से काट कर अलग किया. डॉ मनीष मंडल ने बताया कि मरीज का सफलतापूर्वक ऑपरेशन किया गया़ उसे बीते जून-जुलाई महीने में पेट में दर्द हुआ था. इसके बाद वह शहर के कई अस्पतालों में इलाज के लिए गये. यहां पर जानकारी मिली कि लिवर में कैंसर है. इसके बाद ऑपरेशन की सलाह दी गयी.

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लिवर के महज 30% हिस्से पर रह सकते हैं जिंदा

मरीज के लिवर के करीब 20% हिस्से में कैंसर का ट्यूमर फैल चुका था. ट्यूमर को निकालने के लिए 55% लिवर को निकाला गया. डॉक्टरों के मुताबिक मनुष्य लिवर के 30% हिस्से पर जिंदा रह सकता है. समय के साथ 30% अपने आप डेवलप हो जाता है. इसी तरह लिवर का 60 से 70% हिस्सा तैयार हो जाता है. इसके लिए मरीज को खान-पान पर अधिक ध्यान देने की जरूरत होती है.

क्या कहते हैं मरीज के परिजन

पेट में दर्द होने के बाद पापा रात भर सो नहीं पाते थे. दर्द के साथ ही उनको पीलिया भी हो गया था, जिससे उनका स्वास्थ्य गिरता जा रहा था. महावीर कैंसर अस्पताल में पिता जी को लेकर गये, जहां लिवर का कैंसर बताया गया. बेहतर इलाज के लिए आइजीआइएमएस लाया गया, जहां डॉक्टरों ने लिवर का ऑपरेशन सफलता पूवर्क किया.

नीरज कुमार, मरीज का बेटा

आइजीआइएमएस पटना में हुआ सफल ऑपरेशन 

लगातार असहनीय पेट दर्द होने के बाद पूरा परिवार डरा हुआ था. दर्द की दवा से लेकर कई निजी अस्पतालों में इलाज कराया गया, जहां गांठ खत्म करने की दवा दी गयी. लेकिन, दवा का असर नहीं हुआ. अंत में आइजीआइएमएस लाया गया. जहां ऑपरेशन के बाद अब वह पूरी तरह से ठीक हैं.

चुन्नू कुमार, मरीज के छोटे भाई

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